Advertisement

कांग्रेस पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा आरोप, कुर्सी बचाने के लिए किया क़ानून का संशोधन

लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार बनाम विपक्ष के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का का दौर सदन में सोमवार को भी जारी रहा। बीते शुक्रवार को संविधान पर शुरू हुई चर्चा शनिवार को भी जारी रही, वही अब इस चर्चा के बाद राज्यसभा में इसके महत्व और विराट पर दो दिवसीय बहस की शुरुआत हो चुकी है।
कांग्रेस पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा आरोप, कुर्सी बचाने के लिए किया क़ानून का संशोधन
लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार बनाम विपक्ष के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का का दौर सदन में सोमवार को भी जारी रहा। बीते शुक्रवार को संविधान पर शुरू हुई चर्चा शनिवार को भी जारी रही, वही अब इस चर्चा के बाद राज्यसभा में इसके महत्व और विराट पर दो दिवसीय बहस की शुरुआत हो चुकी है। सरकार की तरफ़ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा की शुरुआत की है जबकि पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव कल 17 दिसंबर को इसका समापन करेंगे।


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान कहा,"हमारे संविधान के 75 साल पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर मुझे यह अवसर दिए जाने पर मैं बहुत सम्मानित और विनम्र महसूस करती हूं। मैं संविधान सभा के सभी 389 सदस्यों विशेष रूप से उन 15 महिलाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करके शुरुआत करती हूं, जिन्होंने तीन साल से भी कम समय में भारत के संविधान को बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल में तैयार करने की कठिन चुनौती का सामना किया। आज हमें इस बात पर बेहद गर्व है कि भारत का लोकतंत्र कैसे बढ़ रहा है। जैसा कि हम अपने संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, मुझे लगता है कि यह समय है कि हम ऐसे भारत के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें, जो इस पवित्र दस्तावेज में निहित भावना को कायम रखे।"केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा, "द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए थे और उनका अपना संविधान था। लेकिन कई देशों ने अपने संविधान में बदलाव किया, न केवल संशोधन किया बल्कि अपने संविधान की पूरी विशेषता को ही बदल दिया। लेकिन हमारा संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा है और निश्चित रूप से इसमें कई संशोधन हुए हैं।"


निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान का कितना दुरुपयोग किया, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि नेहरू विरोधी कविता के लिए मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी और एक्टर बलराज साहनी को जेल जाना पड़ा था। न्यायपालिका को दबाने के लिए कांग्रेस ने संविधान में कई संशोधन किए। आज जब कांग्रेस न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बात करती है तो हमें हंसी आती है। कुर्सी बचाने के लिए अदालत का फैसला आने से पहले कानून में संशोधन करना कांग्रेस का असली चेहरा रहा है। एक विशेष परिवार को बचाने के लिए कई बार संशोधन हुआ है। कांग्रेस ने नियमों का उल्लंघन करते हुए कानून बदला और लोकसभा का कार्यकाल 6 साल कर दिया। उस दौरान पूरे विपक्ष को जेल भेज दिया था। इसके बाद यह सब बदलाव हुआ। एक लोकतांत्रिक देश में इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि इस देश के पहले प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार पर प्रेस की निगरानी की निंदा की, जबकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रेस की स्वतंत्रता की प्रशंसा की। इसमें कोई संदेह नहीं है। संविधान को अपनाने के एक साल के भीतर ही कांग्रेस द्वारा "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने" के लिए पहला संवैधानिक संशोधन लाया गया। संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे। वहीं कांग्रेस ने मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता पाने के उनके अधिकार से वंचित किया।


उन्होंने आगे कहा कि साल 1950 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पत्रिका "क्रॉस रोड्स" और आरएसएस की पत्रिका "ऑर्गनाइजर" के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन इसके जवाब में तत्कालीन अंतरिम सरकार ने इनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में संशोधन किया। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं था। 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई राजनीतिक जीवनी "नेहरू" पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने "किस्सा कुर्सी का" नामक एक फिल्म पर भी प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाए गए थे।
Advertisement
Advertisement