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Waqf Amendment Bill: क्या है नए कानून के 14 बड़े बदलाव?

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गहरी खींचतान देखी गई। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में सत्ता पक्ष के 14 संशोधन बहुमत से पारित हो गए, जबकि विपक्ष के 44 संशोधन खारिज कर दिए गए।
Waqf Amendment Bill: क्या है नए कानून के 14 बड़े बदलाव?
Waqf Amendment Bill : वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देशभर में चर्चा जोरों पर है। सोमवार को इस पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अहम बैठक हुई, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखी गई। सत्ता पक्ष की ओर से प्रस्तावित 14 संशोधन जहां बहुमत से पारित हो गए, वहीं विपक्ष द्वारा सुझाए गए 44 संशोधन बहुमत न जुटा पाने के कारण खारिज कर दिए गए। इस घटनाक्रम ने वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन से जुड़े कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब जानना बेहद जरूरी है।

1995 में लागू वक्फ अधिनियम में संशोधन करते हुए 2024 में इस नए विधेयक को पेश किया गया। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना है। वक्फ संपत्तियां मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक जरूरतों के लिए दान की जाती हैं। लेकिन लंबे समय से इन संपत्तियों के दुरुपयोग और विवादों के कारण प्रबंधन सुधार की मांग उठती रही है।

सरकार ने वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, विवाद निपटान और प्रबंधन में सुधार के लिए इस संशोधन विधेयक को तैयार किया। इसमें नई व्यवस्थाएं जोड़ने के साथ-साथ पुरानी खामियों को दूर करने की कोशिश की गई है।

संशोधन पर सत्ता पक्ष 

जेपीसी बैठक के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। विपक्ष ने 44 संशोधनों का प्रस्ताव रखा, जिनमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ी कई संवेदनशील मांगें शामिल थीं। हालांकि, समिति में सत्ता पक्ष के बहुमत के कारण इन प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया।

सत्ता पक्ष ने 14 संशोधनों का प्रस्ताव रखा, जिन्हें भारी बहुमत से पारित किया गया। इनमें प्रमुख संशोधन यह था कि वक्फ संपत्ति का निर्धारण अब ज़िला कलेक्टर के बजाय राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी करेगा। यह प्रावधान पहले के मुकाबले अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश है।

वक्फ संपत्तियों पर नई परिभाषा

इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों की परिभाषा को भी संशोधित किया गया है। अब केवल वही संपत्तियां वक्फ मानी जाएंगी, जो विधेयक लागू होने से पहले पंजीकृत होंगी। अगर कोई संपत्ति वक्फ के रूप में इस्तेमाल हो रही है लेकिन वह सरकारी या विवादित है, तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी।

गैर-मुस्लिम सदस्यों की भूमिका

इस विधेयक में एक और बड़ा बदलाव यह है कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में अब दो से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य भी हो सकते हैं। पहले केवल दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान था, लेकिन अब इसे विस्तारित करते हुए अधिकतम चार गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनुमति दी गई है। यह संशोधन समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।

विधेयक के तहत, वक्फ संपत्ति दान करने वाले को "Practicing Muslim" साबित करना होगा। अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दानकर्ता पिछले पांच वर्षों से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा हो और उसका प्रमाण भी हो। इस प्रावधान पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई, क्योंकि यह विवादित मामलों को बढ़ा सकता है।

विपक्ष के आरोप और असहमति

विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने आरोप लगाया कि देश की 90% वक्फ संपत्तियां पंजीकृत नहीं हैं और यह संशोधन उन्हें हथियाने का एक प्रयास हो सकता है। साथ ही, उन्होंने गैर-मुस्लिम सदस्यों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब राम मंदिर ट्रस्ट में अन्य धर्मों के लोग शामिल नहीं हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को क्यों शामिल किया जा रहा है। जेपीसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट लगभग तैयार हो चुकी है, जो 500 पन्नों से अधिक की है। यह रिपोर्ट 31 जनवरी तक लोकसभा स्पीकर को सौंपी जाएगी। अगर विपक्ष असहमति नोट दर्ज करता है, तो इसे रिपोर्ट का हिस्सा बनाया जाएगा। इसके बाद संसद में इस विधेयक पर चर्चा होगी और पारित होने के बाद यह कानून बनेगा।

अगर यह विधेयक कानून बनता है, तो वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी हो सकता है। लेकिन विपक्ष की आशंकाएं और प्रावधानों की सख्ती इसे विवादित भी बना सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में इस विधेयक पर क्या रुख अपनाया जाता है और देश में वक्फ संपत्तियों का भविष्य क्या होगा।

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर एक बड़ा कदम है। हालांकि, इसके प्रावधानों और प्रभाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में मतभेद बने हुए हैं। इस विधेयक के लागू होने के बाद मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों का प्रबंधन कितना पारदर्शी और न्यायसंगत होता है, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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