JDU ने सरकार से समर्थन लिया वापस तो गुस्से में Nitish ने लिया बड़ा एक्शन !
Bihar और केंद्र में NDA की एक महत्वपूर्ण सहयोगी जनता दल यूनाइटेड यानि JDU मणिपुर में बंटी दिख रही है, 22 जनवरी को कुछ ऐसी घटना हुई कि पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं को सामने आकर बयान देना पड़ा, क्या है पूरा मामला देखिये इस रिपोर्ट में !

देश की सत्ता संभाल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार दो लोकसभा चुनावों में जनता ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में बैठाया। लेकिन साल 2024 के लोकसभा चुनाव में इसी जनता ने पीएम मोदी को सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं दिया। जिसकी वजह से मजबूरन पीएम मोदी को नीतीश की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी की बैसाखी के सहारे सरकार चलानी पड़ रही है।और ये दोनों ही ऐसे सहयोगी हैं जिनका इतिहास रहा है मोदी को धोखा देने का। यही वजह है कि बिहार और आंध्र प्रदेश में पत्ता भी हिलता है तो दिल्ली में हड़कंप मच जाता है।कुछ ऐसा ही एक बार फिर हुआ जब अचानक जेडीयू ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया।
दरअसल बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू दिल्ली में केंद्र सरकार चला रहे पीएम मोदी का समर्थन तो कर ही रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भी जेडीयू अब तक बीजेपी सरकार के साथ ही थी।लेकिन 22 जनवरी को मणिपुर जेडीयू के अध्यक्ष बिरेन सिंह ने अचानक बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया।और राज्यपाल को आधिकारिक चिट्ठी भेजते हुए कह दिया कि। "फरवरी-मार्च 2022 में मणिपुर विधानसभा के लिए हुए चुनाव में जेडीयू के छह उम्मीदवार जीते थे, कुछ महीनों के बाद जदयू के पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए, पांचों विधायकों के खिलाफ भारत की दसवीं अनुसूची के तहत स्पीकर न्यायाधिकरण में मुकदमा लंबित है, I.N.D.I.A ब्लॉक का हिस्सा बनने के बाद जेडीयू ने भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया गया, अब मणिपुर में जेडीयू के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर को विधानसभा में विपक्ष का विधायक माना जाए"
मणिपुर जेडीयू अध्यक्ष बीरेन सिंह ने जैसे ही बीजेपी सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान किया। राजनीति में हड़कंप मच गया। लेकिन इस से मणिपुर की बीजेपी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। क्योंकि 60 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी 37 विधायकों के साथ बहुमत में है। तो वहीं दूसरी तरफ मणिपुर जेडीयू में बगावत की खबर जैसे ही बिहार तक पहुंचीं तो सीएम नीतीश कुमार तुरंत एक्शन में आ गये। और उन्होंने अपने ही नेता बीरेन सिंह को बर्खास्त कर दिया। इस पूरे मामले पर खुद जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने बयान देते हुए कहा कि " यह भ्रामक और निराधार है, पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है और पार्टी की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है, हमने NDA का समर्थन किया है और मणिपुर में NDA सरकार को हमारा समर्थन जारी रहेगा। हम NDA के साथ हैं और राज्य इकाई मणिपुर के लोगों की सेवा करती रहेगी और राज्य के विकास में योगदान देगी"
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने तो बयान देकर साफ कर दिया कि फिलहाल ना तो मणिपुर की बीजेपी सरकार को कोई खतरा है। और ना ही दिल्ली में बैठी मोदी सरकार की कोई खतरा है। क्योंकि नीतीश अभी भी बीजेपी के साथ हैं। और वो खुद एक बार नहीं। कई बार सफाई दे चुके हैं कि अब वो मोदी को छोड़ कर इधर उधर कहीं नहीं जाएंगे। लेकिन नीतीश का इतिहास ही ऐसा है कि उनके भरोसे के बावजूद जेडीयू में हुई एक हरकत से दिल्ली में बैठे मोदी के माथे पर सिकन आ जाती होगी। क्योंकि इससे पहले भी नीतीश कुमार मोदी का साथ छोड़ कर लालू से हाथ मिला चुके हैं। और अब तो बिहार में विधानसभा चुनाव भी आने वाला है।