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दिल्ली में फिर से जहरीली हवा का कहर, औसत एक्यूआई 329

सर्दियों के आते ही दिल्ली में प्रदूषण की समस्या आम हो जाती है। दो दिन के राहत के बाद दीपावली वाले दिन गुरुवार को दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 329 दर्ज की गई।
दिल्ली में फिर से जहरीली हवा का कहर, औसत एक्यूआई 329
दिल्ली में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण का स्तर बढ़ना एक आम समस्या बन गया है। सर्दियों के आगमन के साथ ही राजधानी में हवा में मौजूद प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंचने लगा है। इस बार दीपावली के मौके पर स्थिति और गंभीर हो गई है। दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दीपावली के दिन 329 पर पहुंच गया, जो गंभीर स्तर की श्रेणी में आता है।

दिल्ली के कई इलाके तो 300 से 400 के बीच के AQI के साथ बेहद खराब स्थिति में हैं। आनंद विहार में AQI 419 तक पहुंच गया, जो वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को दर्शाता है। अन्य इलाकों में भी जैसे अशोक विहार में 368, द्वारका सेक्टर 8 में 368, आरके पुरम में 384, वजीरपुर में 396 और जहांगीरपुरी में 395 तक पहुंच गया। यह सभी सूचकांक इस बात की गवाही दे रहे हैं कि दिल्ली की हवा फिर से जहरीली हो चुकी है।
प्रदूषण के बढ़ने के मुख्य कारण
दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि का मुख्य कारण विभिन्न स्रोतों से निकलने वाला धुआं, पराली जलाने की घटनाएं, निर्माण गतिविधियाँ और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक हैं। हर साल सर्दियों में पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिसका प्रभाव दिल्ली-एनसीआर की हवा पर सीधा पड़ता है। इसके साथ ही, दीपावली पर पटाखों का जलाना भी एक महत्वपूर्ण कारण है, जो हवा को जहरीला बना देता है।
दिल्ली के प्रमुख इलाकों में प्रदूषण का स्तर
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में प्रदूषण के स्तर पर नजर डालें तो लगभग हर जगह की स्थिति गंभीर है। दिल्ली के कई इलाकों में AQI 300 से 400 के बीच है, जो ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। जैसे, अलीपुर में 303, बवाना में 361, द्वारका सेक्टर 8 में 368, आईजीआई एयरपोर्ट पर 303, जहांगीरपुरी में 395, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर 334 और अन्य कई इलाकों में एक्यूआई 300 से ऊपर है। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है। दिल्ली एनसीआर में गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम भी प्रदूषण से जूझ रहे हैं। गाजियाबाद में AQI 265, नोएडा में 257, ग्रेटर नोएडा में 256 और गुरुग्राम में 258 के स्तर पर है, जोकि ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।

वायु प्रदूषण का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ता है। प्रदूषण की इस खतरनाक स्थिति के कारण दिल्लीवासियों को सांस लेने में दिक्कत, खांसी, आंखों में जलन, और अस्थमा जैसी समस्याएं बढ़ने लगी हैं। खासकर बच्चे, बुजुर्ग, और गर्भवती महिलाएं इस प्रदूषण से अधिक प्रभावित हो रही हैं। अस्पतालों में सांस और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
सरकार और प्रशासन के प्रयास
प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने कुछ अहम कदम उठाए हैं। दिल्ली सरकार ने कई निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया है और ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कड़े नियम लागू किए गए हैं ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में गाड़ियों की आवाजाही पर भी सीमित प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं ताकि वाहनों से निकलने वाले प्रदूषकों को कम किया जा सके।

CPCB भी लगातार प्रदूषण के स्तर की निगरानी कर रहा है और लोगों को सलाह दे रहा है कि जब तक जरूरी न हो, बाहर न निकलें। साथ ही, घर के अंदर भी एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने और नियमित रूप से पानी पीते रहने की सलाह दी गई है ताकि प्रदूषण से बचा जा सके।

प्रदूषण से बचाव के उपाय

मास्क पहनें: बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करें, ताकि प्रदूषित हवा सीधे आपके फेफड़ों तक न पहुंचे।
व्यायाम न करें: खुले में व्यायाम और योग करने से बचें, क्योंकि इससे आप ज्यादा मात्रा में प्रदूषित हवा अंदर खींच सकते हैं।
घर में रहें: जब तक जरूरी न हो, घर से बाहर न निकलें, खासकर सुबह और शाम के समय जब प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है।
पौधों का उपयोग करें: घर के अंदर एयर-प्यूरीफाइंग पौधों जैसे कि स्नेक प्लांट, एलोवेरा, और मनी प्लांट लगाएं, जो हवा को साफ रखने में मदद कर सकते हैं।
ज्यादा पानी पिएं: शरीर में नमी बनाए रखें ताकि प्रदूषण के हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में आसानी हो।

दिल्ली में हर साल सर्दियों के साथ प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है, और यह दिल्लीवासियों के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन गई है। लोगों में जागरूकता बढ़ाने के साथ ही सरकार के स्तर पर भी बड़े बदलावों की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सख्त और ठोस कदम नहीं उठाए जाते, यह समस्या हर साल इसी तरह सामने आती रहेगी। दिल्ली और एनसीआर के लिए आवश्यक है कि प्रदूषण के खिलाफ ठोस नीतियों का क्रियान्वयन हो, जैसे कि हरियाली बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान, इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहन देना और कचरा जलाने पर प्रतिबंध।
Source- IANS
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