MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन क्या है जो अमेरिका भारत को देगा, क्या है इसकी खासियत?
पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के बीच हुई मुलाकात के दौरान भारत को MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन की डील पर सहमति बनी है। यह ड्रोन न केवल सैन्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों को भी मजबूत करेगा।
पीएम मोदी अमेरिका के तीन दिवसीय दौरे पर है, जहां हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के बीच हुई मुलाकात के दौरान भारत को MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की डील पर सहमति बनी है। यह ड्रोन न केवल सैन्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों को भी मजबूत करेगा।
आपको बता दे कि अमेरिका द्वारा भारत को 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की बिक्री की घोषणा फरवरी 2023 में की गई थी। इस डील में भारतीय नौसेना को 15 सी-गार्जियन ड्रोन और भारतीय सेना तथा वायुसेना को 8-8 स्काई-गार्जियन ड्रोन मिलेंगे। यह डील लगभग 3.99 अरब डॉलर की अनुमानित लागत पर होगी। अमेरिकी डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी के अनुसार, यह डील भारत की सुरक्षा और सामरिक स्थिति को मजबूत करेगी।
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन क्या है?
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन एक उन्नत मानवरहित हवाई वाहन (UAV) है, जिसे मुख्य रूप से निगरानी और टारगेट स्ट्राइकिंग के लिए डिजाइन किया गया है। इसे अमेरिकी रक्षा मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है और यह हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) कैटेगरी में आता है। यह ड्रोन 40 घंटे से अधिक उड़ान भरने की क्षमता रखता है और इसकी रेंज 1850 किलोमीटर है, जिससे यह दूरदराज के लक्ष्यों को भी निशाना बना सकता है। वैसे आपको बताते चले कि MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन का विकास 1990 के दशक में शुरू हुआ। इसके पूर्ववर्ती MQ-1 प्रीडेटर ड्रोन ने अमेरिका के कई सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, खासकर आतंकवाद विरोधी अभियानों में। साल 2001 में 9/11 के हमलों के बाद, अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग करना शुरू किया। MQ-1 प्रीडेटर को पहली बार अफगानिस्तान में तैनात किया गया था। जिसके बाद साल 2007 में MQ-9 ड्रोन को अमेरिकी एयरफोर्स द्वारा पहली बार तैनात किया गया, और इसे अधिक उन्नत क्षमताओं के साथ विकसित किया गया, और साल 2020 में MQ-9B का विकास हुआ। MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन को विशेष रूप से समुद्री निगरानी और तटीय सुरक्षा के लिए विकसित किया गया था। आपको बता दें कि अमेरिका ने MQ-9B ड्रोन का इस्तेमाल कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में किया है। 2022 में, इसी ड्रोन के माध्यम से अलकायदा के प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया गया था। यह ड्रोन न केवल सैन्य संचालन में, बल्कि मानवता की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की विशेषताएँ
हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE): MQ-9B ड्रोन की डिजाइन इसे उच्च ऊंचाई पर लंबे समय तक उड़ान भरने की अनुमति देती है, जिससे यह 40 घंटे तक लगातार कार्य कर सकता है।
रेंज और पेलोड: इस ड्रोन की रेंज 1850 किलोमीटर है, और यह 2177 किलो के पेलोड को ले जाने की क्षमता रखता है। इसमें लेजर गाइडेड मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल और एंटी शिप मिसाइल शामिल होते हैं।
मल्टी-रोल क्षमताएँ: MQ-9B को निगरानी, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उपयोग किया जा सकता है। इसका उपयोग सामरिक निगरानी, डेटा संग्रह और हवाई हमलों में भी होता है।
कमांड और कंट्रोल: यह ड्रोन रिमोट से संचालित होता है, जिसमें एक ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन होता है। ऑपरेटर इसे दूर से नियंत्रित कर सकते हैं और मिशन के दौरान रीयल-टाइम डेटा प्राप्त कर सकते हैं।
उन्नत सेंसर: MQ-9B में उन्नत इन्फ्रारेड, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सेंसर लगे होते हैं, जो इसे 24/7 निगरानी करने की क्षमता प्रदान करते हैं।
भारत के लिए MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की डील एक महत्वपूर्ण विकास है। यह ड्रोन भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाने में सहायक होगा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी सहायता करेगा। इसके द्वारा भारत को निगरानी में मदद मिलेगी, खासकर सीमाई क्षेत्रों में।
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की डील भारत के लिए एक नई रणनीतिक शुरुआत है। यह न केवल देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगा। वैसे आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और बिडेन की मुलाकात के बाद अमेरिका ने भारत को 297 पुरातात्विक अवशेष लौटाने पर भी सहमति जताई। जिसके बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि यह भारत के सांस्कृतिक धरोहर और तकनीकी क्षमताओं के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम होगा।