पत्रकार ने ऐसा क्या पूछ लिया कि तमतमा गए Nitin Gadkari? उंगली दिखाकर बोले- ये धंधा बंद है !
अगर कोई नेता आपसे वादा करता है कि जी हमें वोट देंगे तो हम आपको ये ये चीजें फ़्री में देंगे तो कितना अच्छा लगता है ना? और मिल भी जाती हैं, कई राज्यों की सरकारों को ऐसा करते हुए देखा गया है। कहीं पर फ़्री बिजली है, कहीं पर पानी है, कहीं पर बस है, कहीं पर राशन है, कहीं पर कुछ है | कभी सोचा है जीवन में कुछ फ़्री में मिलता है क्या? अपने स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, परिवार, दोस्तों कहीं पर देखिए कभी फ़्री में कुछ मिलता है क्या? आपको नहीं लगता है फ़्री सिर्फ़ मायाजाल है, इसके बदले आपको कुछ ना कुछ जरुर चुकाना पड़ता है | आज नहीं तो कल, आप नहीं तो आपके बच्चे, ये फ़्री वाली स्कीम का ख़ामियाज़ा जरुर भुगतना होगा |
देश में केजरीवाल जैसे नेताओं की कमी नहीं है, कहने का मतलब है फ़्री में बहुत कुछ देने वाले, लेकिन फिर नितिन गडकरी जैसे भी नेता हैं | जिनसे किसी भी मीटिंग में, किसी भी मंच पर, किसी भी कार्यक्रम में फ़्री की बात कर लो तो वो भड़क उठते हैं, साफ़ कहते हैं कि भैया यहां फोकट क्लास नहीं चलेगी, ये धंधा यहां बंद है | अगर अच्छी सर्विस चाहिए तो फिर पैसा दो। कई बार तो नितिन गडकरी को पत्रकारों तक की क्लास लगाते हुए देखा गया है।
दरअसल गडकरी मोदी कैबिनेट में इकलौते ऐसे मंत्री है जो ना सिर्फ़ सबसे ज़्यादा काम करते हैं बल्कि जिनके मुरीद विरोधी दलों के नेता भी हैं। आपने गडकरी का नाम किसी विवादित बयान की वजह से नहीं बल्कि बेहतरीन काम को लेकर ही सुना होगा। सड़कों का जाल बिछा दिया है, कनेक्टिविटी अच्छी कर दी है। रोडवेज़, हाइवेज, एक्सप्रेसवेज सब ज़बरदस्त कर दिया है, लेकिन इन पर चलने के लिए आपको कई सारे टोल प्लाज़ा से होकर गुजरना पड़ता है। ज़ाहिर है टोल भी देना पड़ता है।
इसी को लेकर एक बार एक पत्रकार ने गड़करी से कह दिया कि सर पत्रकारों के लिए तो टोल फ़्री होना चाहिए | गडकरी ने भी बिना देर किए कहा कि फोकट क्लास का मैं समर्थक नहीं हूँ। ये धंधा यहाँ बंद हैं। अगर आपको अच्छी सर्विस चाहिए तो आपको पे करना पड़ेगा | मैं भी ब्याज पर पैसा उठाता हूँ, हाइवेज बनवाता हूँ तो वो मुझे वापस भी तो करना है | आज आप आ जाइये फिर स्वतंत्रता सेनानी, फिर महिलाएँ, फिर विकलांग | मैं ये सब नहीं करता, झूठ मैं बोलता नहीं |
सिर्फ़ यही नहीं, एक और प्रेस कान्फ्रेंस में जब गड़करी से ऐसा ही सवाल हुआ तो फिर उन्होंने कुछ ऐसा ही जवाब दिया। गड़करी का तो साफ़ कहना है कि वो फोकट क्लास का समर्थन नहीं करते |