जब आंतकियों ने मजदूरों पर की फायरिंग, Z टनल से क्यों डरे थे आतंकी ?
PM Modi ने जम्मू कश्मीर के गांदरबल में जेड टनल मोड़ टनल का उद्घाटन किया. ये टनल जम्मू कश्मीर और लद्दाख के विकास में गेमचेंजर साबित होगी.
आंतकियों का निशाना बने सभी लोग जेड टनल के मजदूर थे।वो ही जेड टनल जिसका PM मोदी ने उद्घाटन किया है।जेड टनल जिसका निर्माण आंतकी हर हाल में बंद करवाना चाहते थे। लेकिन ऐसा क्यों इसे समझते हैं।और समझेंगे की ये ना केवल कश्मीर, लेह बल्कि देश की सुरक्षा औऱ टूरिज्म के लिए भी कितनी अहम है ? PM मोदी ने जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में जेड मोड़ टनल का इनॉगरेशन किया, श्रीनगर-लेह हाइवे पर बनी ये 6.4 किलोमीटर लंबी डबल लेन टनल श्रीनगर को सोनमर्ग से जोड़ेगी।
3-4 घंटे की दूरी 45 मिनट में होगी कवर।
जेड मोड़ टनल के शुरू होने के बाद पहाड़ के मुश्किल रास्ते जिसे क्रॉस करने में 3 से 4 घंटे लगते थे वो अब 45 मिनट में पूरे होंगे।कश्मीर के गगनगीर से सोनमर्ग के बीच एक घंटे की दूरी 15 मिनट में पूरी होगी। और सबसे खास बात इस टनल पर कोई टोल भी नहीं लगेगा।
जेड टनल के बारे में सब कुछ जानें ।
Z शेप में रास्ते की वजह से इसे जेड मोड़ टनल नाम दिया गया। श्रीनगर से लेह को जोड़ने वाले NH-1 पर बनी जेड टनल। टनल के एक छोर पर कंगन कस्बा है तो दूसरे छोर पर सोनमर्ग। गांदरबल के गगनगीर में पहाड़ी ग्लेशियर थजीवास के नीचे बनी ।जेड टनल समुद्र तल से 8650 फीट की ऊंचाई पर बनी है। जेड टनल लद्दाख को पूरे साल रोड कनेक्टिविटी से जोड़ेगी सर्दियों में बर्फबारी के दौरान ये रास्ता बंद हो जाता था। जेड टनल से ऑल वेदर कनेक्टिविटी में अहम साबित होगी जेड टनल में दो लेन हैं इमरजेंसी के लिए समानांतर 7.5 मीटर चौड़ा रास्ता है
जेड मोड़ टनल के 4 हिस्सों की बात करें तो एक मेन टनल है जो 6.5 किलोमीटर और 10 मिनट चौड़ी है।
समानांतर इस्केप टनल जो 6.4 किलोमीटर लंबी और 7.5 मीटर चौड़ी है इसका निर्माण इमरजेंसी के लिए किया गया ।
तीसरा हिस्सा वेंटिलेश टनल जो 0.6 किलोमीटर लंबी और 8.3 मीटर चौड़ा है टनल में हवा की क्वालिटी बरकरार रखने के लिए निर्माण ।
चौथा हिस्सा अप्रोच रोड है जो टनल के दोनों छोर पर बना है NH 1 से टनल तक जाने के लिए।
राहुल गांधी ने किया था भूमिपूजन।
जेड टनल को बनने पूरे 12 साल लग गए। 4 अक्टूबर 2012 को UPA सरकार के दौरान राहुल गांधी और जम्मू कश्मीर के जम्मू कश्मीर के तत्कालीन CM उमर अब्दुल्ला ने टनल का भूमिपूजन किया था। राहुल गांधी उस वक्त कांग्रेस महासचिव थे। ये संयोग की ही बात है कि टनल की नींव रखी गई तब और आज जब इसकी शुरूआत हो गई तब उमर अब्दुल्ला बतौर मुख्यमंत्री दोनों पलों के गवाह रहे।
सेना की राह आसान, आंतकियों का काल।
बात चाहे जम्मू कश्मीर और लेह लद्दाख में टूरिज्म बढ़ाने की हो, आर्थिक और सामाजिक विकास की हो जेड टनल इनके बीच की एक कड़ी है और इसने सेना की राह भी आसान बना दी। पूरे साल श्रीनगर से लद्दाख तक आवाजाही चालू रहेगी।
श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह के इलाके में सिक्योरिटी बढ़ेगी। बॉर्डर के पास वाले इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा। बॉर्डर एरिया के पास तैनात जवानों को मिलेगा फायदा। सियाचिन ग्लेशियर, पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात सैनिकों तक सड़क मार्ग से पहुंचेंगी सुविधाएं।
रक्षा जरूरतों और क्षेत्रीय विकास में अहम जेड टनल।
वॉर या किसी तरह की तनाव की स्थिति में देश को ऐसी टनल की जरूरत है जिससे बर्फबारी में भी सेना के रास्ते में ब्रेकर ना बने।
ऑल वेदर रोड से टूरिज्म को लगे पंख
कश्मीर में मौसम की कई चुनौतियां है बर्फबारी स्नोफॉल विकास और टूरिज्म की राह में रोड़ा हैं. कई सड़कें ठप हो जाती हैं. नवंबर से मार्च तक बंद होने वाला गगनगीर और सोनमर्ग का रास्ता पूरे साल खुला रहेगा
थजीवास ग्लेशियर, सिंध नदी, जोजिला दर्रा, निचिनाई दर्रा, बालटाल, अमरनाथ, कृष्णासर झील, विशनसर झील जैसे टूरिस्ट प्लेस स्थित हैं
यहां पूरे साल टूरिस्ट की आवाजाही रहेगी। होटल, कैब, लोकल दुकानदार, हैंडक्राफ्ट जैसी इंडस्ट्री में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
टनल से क्यों डरे आंतकवादी ?
20 अक्टूबर 2024 को गांदरबल में टनल के निर्माण में लगे मजदूर मेस में खाना खा रहे थे। इस दौरान दो आतंकी शॉल ओढ़े हुए मेस में घुसे।शॉल के अंदर उन्होंने हथियार छुपा रखे थे।
आंतकी मजदूरों के बीच गए औऱ देखते ही देखते वर्कर्स पर फायरिंग कर दी। फायरिंग में एक डॉक्टर समेत 7 लोग मारे गए। आतंकियों का मंसूबा कश्मीर में विकास को रोकना था। दहशत पैदा कर सरकार को मैसेज देने की कोशिश हुई लेकिन सुरंग बनाने वाली कंपनी और पूरी टीम के हौसले बुलंद थे। काम नहीं रूका। सुरक्षा के साथ मौसम, पहाड़ काटना, भौगोलिक संरचना भी एक बड़ी चुनौती थी।
बहरहाल z मोड़ टनल अपने नाम और शेप की तरह ही जम्मू कश्मीर और देश की सुरक्षा के लिए z सिक्योरिटी से कम साबित नहीं होगी। इससे ना केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक विकास को भी गति मिलेगी। लद्दाख और जम्मू कश्मीर के साथ साथ देशभर के लोगों के जुड़ाव का ये नया आयाम बनेगी।