सपा प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोका तो भड़के अखिलेश यादव ने कहा 'ये शासन प्रशासन की नाकामी है'
हिंसा के बाद लगतर विपक्ष ख़ासतौर पर समाजवादी पार्टी योगी सरकार को घेरते हुए कई आरोप लगा रहा है तो वही अब अखिलेश यादव द्वारा संभल भेजे जाने वाले 15 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल को रोका गया तो पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने नाराज़गी जताते हुए शासन से लेकर प्रशासन तक के कार्यों पर सवाल उठाए है।
उत्तर प्रदेश के संभल हिंसा को लेकर राज्य में सियासत लगातार तेज़ होती दिखाई दे रही है। हिंसा के बाद लगतर विपक्ष ख़ासतौर पर समाजवादी पार्टी योगी सरकार को घेरते हुए कई आरोप लगा रहा है तो वही अब अखिलेश यादव द्वारा संभल भेजे जाने वाले 15 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल को रोका गया तो पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने नाराज़गी जताते हुए शासन से लेकर प्रशासन तक के कार्यों पर सवाल उठाए है। वही यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने भी कहा अब हम आगे की रणनीति तय करेंगे इस तरह की तानाशाही का विरोध पार्टी लगातार जारी रखेगी।
प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 30, 2024
भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ… pic.twitter.com/7ouboVnQu4
सपा प्रमुख ने क्या दी प्रतिक्रिया ?
समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोके जाने की जानकारी सामने आते ही पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता। भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए सच्ची कार्रवाई करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए। भाजपा हार चुकी है।" वही दूसरी ओर, प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे माता प्रसाद पांडे ने कहा कि उनके पास संभल डीएम का फोन आया है। उन्होंने दस तारीख तक संभल नहीं आने को कहा गया है। ऐसे में हम आगे की रणनीति तय करेंगे। हमें कहीं भी जाने की आजादी है और यह हमारा मौलिक अधिकार है। सरकार संविधान पर भरोसा नहीं करती इसलिए वो इस तरह का कदम उठा रही है। सरकार सच्चाई के उजागर होने के डर से हमें जाने से रोक रही है। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने एक्स पोस्ट पर लिखा, "सपा प्रतिनिधिमंडल से डरी योगी सरकार। सत्ता के इशारे पर पुलिस ने प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल जी को संभल जाने से रोका, घर में किया नजरबंद। संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही भाजपा सरकार। घोर निंदनीय।"
ग़ौरतलब है कि संभल हिंसा मामले में माता प्रसाद पांडे की अगुवाई में 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया था।समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के निर्देश पर 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को संभल दौरा करना था। प्रतिनिधिमंडल का काम घटना के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाना था। एक रिपोर्ट तैयार कर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपनी थी। इस प्रतिनिधिमंडल में माता प्रसाद पांडे के अलावा विधान परिषद के नेता लाल बिहारी यादव, प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल समेत अन्य विधायक और एमएलसी समेत प्रमुख पदाधिकारी शामिल हैं। अब देखना होगा कि समाजवादी पार्टी संभल हिंसा को लेकर आगे किस प्रकार काम करती है और योगी सरकार के लिए कैसे बड़ी चुनौती बनेगी।