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कौन हैं शिरीन और दीना जिनके नाम है रतन टाटा की वसीयत? जानें 10000 करोड़ में किसे क्या मिलेगा?

भारतीय उद्योगपति और दानवीर रतन टाटा, जो अपनी जिंदगी में अपने सामाजिक कार्यों और सादगी के लिए जाने गए, ने अपने जीवन की संपत्ति का किस तरह से उपयोग करने की योजना बनाई थी। उनके निधन के बाद, उनकी संपत्ति किस तरह से बंटेगी और किन लोगों को इसका फायदा मिलेगा, इसका विवरण लोगों के लिए विशेष दिलचस्पी का विषय है।
कौन हैं शिरीन और दीना जिनके नाम है रतन टाटा की वसीयत? जानें 10000 करोड़ में किसे क्या मिलेगा?

भारतीय उद्योग जगत के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर रतन टाटा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। 28 दिसंबर 1937 को जन्में रतन टाटा ने अपने नेतृत्व और उदारता से टाटा समूह को एक नए आयाम तक पहुँचाया। जब रतन टाटा का 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हुआ, तो उनकी वसीयत ने एक नई चर्चा को जन्म दिया, कि आखिर उनकी वसीयत किस के नाम होगी? और अब जब यह वसीयत पूरी तरह से सामने आ चुकी है तो हम आपको बता दें कि इसमें न केवल उनके परिजनों का ख्याल रखा गया है, बल्कि उनके पालतू कुत्ते टीटो तक का भी ध्यान रखा गया है। आइए जानें, उनकी संपत्ति किसे और कैसे मिलेगी?

टाटा की संपत्ति में क्या-क्या है शामिल?

रतन टाटा की संपत्ति का अनुमानित मूल्य 10,000 करोड़ रुपये के आसपास है। इस संपत्ति में टाटा समूह में उनकी हिस्सेदारी, आलीशान घर, कारों का कलेक्शन, अलीबाग का बंगला, और अन्य निवेश शामिल हैं। साथ ही, उनकी वसीयत में चैरिटी और सामाजिक कार्यों का भी विशेष स्थान है। रतन टाटा की संपत्ति का बड़ा हिस्सा उनकी प्रतिष्ठित संस्था रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को सौंपा जाएगा।

पालतू कुत्ते टीटो के लिए विशेष व्यवस्था

रतन टाटा ने अपने पालतू जर्मन शेफर्ड कुत्ते टीटो के लिए भी अपनी वसीयत में खास प्रावधान किया है। उन्होंने टीटो की आजीवन देखभाल के लिए विशेष व्यवस्था की है। बताया जा रहा है कि उनकी देखभाल अब उनके लंबे समय से वफादार रसोइए राजन शॉ करेंगे। यह निर्णय इस ओर संकेत करता है कि रतन टाटा के जीवन में न केवल उनके रिश्तेदार बल्कि उनके पालतू जानवर भी विशेष स्थान रखते थे। यह प्रावधान भारतीय समाज में पालतू जानवरों के प्रति नए दृष्टिकोण को दिखाता है।

शांतनु नायडू को विरासत में मिली कंपनी की हिस्सेदारी

रतन टाटा के सहायक शांतनु नायडू का नाम भी उनकी वसीयत में शामिल है। रतन टाटा ने शांतनु नायडू के नेतृत्व वाली कंपनी गुडफेलोज में अपनी हिस्सेदारी नायडू के नाम कर दी। गुडफेलोज एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो बुजुर्गों को सहायता प्रदान करता है। शांतनु और टाटा का जुड़ाव पालतू जानवरों के प्रति दोनों के प्रेम के कारण हुआ, और टाटा ने उनके इस कार्य की काफी सराहना की। इसके अलावा, विदेश में नायडू की पढ़ाई के लिए लिया गया पर्सनल लोन भी रतन टाटा ने माफ कर दिया।

