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Waqf Board Amendment Bill : क्यों बनाई जाती है JPC, कौन होता है इसका सदस्य, कैसे आता है फैसला

वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन से जुड़े बिल का जबरदस्त विरोध करते हुए विपक्ष ने इसे जेपीसी में भेजने की मांग की। तो सरकार भी तुरंत राजी हो गई।और इस संशोधन बिल को जेपीसी में भेजने में जरा भी देरी नहीं लगाई, जानिये क्या है JPC ?
Waqf Board Amendment Bill : क्यों बनाई जाती है JPC, कौन होता है इसका सदस्य, कैसे आता है फैसला

वक्फ बोर्ड कानूनों में संशोधन को लेकर पिछले कई दिनों से जोरदार चर्चा हो रही थी।सदन से लेकर सड़कों तक खूब माहौल बनाया गया कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड कानूनों में बड़ा बदलाव करने वाली है।ऐसी तमाम चर्चाओं के बीच आठ अगस्त को मोदी सरकार ने आखिरकार वक्फ बोर्ड में संशोधन से जुड़ा बिल सदन में पेश कर ही दिया। जिस पर सदन में जोरदार बहस छिड़ी और विपक्ष की मांग के बाद मोदी सरकार ने वक्फ बिल को जेपीसी को भेज दिया।

क्या है JPC जिसे भेजा गया वक्फ बोर्ड बिल ?

वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन से जुड़े बिल का जबरदस्त विरोध करते हुए विपक्ष ने इसे जेपीसी में भेजने की मांग की तो सरकार भी तुरंत राजी हो गई।और इस संशोधन बिल को जेपीसी में भेजने में जरा भी देरी नहीं लगाई।ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि। 

दरअसल संसद के काम को निपटाने के लिए दो तरह की समितियां बनाई जाती हैं। स्थायी समितियां और तदर्थ समितियां जिनमें तदर्थ समिति एक ऐसी समिति होती है जिसका गठन किसी खास मामले को लेकर किया जाता है।जिसका उद्देश्य पूरा हो जाने पर भंग कर दिया जाता है।ऐसी ही समिति होती है संयुक्त संसदीय समिति जिसे JPC भी कहा जाता है यानि Joint Parliamentary Commission

क्या है JPC ?

इस समिति में सभी पार्टियों की बराबर भागीदारी होती है जिसके पास ये अधिकार होता है कि जिस मुद्दे को लेकर जेपीसी का गठन किया जाता है, उस मुद्दे से जुड़े किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी पक्ष को पूछताछ के लिए बुला सकती है और अगर वो पेश नहीं होता है तो इसे संसद की अवमानना माना जाता है, जिसके बाद जेपीसी मामले से जुडे़ व्यक्ति या संस्था से लिखित या मौखिक या फिर दोनों तरह से जवाब मांग सकता है।

बात जेपीसी यानि संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों की करें तो।

JPC की संरचना

  • JPC में ज्यादा से ज्यादा 30 से 31 सदस्य हो सकते हैं
  • JPC का अध्यक्ष बहुमत वाली पार्टी का सदस्य होता है
  • राज्यसभा के मुकाबले लोकसभा के सदस्य ज्यादा होते हैं
  • 30 सदस्य हैं तो 20 लोकसभा और 10 राज्य सभा के होंगे
  • JPC में बहुमत वाली पार्टी के सदस्यों की संख्या ज्यादा होती है
  • जांच के लिए ज्यादा से ज्यादा 3 महीने की समय सीमा होती है
  • मामले की जांच के बाद संसद के सामने रिपोर्ट पेश करनी होती है
  • संसद में रिपोर्ट पेश होने के बाद JPC का अस्तित्व खत्म हो जाता है

देश के संसदीय इतिहास में अब तक अलग अलग मामलों को लेकर कुल आठ बार जेपीसी का गठन किया जा चुका है। जबकि साल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार साल 2015 में भूमि अधिग्रहण पुनर्वास बिल को लेकर जेपीसी का गठन किया गया था।हालांकि अभी तक इस पर कोई नतीजा नहीं आया है तो वहीं साल 2016 में आखिरी बार एनआरसी के मुद्दे को लेकर जेपीसी का गठन किया गया था। इस मामले में भी अभी तक कोई नतीजा नहीं आया है और अब वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन से जुड़े बिल को मोदी सरकार ने जेपीसी को भेज दिया है। अब इसका नतीजा कब तक आएगा फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता।यही वजह है कि मोदी सरकार ने इस बिल को जेपीसी के लिए भेजा तो ये कहा जाने लगा कि ये बिल भी फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया।

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