Dhami सरकार ने बदले 17 स्थानों के नाम तो क्या बोले Akhilesh Yadav?
पहले योगी सरकार के फैसले का किया विरोध और इलाहाबाद, फैजाबाद जैसे शहरों के नाम बदलने पर उठाया सवाल तो वहीं अब उत्तराखंड में बदले गये 17 स्थानों के नाम पर भी अखिलेश को बुरा लग गया !

सपाई मुखिया अखिलेश यादव पहली और आखिरी बार साल 2012 में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। वो भी अपने पिता मुलायम सिंह यादव के दम पर।और जैसे ही साल 2017 में विधानसभा चुनाव आया। उन्हें कांग्रेस की बैसाखी की जरूरत पड़ गई। लेकिन इसके बावजूद यूपी की जनता ने अखिलेश के साथ साथ उनके साथी राहुल गांधी को भी पूरी तरह से नकार दिया। और ऐसा नकारा कि साल 2022 के चुनाव में भी उन्हें सत्ता नसीब नहीं हो सकी। और अब सपाई नेताओं को लगता है कि साल 2027 का विधानसभा चुनाव जीत कर अखिलेश यादव सत्ताइस के सत्ताधीश बनेंगे। लेकिन जिस तरह की राजनीति सपाई मुखिया अखिलेश यादव कर रहे हैं।उसे देख कर लगता है 2027 तो छोड़िये। साल 2032 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी उन्हें सत्ता नहीं मिलने वाली है।
दरअसल यूपी में मुसलमानों का एक बड़ा वोट बैंक है।और इस वोट बैंक पर सबसे ज्यादा नजर किसी सियासी पार्टी की रहती है तो वो है सपा बसपा कांग्रेस। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है साल 2022 का विधानसभा चुनाव जब भारी संख्या में मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया था। शायद यही वजह है कि सपाई मुखिया अखिलेश यादव मुगल प्रेम से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। क्योंकि ये बात वो भी जानते हैं कि आज भी मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग मुगलों को अपना हीरो मानता है।और शायद उसी वर्ग को खुश करने के लिए सपाई सांसद रामजी लाल सुमन ने भरे सदन में देश के हीरो राणा सांगा को गद्दार कह दिया। और अखिलेश आज तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सके।
ये बात पूरा देश जानता है कि मुगलों ने कैसे भारत के मठ मंदिरों को तोड़ कर मस्जिदें बनवाई थीं।लेकिन इसके बावजूद मुगलों के खिलाफ सबसे ज्यादा आवाज कोई पार्टी उठाती है तो वो बीजेपी ही है। सपा तो जैसे बोलने से भी बचती है। यहां तक कि जब योगी सरकार ने इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे शहरों का नाम बदल कर प्रयागराज और अयोध्या कर दिया तो सपा को वो भी बर्दाश्त नहीं हुआ। और अब जब उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जैसे जिलों के कई इलाकों के नाम बदले तो अखिलेश यादव इस पर भी बौखला गये और सरकार के फैसले पर ही सवाल उठाते हुए तंज मार दिया कि उत्तराखंड का भी नाम बदल कर उत्तर प्रदेश टू कर दीजिये।
अखिलेश यादव का ये बयान बता रहा है कि मुगलों के नाम पर रखे गये इलाकों का नाम बदलने पर उन्हें कितनी तकलीफ हो रही है। जबकि ये बात पूरा भारत जानता है जिन मुगलों ने मंदिरों को तोड़ा। हिंदुओं पर अत्याचार किया। उन मुगलों का नामोनिशान मिटाए जाने पर भला उन्हें क्यों इतनी तकलीफ हो रही है।
हरिद्वार और देहरादून के अलावा। नैनीताल जिले में नवाबी रोड को अटल मार्ग और पनचक्की से ITI मार्ग को गुरु गोलवलकर मार्ग किया गया तो वहीं उधम सिंह नगर के नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी का नाम बदल कर कौशल्या पुरी किया गया। यानि उत्तराखंड के कुल 17 इलाकों के नाम बदले गये जिसका और किसी ने विरोध भले ही नहीं किया हो लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जरूर विरोध किया और उत्तराखंड की बीजेपी सरकार को उत्तराखंड का नाम भी बदल कर उत्तर प्रदेश टू करने की सलाह दे डाली। क्योंकि उत्तराखंड उत्तरप्रदेश से ही अलग होकर बना है। जिसका नाम पहले उत्तरांचल था लेकिन उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड नाम हो गया। बहरहाल इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलने पर सवाल उठाने वाले अखिलेश यादव ने अब जिस तरह से देवभूमि उत्तराखंड में 17 स्थानों के नाम बदलने पर तंज मारा है ।