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ऊपर ट्रेन चलेगी, नीचे जहाज़ ! पंबन ब्रिज की खासियत होश उड़ा देगी !

देश के इतिहास में 6 अप्रैल का दिन भी शामिल हो गया, आख़िरकार ये वो दिन साबित हुआ जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में नये पंबन ब्रिज का उद्धाटन कर इसे देश के लिए समर्पित कर दिया। इसी के साथ रामेश्वरम से तांब्रम के बीच एक नई ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखा दी
ऊपर ट्रेन चलेगी, नीचे जहाज़ ! पंबन ब्रिज की खासियत होश उड़ा देगी !

देश के इतिहास में 6 अप्रैल का दिन भी शामिल हो गया, आखिरकार यह वो दिन साबित हुआ जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन कर इसे देश के लिए समर्पित कर दिया। इसी के साथ रामेश्वरम से तांब्रम के बीच एक नई ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखा दी। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री ने तो एक तटरक्षक जहाज को भी रवाना कर दिया। कितना अद्भुत नजारा होगा ना जब पुल का वर्टिकल हिस्सा ऊपर की तरफ उठेगा और इसके नीचे से जहाज गुजरेगा। मतलब इंजीनियरों की कला की अगर सबसे ज़बरदस्त मिसाल किसी को देखनी है तो इस पुल में वो साक्षात नजर आ रही है।

तमिलनाडु के रामेश्वरम स्थित इस पुल का सांस्कृतिक महत्व भी है। इसका अंदाजा अगर आपको लगाना है तो इस बात से लगाइए कि यह जो पुल है, यह रामेश्वरम द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और दूसरी तरफ रामायण में भी भगवान राम की सेना ने रामसेतु का निर्माण रामेश्वरम के पास धनुषकोड़ी से ही शुरू किया था। खैर, यह तो रही सांस्कृतिक महत्व की बात, अब ज़िक्र कर लेते हैं कि आखिर कितनी लागत लगी है इस पुल को तैयार करने में।

  • इसे तैयार करने में 550 करोड़ रुपये का खर्चा आया है।
  • यह ब्रिज 2.08 किमी लंबा है।
  • इसमें 99 स्पैन हैं, मतलब खंभों के बीच की दूरी।
  • इसका लिफ्टिंग हिस्सा 72.5 मीटर लंबा है और यह 17 मीटर ऊंचाई तक उठ सकता है।

अब जान लीजिए इस ब्रिज की खासियत क्या है?

क्या है पंबन ब्रिज की खासियत?

  • इस पुल से ट्रेन भी चल सकेंगी।
  • नीचे से जहाज भी गुजर सकेंगे।
  • इससे बड़े जहाज बिना ट्रेन सेवा को बाधित किए चल सकते हैं।
  • भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें दो रेलवे ट्रैक की व्यवस्था की गई है।
  • इसे इंजीनियरों का कमाल और अद्भुत हुनर बताया जा रहा है।
  • समुद्र के कठिन मौसम को झेलने के लिए पुल तैयार है।
  • इसे स्टेनलेस स्टील और पॉलीसिलोक्सेन पेंट से तैयार किया गया है, जिसकी वजह से जंग नहीं लगेगा।
  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह ब्रिज 58 साल तक आराम से चल सकता है
  • पुल से भारी और तेज ट्रेनें भी आसानी से गुजर सकेंगी।
  • यह पुल पुराने के मुकाबले 3 मीटर ऊंचा है।
  • यह 72.2 मीटर चौड़ा समुद्र मार्ग है, पुल के एक लेन में आसानी से दो ट्रक भी एक साथ आ जा सकेंगे।
  • इस पुल को 17 मीटर ऊपर तक उठाया जा सकेगा।

अब आपको इस पंबन ब्रिज का इतिहास भी जान लेना चाहिए।

क्या है पंबन ब्रिज का इतिहास?

  • पहला पंबन ब्रिज 1914 में अंग्रेज इंजीनियरों ने बनवाया था।
  • यह समुद्र में खुलकर जहाजों को रास्ता दिया करता था।
  • समुद्री माहौल में इसे नुकसान होता रहा।
  • इस पर लगातार ट्रैफिक बढ़ता रहा तो सरकार ने 2019 में नए तकनीकी और मजबूत पंबन ब्रिज को मंजूरी दी थी।

जाहिर है पंबन ब्रिज रेलवे के इतिहास के महत्वपूर्ण पुलों में से एक है, लिहाजा इसका भविष्य भी बेहद उज्ज्वल दिखाई देता है। क्या आप जानते हैं?

  • इस नए पंबन ब्रिज का निर्माण RVNL यानि Rail Vikas Nigam Limited ने किया है।
  • यह रेल मंत्रालय के अधीन आने वाली एक कंपनी है।
  • खराब मौसम, तेज लहरें, तेज हवाएं, हर तरह की दिक्कतों का सामना करते हुए इस पुल को तैयार किया गया है।
  • यह इलाका चक्रवात और भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है, इसीलिए इंजीनियरों ने अपनी कला का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन यहीं किया है
  • यह ऐसे किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार है।

जब जब पंबन पुल का जिक्र हो रहा है, तब तब वर्टिकल लिफ्ट पुल की बात हो रही है। तो ऐसे में यह भी समझ लीजिए कि आखिर यह वर्टिकल लिफ्ट पुल है क्या? दरअसल इसका मतलब होता है कि जरूरत पड़ने पर जिसे उठाया जा सके। पानी की सतह पर इस पुल को उठाया जा सकता है ताकि जहाज आसानी से गुजर सके।

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