प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया 21वीं सदी का विक्रमादित्य, आचार्य प्रमोद कृष्णम का बड़ा बयान
आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर का दिव्य लड्डू प्रसाद, जो भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है, इन दिनों विवादों के घेरे में है। पारंपरिक और प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू में मिलावट का मामला सामने आने के बाद से ही इस मुद्दे ने धार्मिक और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। जिसके बाद अब आचार्य प्रमोद कृष्णम, जो कल्कि धाम के पीठाधीश्वर और जाने-माने धार्मिक नेता हैं, उनहोंने इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय साजिश करार देते हुए जांच की मांग की है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि "तिरुपति लड्डू के साथ जो हो रहा है, वह सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा षड्यंत्र हो सकता है।" उनके अनुसार, भारतीय संस्कृति और धार्मिक स्थलों को बदनाम करने की कोशिशें पहले भी की जाती रही हैं, और तिरुपति लड्डू का मामला भी उसी कड़ी का हिस्सा हो सकता है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने केंद्र सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह के मामलों में सख्त कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना न सिर्फ धार्मिक, बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से भी अपराध है।
तिरुपति के लड्डू विवाद पर बयान के बीच आचार्य प्रमोद कृष्णम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमकर प्रशंसा करते हुए उन्हें वैश्विक नेता करार दिया, और उनकी तुलना सम्राट विक्रमादित्य से की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की छवि एक दृढ़ और सक्षम नेता की है, जो हर तरह के षड्यंत्र और देश विरोधी गतिविधियों से निपटने की क्षमता रखते हैं। आचार्य प्रमोद ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और इसकी निष्पक्ष जांच कराएं, ताकि सच सबके सामने आ सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर देश में कई तरह की राय हो सकती है, लेकिन जब आचार्य प्रमोद कृष्णम जैसे धार्मिक और आध्यात्मिक नेता उन्हें 21वीं सदी का विक्रमादित्य बताते हैं, तो यह महज एक तारीफ नहीं, बल्कि एक गहरी विचारधारा की झलक है। आचार्य प्रमोद कृष्णम का यह बयान सिर्फ मोदी की नेतृत्व क्षमता का ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं के प्रति उनकी निष्ठा का भी प्रतीक है। विक्रमादित्य का नाम भारतीय इतिहास में सिर्फ एक सम्राट के रूप में ही नहीं, बल्कि एक विचारधारा और आदर्श के रूप में जुड़ा हुआ है, जो समय-समय पर महान और प्रतापी राजाओं के साथ जुड़ता रहा है।
कौन थे विक्रमादित्य?
विक्रमादित्य नाम केवल एक ऐतिहासिक सम्राट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा का प्रतीक है। विक्रमादित्य के नाम के साथ लगभग 16 महान सम्राटों का नाम जुड़ा है, जिन्होंने अपने-अपने युग में अपनी बुद्धिमत्ता, न्यायप्रियता और पराक्रम से जनता का दिल जीता। विक्रमादित्य हर युग में हुए हैं और उनका नाम एक विरासत की तरह महान राजाओं के साथ जुड़ता रहा है। इतिहास के अनुसार, विक्रमादित्य का पहला जिक्र उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य से होता है, जिन्होंने अपने शासनकाल में न्याय, धर्म और प्रजा सेवा को सर्वोच्च माना। विक्रमादित्य के गुणों को समय-समय पर अलग-अलग युगों के राजा अपनाते रहे और हर युग में एक नया विक्रमादित्य सामने आता रहा।