23 दिसंबर को जिलों में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा
Farmer Protest: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सभी किसान संगठनों से तत्काल चर्चा करने, पंजाब सीमा पर किसानों के संघर्ष पर दमन समाप्त करने, ग्रेटर नोएडा में जेल में बंद किसान नेताओं को रिहा करने, ‘कृषि विपणन पर नई राष्ट्रीय नीति की रूपरेखा’ को तत्काल वापस लेने की मांगों को लेकर देश भर में 23 दिसंबर को जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन करने की अपील की है।आइए जानते है इस खबर को विस्तार से......
संसद के सभी सदस्यों को एक ज्ञापन सौंपा था
राष्ट्रीय समन्वय समिति की 14 दिसंबर को आयोजित एक बैठक में 21 राज्यों के 44 सदस्यों ने भाग लिया और पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया। बैठक में पिछले 19 दिन से पंजाब हरियाणा की सीमा पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। इस बैठक में चेतावनी दी गई है कि अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जिम्मेदार होंगे। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी से शासन के लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन करने और संघर्ष कर रहे सभी किसान संगठनों और मंचों से तत्काल चर्चा करने की मांग की गई। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी किसानों से विचार-विमर्श करने के लिए कहा है। एसकेएम ने एनडीए-3 सरकार के सत्ता में आने के ठीक बाद 16, 17, 18 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं और संसद के सभी सदस्यों को एक ज्ञापन सौंपा था।
कृषि पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन-किया था
किसानों ने 9 अगस्त को देश भर में कृषि पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन-किया था। एसकेएम ने 26 नवंबर को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और खेत मजदूर संगठनों के मंच के साथ मिलकर 500 से अधिक जिलों में बड़े पैमाने पर मजदूर-किसान विरोध-प्रदर्शन किए, जिसमें लगभग 10 लाख लोगों ने भाग लिया और जिला कलेक्टरों के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा। इस बैठक में प्रधानमंत्री से एमएसपी, कर्ज माफी, बिजली के निजीकरण, एलएआरआर अधिनियम 2013 के कार्यान्वयन सहित किसानों की अन्य जायज और लंबित मांगों को स्वीकार करने और कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी 25 नवंबर की नई कृषि बाजार नीति को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया गया है।