परिवार और वफादार कर्मचारियों का ख्याल

रतन टाटा ने अपनी वसीयत में अपने परिवार के सदस्यों को भी खास महत्व दिया है। उनकी संपत्ति का एक हिस्सा उनके सौतेले भाई जिमी टाटा और सौतेली बहनों शिरीन और डियाना जीजीभॉय को दिया गया है।  शिरीन और दीना जेजीभॉय, रतन टाटा की सौतेली बहनें हैं, जो उनके परिवार की महत्वपूर्ण सदस्य हैं। इन दोनों का टाटा परिवार में खास स्थान है। शिरीन और दीना, रतन टाटा की सौतेली मां सोनू टाटा की बेटियां हैं और उनका पालन-पोषण भी टाटा परिवार के संस्कारों में हुआ। रतन टाटा का अपनी बहनों के साथ खास रिश्ता रहा है। ये दोनों बहनें भी सामाजिक कार्यों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाती हैं। दीना, जो टाटा ट्रस्ट की ट्रस्टी भी रह चुकी हैं, उन्होंने अपने जीवन में कई सामाजिक कार्य किए हैं, विशेषकर ऑटिज्म और डाउन सिंड्रोम पीड़ित लोगों की मदद के लिए।

उनके वफादार बटलर सुब्बैया भी उनकी वसीयत में शामिल हैं। सुब्बैया, जिन्होंने तीन दशक से अधिक समय तक रतन टाटा के लिए काम किया, को भी इस वसीयत में विशेष स्थान दिया गया है। रतन टाटा अक्सर विदेश यात्रा के दौरान सुब्बैया के लिए महंगे कपड़े लाना नहीं भूलते थे।

टाटा समूह के शेयर और चैरिटी फाउंडेशन

रतन टाटा की वसीयत में उनके टाटा समूह के शेयरों का एक बड़ा हिस्सा रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को दिए जाने का प्रावधान है। RTEF एक चैरिटी संस्था है जिसका उद्देश्य सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। टाटा समूह के चेयरपर्सन एन चंद्रशेखरन इस फाउंडेशन का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा, रतन टाटा के अन्य निवेश, जो RNT एसोसिएट्स और RNT एडवाइजर्स के माध्यम से किए गए थे, बेचे जाएंगे और उनकी आय भी RTEF को दी जाएगी। इस पहल से रतन टाटा का समाज के प्रति योगदान और उनकी परोपकारिता का संदेश स्पष्ट होता है।

रतन टाटा अपने आखिरी समय तक कोलाबा स्थित हलकेई हाउस में रहे। इस घर का स्वामित्व टाटा सन्स की एक ब्रांच इवार्ट इन्वेस्टमेंट्स के पास है। फिलहाल, इवार्ट इन्वेस्टमेंट्स ने इस घर के भविष्य को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है। इसके अलावा, उनका अलीबाग में एक 2,000 वर्ग फुट का बंगला और मुंबई के जुहू तारा रोड पर एक दो मंजिला पैतृक घर भी उनकी संपत्ति में शामिल है। रतन टाटा के पास 20-30 महंगी कारों का एक विशाल कलेक्शन भी था, जिन्हें नीलामी में बेचा जा सकता है या टाटा संग्रहालय में संरक्षित किया जा सकता है। यह कलेक्शन उनके कोलाबा निवास और ताज वेलिंगटन म्यूज अपार्टमेंट में रखा गया है।

वैसे आपको बता दें कि रतन टाटा ने अपनी वसीयत को लागू करवाने की जिम्मेदारी अपने वकील दारियस खंबाटा और लंबे समय से सहयोगी रहे मेहली मिस्त्री को सौंपी है। साथ ही, उनकी सौतेली बहनें, शिरीन और डियाना जेजीभॉय को भी इस प्रक्रिया में सहयोग करने का दायित्व दिया गया है। मेहली मिस्त्री, टाटा के दो प्रमुख चैरिटी ट्रस्टों में ट्रस्टी हैं और टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड में भी शामिल रहे हैं।

रतन टाटा की वसीयत केवल एक संपत्ति वितरण का दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि एक दृष्टिकोण है जो समाज के प्रति उनके उत्तरदायित्व, परोपकारिता और संवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा समाज को वापस करने का निर्णय लेकर उन लोगों के लिए एक प्रेरणा छोड़ी है जो अपने निजी संसाधनों से समाज की सेवा करना चाहते हैं।

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