Ambedkar को हराने के लिए Nehru ने उतार दिया था अपना PA, जानिए वो किस्सा
राज्यसभा में संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा के दौरान अमित शाह के बयान पर बवाल मचा हुआ है। जिसका आज कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही है। इस रिपोर्ट के जरिए आपको बताते है कि कैसे कांग्रेस और खासकर जवाहरलाल नेहरू ने अंबेडकर के खिलाफ षड़यंत्र रचा था।
अभी देश की राजनीति में एक बयान पर भयंकर बवाल मचा हुआ है। वजह है अमित शाह का एक बयान, जो उन्होंने राज्य सभा में संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा के दौरान दिया था। बयान का एक छोटा सा क्लिप काटकर, जिसमें शाह ने कहा था कि अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। इसी बयान को तोड़-मरोड़कर उन्हें कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टी घेरेने के फिराक में है। सदन के बाहर हंगामा मचाकर शाह से इस्तीफा देने और देश से माफी मांगने की मांग हो रही है। अंबेडकर के लिए कांग्रेसी और खासकर राहुल गांधी आज इतने इमोशनल हो गए है कि भाजपा के सांसदों के साथ धक्का-मुक्की पर उतर आए है। इस रिपोर्ट में एक ऐसे किस्से को अपको बताने जा रहें है जिसे सुनकर आपको अंबेडकर के हितैशी बनने वाले राहुल और कांग्रेस झूठे लगने लगेंगे।
PM Modi ने अमित शाह के बयान के बाद एक ट्वीट किया और बताया कि कांग्रेस और अंबेडकर के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव थे। अंबेडकर के आकिरी समय में कांग्रेस उनके खिलाफ थी। और यही वजह थी कि अंबेडकर ने कानून मंत्री के पद से 27 sept, 1951 को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अंबेडकर ने अपनी पार्टी बनाई थी जिसका नाम Schedule Caste Federation था। 1952 के पहले आम चुनाव में मुंबई उत्तर मध्य सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में संविधान निपृर्माता की हार हुई जे काफी दुखद था। इसी बात का जिक्र PM Modi ने अपने ट्टीट में किया और लिखा।
" डॉ. अम्बेडकर के प्रति कांग्रेस के पापों की सूची में शामिल हैं। उन्हें एक बार नहीं बल्कि दो बार चुनाव में हार दिलाना। पंडित नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया और उनकी हार को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया। उन्हें भारत रत्न देने से इनकार कर दिया गया। उनके चित्र को संसद के सेंट्रल हॉल में गौरव का स्थान देने से इनकार करना "।
PM Modi ने अपने ट्वीट के जरिए कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी को अंबेडकर की हार को याद दिलाया और इसके लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है। ये भी सच है कि तत्कालीन पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अंबेडकर के खिलाफ चुनाव प्रचार किए थे।
दरअसल 1952 के आम चुनाव में अंबेडकर को नारायण सादोबा काजरोलकर के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। काजरोलकर, नेहरू के PA यानी की निजी सलाहकार थे। काजरोलकर के लिए ही नेहरू ने प्रचार किया था और अंबेडकर को 15 हाजर वोटों से हार झेलनी पड़ी थी। हार के बाद अंबेडकर ने चुनाम पर सवाल भी किए थे। हिंदूस्तान की एक रिपोर्ट में PTI का हवाला देते हुए लिखा गया है कि हार के बाद अंबेडकर ने कहा था कि 'आखिर कैसे बॉम्बे के लोगों का इतना जोरदार समर्थन चुनाव नतीजे में नहीं दिखा। यह तो जांच का विषय है, जिस पर चुनाव आयोग को विचार करना चाहिए'। बता दे कि इस आम चुनाव में 489 लोकसभा सीटों में से 364 पर जीत हासिल की थी। इसके अलावा देशभर की 3280 विधानसभा सीटों में से 2247 सीटों पर कांग्रेस की ही जीत हुई थी।
ये तो थे नेहरू के कारनामे। इधर, लगता है वो अपने द्वारा किए गए अपमान को भूल गए है। शाह के अंबेडकर पर दिए गए बयान से राहुल आगबबुला हो रहें है, लेकिन इसी बीच उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जहां महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने खुद ही अंबेडकर की तस्वीर पर फूल माला नहीं चढ़ाई थी। वहीं नेहरू भी किस तरह से अंबेडकर को हराने के लिए खेल खेल चुके है। वो भी इस रिपोर्ट के जरिए हमने आपको दिखाया। अब आपकी बारी कमेंट कर अपनी राय बताए। जाते जाते आपको अमित शाह के बयान के साथ छोड़े जाते है जिसमें उन्होंने विपक्षियों पर उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया है।