कुरान में हराम है दूसरों की संपत्ति का इस्तेमाल, फिर वक्फ बोर्ड क्यों कर रहा है दावा?
मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की ताकत और इसके अधिकारों में पारदर्शिता लाने के लिए वक्फ संशोधन बिल लेकर आई है। लेकिन विपक्ष, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, और इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक जैसे कई प्रमुख लोग इस विधेयक के खिलाफ खड़े हो गए। इन सबके बीच एक सवाल ये भी उठता है कि जब कुरान में साफ तौर पर दूसरों की संपत्ति का उपयोग करना या उस पर कब्जा जमाना हराम है, तो वक्फ बोर्ड किस हक से लोगों की जमीन पर दावा कर रहा है?
संसद के मॉनसून सत्र में मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल पेश किया, जिसे लेकर भारी विवाद हो रहा है। दरअसल विपक्ष, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, और इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक जैसे कई प्रमुख लोग इस विधेयक के खिलाफ खड़े हो गए। लेकिन इन सबके बीच एक सवाल ये भी उठता है कि जब कुरान में साफ तौर पर दूसरों की संपत्ति का उपयोग करना या उस पर कब्जा जमाना हराम है, तो वक्फ बोर्ड किस हक से लोगों की जमीन पर दावा कर रहा है? आइए, इस पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं। लेकिन इससे पहले जानते हैं कि आखिर वक्फ बोर्ड है क्या?
वक्फ बोर्ड एक सरकारी निकाय है जो धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए इस्लामी कानून के तहत समर्पित संपत्तियों का प्रबंधन करता है। जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को वक्फ के नाम घोषित कर देता है, तो वह संपत्ति उस व्यक्ति से हटकर अल्लाह के नाम हो जाती है और उसका मालिकाना हक सीधे तौर पर वक्फ बोर्ड के पास चला जाता है। लेकिन अब 1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव की जरूरत क्यों और कैसे पड़ी यह भी जान लेते है। दरअसल वक्फ बोर्डों पर अक्सर आरोप लगते आएं हैं कि वे अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए मनमाने ढंग से संपत्तियों का दावा कर रहे हैं। वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों की कई शिकायतें भी आती रही हैं, लेकिन जब भी सरकार इन बोर्डों के कामकाज में सुधार के लिए कदम उठाती है, तो इसे धर्म से जोड़कर इसका विरोध किया जाता है। मौजूदा वक्फ बोर्ड एक्ट मुस्लिम समुदाय के बीच भी विवाद का विषय बना हुआ है। कई बार स्थानीय लोग इस बात से असंतुष्ट रहते हैं कि वक्फ बोर्ड उनकी संपत्तियों पर बिना उचित प्रक्रिया के दावा कर रहा है। इसी को देखते हुए सरकार ने वक्फ संपत्तियों के दावे के लिए सत्यापन की प्रक्रिया अनिवार्य करने का फैसला किया है।
मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की ताकत और इसके अधिकारों में पारदर्शिता लाने के लिए वक्फ संशोधन बिल लेकर आई है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों को सीमित करना और संपत्तियों के दावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। बिल में 1995 के वक्फ कानून में कई संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं, जिसमें वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले अनिवार्य सत्यापन की व्यवस्था भी शामिल है।
अब जब इस बिल में इतने सारे संशोधन किए जा रहे हैं तो विरोध होना भी तय है। दरअसल इस बिल को लेकर विवाद तब बढ़ा जब विपक्ष ने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। पहले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और फिर जाकिर नाइक जैसे लोग इस बिल के खिलाफ इसलिए खड़े हो गए है, उनका मानना है कि यह विधेयक मुस्लिमों से उनकी धार्मिक और समाजसेवा से जुड़ी संपत्तियों को छीनने का प्रयास है। जाकिर नाइक ने मुसलमानों को भड़काते हुए कहा कि उन्हें अपने हक के लिए लड़ना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि वक्फ संपत्तियों पर केवल मुसलमानों का अधिकार है और गैर-मुसलमानों को इसका उपयोग करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए।ओवैसी ने भी संसद में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बिल केवल वक्फ संपत्तियों को निशाना बनाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मुस्लिम संपत्तियों पर पारदर्शिता लानी है, तो हिंदू एंडोमेंट एक्ट, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और ईसाई संस्थानों के लिए भी ऐसे बिल क्यों नहीं लाए जाते? ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी इस विधेयक का विरोध करते हुए QR कोड जारी कर लोगों से सुझाव देने की अपील की है।
जाकिर नाइक ने भी इस विधेयक के खिलाफ बयान जारी कर भारतीय मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया। जाकिर नाइक ने कहा कि मुसलमानों को वक्फ संपत्तियों को बचाना चाहिए और इस बिल को खारिज करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार मुसलमानों की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है।जाकिर नाइक के इस बयान पर अब सवाल ये उठता है कि जो संपत्ति पहले से ही वक्फ की नहीं है उस पर कब्जा कैसे किया जा सकता है, और रही बात कुरान की तो कुरान में संपत्ति के हक को लेकर क्या कहा गया है इसे भी समझने की कोशिश करते हैं? कुरान में साफ-साफ कहा गया है कि दूसरों की संपत्ति पर हक नहीं जमाना चाहिए और बिना किसी की मर्जी के उसका उपयोग हराम है। बावजूद इसके, भारत में वक्फ बोर्ड अक्सर ऐसी संपत्तियों पर दावा कर देता है जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आतीं है, और जिसका जीता जागता उदाहरण है तिरुचेंदुरई गांव,
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>DR ZAKIR NAIK ,S. APPELA TO The people of India to Oppose the Waqaf Amendment Bill
— I-N-D-I-A (@INDIA_ALLAINCE) September 9, 2024
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दरअसल हाल ही में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने तिरुचेंदुरई गांव पर अपना दावा जताया, जो मुख्य रूप से हिंदू बहुल है।अब आप ही सोचिए किसी और की जमीन पर मनमाने ढंग से अपना हक जताना कितना सही है? क्या इस तरह के विवादों के बाद वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता और अधिकारों पर सवाल खड़े होना गलत है? यह सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि कुरान के अनुसार, बिना उचित प्रक्रिया के किसी की भी संपत्ति को अपने अधिकार में लेना गलत है।