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महाकुंभ को ‘बदनाम’ करना है दरगाह पर चादर चढ़ानी है !

सोशल मीडिया पर पत्रकार रवीश कुमार का एक वीडियो बहुत तेज़ी से वायरल हो रहा है। ये वीडियो कुछ दिन पहले का है लेकिन एक बार फिर लोग रवीश कुमार पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
महाकुंभ को ‘बदनाम’ करना है दरगाह पर चादर चढ़ानी है !
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ में अब तक 60 करोड़ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। लगभग लगभग आधी आबादी महाकुंभ में अपनी हाज़िरी दर्ज करा चुकी है, लेकिन दूसरी तरफ़ वो तबका भी है जिसे महाकुंभ में आस्था का सैलाब छोड़कर बाकि सब कुछ दिखाई दे रहा है मसलन भगदड़, आग, गंदा पानी, अव्यवस्था, ज़्यादा भीड़, ट्रैफ़िक सब कुछ।ये वो तबका है जो तप की नगरी में करोड़ों श्रद्धालुओं के बीच आकर भी 5 स्टार वाली सुविधाये चाहता है।अगर सुविधा में एक स्टार भी कम हुआ तो ये तबका सोशल मीडिया पर आकर रोना धोना करना चालू कर देगा।

अब बताइये आप तपोनगरी में जा रहे हैं, आप संगम में स्नान करने के लिए जा रहे हैं और उसमें आप ढूंढ रहे हैं कि सारी सुख सुविधाये मिल जाएं, उससे जरा भी कम हुई तो महाकुंभ के ख़िलाफ बोलना शुरू कर देंगे। ये वो लोग हैं जो राजनीति में योगी विरोधियों को भी मौक़ा दे रहे हैं, तभी तो कभी ममता दीदी मृत्युकुंभ बता दे रही हैं तो कभी लालू जैसे नेता इसे फालतू करार दे रहे हैं। अखिलेश भले ही संगम में डुबकी लगा आये लेकिन महाकुंभ पर राजनीति करना बंद नहीं कर रहे और ना ही उनके समर्थक रुक रहे हैं।

जरा सोचिये, जिन लोगों के पास महाकुंभ जाने का वक़्त नहीं है, या कह लीजिये उन्हें महाकुंभ जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है, वो लोग अगर दरगाह पर जाकर चादर चढ़ाएंगे तो सवाल नहीं उठेंगे ? हाल ही में ऐसा ही किया है एक जाने माने पत्रकार ने। कौन है ये पत्रकार ? क्या आप Guess कर सकते हैं ? ये पत्रकार हैं रवीश कुमार। जबसे महाकुंभ शुरु हुआ है तभी से रवीश कुमार महाकुंभ को लेकर ज़बरदस्त प्रोपगेंडा फैला रहे हैं, लेकिन जब बारी आई दरगाह में जाने की तो जनाब ने चेहरे के हाव भाव ही बदल गये।


30 जनवरी का उनका ट्वीट देखिये। कुंभ की दुर्घटना ने फिर से साबित कर दिया कि गोदी मीडिया लोकतंत्र का हत्यारा है। दिन रात धर्म के नाम पर लोगों को उकसाने वाला यह मीडिया मारे गए लोगों का धर्म ही भूल गया। कम से कम पत्रकारिता का धर्म तो यही कहता था कि गोदी मालिक और गोदी एंकर मृतक परिवारों के साथ खड़े रहते। हमने हमेशा कहा है जो मीडिया अपने पेशे के धर्म की रक्षा नहीं कर पाया, बल्कि उस धर्म की हत्या कर दी वो आपके धर्म का रक्षक कभी नहीं हो सकता। गांधी जी की शहादत को इसलिए  भी याद रखना चाहिए ताकि हम अपराधियों और हत्यारों को समय पर पहचान सकें। इस वीडियो में आवाज़ मशहूर लोक गायिका चंदन तिवारी की है और मेरी मातृभाषा भोजपुरी के महान कवि रसूल मियाँ ने गीत लिखा है। गीत पूरा नहीं है लेकिन यू ट्यूब पर पूरा मिल जाएगा। तस्वीर में जो किताब है उसके लेखक धीरेंद्र कुमार झा है। हर किसी को यह किताब पढ़नी चाहिए।

दूसरा ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा- कुंभ में भगदड़ के समय आज तक और उसके अंग्रेज़ी चैनल का कवरेज कैसा था? क्या किसी ने पूरे दिन का अध्ययन किया है ? तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा था- आज वीआईपी पास के रद्द किए जाने को लेकर ख़बर छपी है। किसी ख़बर में इसका ज़िक्र नहीं है कि अभी तक कितने पास जारी किए गए थे और कितने पास रद्द किए जा रहे हैं। अभी तक वीआईपी पास वाले कितने वीआईपी स्नान करके गए हैं? वीआईपी पास वालों के लिए क्या इंतज़ाम था? कुछ जानकारी नहीं है। 

चैनलों और अख़बारों के मालिकों को अपना अपना संस्थान उस मालिक के नाम रजिस्ट्री कर कुंभ चले जाना चाहिए, जिस मालिक के लिए ख़बरों की हत्या की जा रही है। कह देना चाहिए कि सर आप ही संभालो। आप ही ख़बर तय करो, आप ही लिखो, आप ही ऐंकरिंग करो। कुंभ पर रवीश कुमार को पूरा अपडेट दर्शकों तक पहुंचानी थी।महाकुंभ दर्शन करने को लेकर तो रवीश कुमार ने कोई अपडेट नहीं दी लेकिन जब मौक़ा आया दरगाह में जाने का तो रवीश कुमार दौड़े दौड़े पहुंच गये।

हाल ही में रवीश कुमार हजरत निज़ामुद्दीन दरगाह पर अकीदत के फूल चढ़ाते नज़र आये। VIDEO LAGANA रवीश के इस वीडियो को देख सोशल मीडिया पर लोग जमकर उन्हें खरी खोटी सुना रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा- महाकुंभ की सारी कमियां निकालने के बाद मौलाना रवीश जी पहुंचे गरीब नवाज़ के दरगाह पर दो शब्द रवीश जी के शान में ज़रूर लिखे

एक और यूज़र ने लिखा- सही बात है और इसकी बड़ी गैंग है। लेकिन खबीस ने जालीदार टोपी नहीं पहना है। इसी तरह से रवीश कुमार का जमकर विरोध हो रहा है, फ़िलहाल ये वीडियो है लगभग 20 दिन पुराना लेकिन एक बार फिर से वायरल हो रहा है।

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