PM Modi के पैर छूने पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने क्या कहा ?
मुकेश अंबानी के घर से आई वीडियो ने देखते ही देखते तहलका मचा दिया, क्योंकि ऐसा शायद ही कभी देखने को मिला हो कि दिन रात बीजेपी का विरोध करने वाले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से पीएम मोदी ने कभी इस तरह से मुलाकात की हो।यही वजह है कि पीएम मोदी ने जब अंबानी के घर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के पैर छुए तो हर कोई हैरान रह गया, तो वहीं अब इस मामले पर खुद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी हमारे दुश्मन नहीं हैं। हम उनके शुभचिंतक हैं और हमेशा उनकी भलाई के लिए बोलते हैं अगर वो कोई गलती करते हैं तो हम उन्हें बताते भी हैं।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भले ही दिन रात बीजेपी का विरोध करते रहे हों लेकिन इसके बावजूद पीएम मोदी ने उनके पैर छुए तो ये प्रधानमंत्री के संस्कार ही थे। तो वहीं दूसरी तरफ अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी पीएम मोदी को अपने गले से उतार कर रुद्राक्ष माला दी ,तो ये एक गुरु का फर्ज था।जिनके सामने कोई दुश्मन भी आशीर्वाद मांगने आए तो , उसे आशीर्वाद दिया जाना ना चाहिए।इसी गुरु परंपरा को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी निभाया और खुद बताया कि पीएम मोदी कोई उनके दुश्मन नहीं हैं। वैसे एक बात और आपको बता दें ये कोई पहली बार नहीं है जब अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पीएम मोदी की तारीफ की हो इससे पहले इसी साल फरवरी में हुई राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पीएम मोदी की तारीफ की थी।उस वक्त शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था-
सच्चाई यह है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से हिंदुओं का स्वाभिमान जाग गया है, यह छोटी बात नहीं है, हमने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है, हम मोदी विरोधी नहीं बल्कि मोदी के प्रशंसक हैं, हम उनकी प्रशंसा करते हैं क्योंकि स्वतंत्र भारत में ऐसा कौन सा प्रधान मंत्री है जो इतना बहादुर है, जो हिंदुओं के लिए दृढ़ता से खड़ा है? हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं लेकिन वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो हिंदू भावनाओं का समर्थन करते हैं।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कई बार ये बात साफ कर चुके हैं कि वो मोदी विरोधी नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद कई मौके ऐसे भी आए जब उन्हें मोदी या योगी के विरोध में बयान देते हुए देखा गया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात है, नरेंद्र मोदी वाराणसी सीट से चुनाव लड़ रहे थे तो उस वक्त संतों के संगठन राम राज्य परिषद ने मोदी के खिलाफ भगवान पाठक को निर्दलीय उम्मीदवार उतारा था लेकिन एफिडेविट में खामी की वजह से उनका नामांकन खारिज हो गया था। जिसके विरोध में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती धरने पर बैठ गये थे इतना ही नहीं साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी के खिलाफ हैदराबाद के शिवकुमार कोली शेट्टी चुनावी मैदान में उतरे थे। जिनका समर्थन खुद अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने किया था, हालांकि वो चुनाव हार गये बात यहीं खत्म नहीं होती। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षनाथ मठ के महंत योगी आदित्यनाथ का भी विरोध कर चुके हैं। योगी के मुख्यमंत्री बनने पर सवाल उठाते हुए अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि -
संत महंत हो सकता है लेकिन सीएम और पीएम नहीं, जब वो संवैधानिक पद पर बैठता है तो उसे धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेनी पड़ती है, ऐसे में वह व्यक्ति धार्मिक कैसे रह सकता है, कोई भी व्यक्ति दो प्रतिज्ञाओं का पालन नहीं कर सकता- एक संतत्व की और एक संवैधानिक पद की, यह केवल इस्लाम में ही संभव है जहां राजा धार्मिक प्रमुख भी हो सकता है।
बात चाहे मोदी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की हो या फिर योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर सवाल उठाने की,एक शंकराचार्य होने के बावजूद अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बीजेपी पर सवाल उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।लेकिन इसके बावजूद तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए खुद पीएम मोदी ने अंबानी के घर मौजूद अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के पैर छू कर उनका आशीर्वाद लिया।यही होता है संस्कार जो विरोधियों को भी दे पूरा सम्मान।