कौन है ये भाजपाई नेता जिसके हारते किसी ने दे दी जान तो किसी का रो-रो कर हुआ बुरा हाल
जिस नेता को कभी PM Modi ने बनाया था मंत्री उनकी बेटी की हार पर मचा ऐसा हाहाकार, चार लोगों ने दे दी जान आया आंसुओं का सैलाब !
Pankaja Munde : महान कवि शिवमंगल सिंह सुमन ने कभी कहा था । क्या हार में क्या जीत में ।किंचित नहीं भयभीत मैं । संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही। यही वो कविता है जिसे भाजपा की नींव रखने वाले दिग्गज नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी भी अक्सर गुनगुनाया करते थे। तो भला उन्हीं की पार्टी की युवा नेता पंकजा मुंडे एक हार से कैसे टूट सकती हैं। उनके आगे तो अभी पूरी जिंदगी पड़ी है। लेकिन ये बात शायद उनके समर्थक नहीं समझते। क्योंकि पंकजा मुंडे के साथ उनका ऐसा भावनात्मक रिश्ता जुड़ गया है कि चार जून को जब चुनावी नतीजे आए तो 44 साल की Pankaja Munde की हार से महाराष्ट्र में इस कदर हाहाकार मच गया कि किसी ने जान दे दी। तो कहीं आंसुओं का सैलाब आ गया।
आज के दौर में किसी नेता के लिए इस कदर लोगों को फूट फूट कर रोते हुए शायद ही आपने कभी देखा होगा। क्योंकि ये आंसू कमाने के लिए खुद को खपाना पड़ता है। लोगों के दुख सुख में शामिल होना पड़ता है।और ये काम बीजेपी की युवा नेता पंकजा मुंडे से बेहतर भला कौन जानता होगा। जिन्होंने सिर से पिता का साया उठने के बाद हिम्मत हारने की बजाए खुद राजनीति में उतरने का फैसला किया।और लोगों के बीच जाकर काम किया । जिसका असर ये हुआ बीजेपी ने उन्हें इस बार महाराष्ट्र की बीड लोकसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतार दिया। लेकिन जब चुनावी नतीजे आए तो पंकजा मुंडे के साथ साथ उनके समर्थकों को भी बड़ा झटका लगा।क्योंकि जिस सीट से कभी पंकजा मुंडे के पिता गोपीनीथ मुंडे लगातार दो बार सांसद रहे। वो बीड लोकसभा सीट पंकजा मुंडे महज साढ़े छ हजार वोटों से हार गईं। उन्हें शरद पवार वाली पार्टी एनसीपी के उम्मीदवार बजरंग मनोहर सोनवणे ने हरा दिया।
बीड लोकसभा सीट के नतीजे ।
NCP (SP) उम्मीदवार बजरंग मनोहर को 6 लाख 83 हजार 950 वोट मिले।
BJP उम्मीदवार पंकजा मुंडे को 6 लाख 77 हजार 397 वोट मिले।
इस तरह से पंकजा मुंडे अपने पिता की सीट 6553 वोटों से हार गईं।
बीजेपी उम्मीदवार पंकजा मुंडे के लिए खुद पीएम मोदी ने भी चुनाव प्रचार किया था। लेकिन इसके बावजूद पंकजा मुंडे महज साढ़े पांच हजार वोटों से चुनाव हार गईं। जिसके बाद तो मानो बीड लोकसभा क्षेत्र में हाहाकार मच गया। पंकजा मुंडे को मिली हार को उनके समर्थकों ने दिल से लगा लिया।और इस हार के सदमे में जान देने लगे। चार जून को चुनावी नतीजे आने के बाद अब तक चार समर्थक जान दे चुके हैं।
हार के सदमे में दे दी जान।
7 जून को लातूर के सचिन मुंडे ने जान दे दी।
9 जून को बीड के पांडुरंग सोनवणे ने जान दे दी।
10 जून को बीड के पोपट वायभसे ने भी जान दे दी।
16 जून को गणेश बड़े ने खेत में फांसी लगा ली।
बीड में बीजेपी को मिली हार के बाद समर्थकों के जान देने का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिसकी वजह से खुद पंकजा मुंडे को अपने समर्थकों से भावुक अपील करते हुए कहा।
"पिछले कुछ दिनों में जिन युवाओं ने आत्महत्या की, उससे मैं दुखी हूं, जिसको मुझ पर प्यार और विश्वास नहीं है, वह अपनी जान जोखिम में डालेगा, मैं लड़ रही हूं और धैर्य रख रही हूं, आप भी सकारात्मक रहें और धैर्य रखें, मैंने हार स्वीकार कर ली है, आपको भी इसे स्वीकार करना होगा, अंधेरी रात के बाद ही रोशनी आती है, आप सभी मेरे जीवन की रोशनी हैं, प्लीज सकारात्मक रहें "
पंकजा मुंडे पहली बार अपने पिता गोपीनाथ मुंडे की सीट से चुनाव लड़ रही थीं। लेकिन महज साढ़े छ हजार वोटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जिसकी वजह से उनके समर्थक जान देने लगे ।जिससे दुखी पंकजा मुंडे ने अपने समर्थकों से ऐसा ना करने की अपील की । और जितने भी समर्थकों ने अब तक जान गंवाई है । खुद उनके घर जाकर दुख बांट रही हैं । इसी दौरान जब वो अपने समर्थक गणेश बड़े के घर पहुंचीं तो इस कदर दुखी हो गईं कि अपने आंसुओं को नहीं रोक पाईं।और फफक फफक कर रोने लगीं ।
अपने समर्थकों की मौत पर रो रहीं पंकजा मुंडे के बारे में आपको बता दें। वो महाराष्ट्र के कद्दावर राजनीतिक परिवार से आती हैं ।उनके पिता गोपीनाथ मुंडे।
गोपीनाथ मुंडे का सियासी सफर ।
2009 से 2014 तक विपक्ष में उपनेता रह चुके हैं।
1991 से 1995 तक महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता रहे।
1995 से 1999 तक महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम रहे।
2009 और 2014 में बीड लोकसभा सीट से जीते।
साल 2014 में एक लाख से भी ज्यादा वोटों से चुनाव जीत कर आए गोपीनाथ मुंडे को पीएम मोदी ने साल 2014 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान मंत्री भी बनाया था। लेकिन 26 मई 2014 को गोपीनाथ मुंडे ने मंत्री पद की शपथ ली और ठीक 10 दिन बाद राजधानी दिल्ली में हुए एक सड़क हादसे में उनकी जान चली गई। जिसके बाद महाराष्ट्र की बीड सीट पर उप चुनाव हुआ और उनकी बेटी प्रीतमा मुंडे करीब सात लाख वोटों से जीत गईं ।साल 2019 के चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने प्रीतमा मुंडे को टिकट दिया ।और इस बार एक लाख 68 हजार से भी ज्यादा वोटों से जीत गईं । लेकिन 2024 के चुनाव में बीजेपी ने प्रीतमा मुंडे का टिकट काट कर उनकी बहन पंकजा मुंडे को चुनाव मैदान में उतार दिया। और खुद पीएम मोदी भी उनके लिए प्रचार करने बीड गये थे। लेकिन इसके बावजूद जब चुनावी नतीजे आए तो पंकजा मुंडे महज साढ़े छ हजार वोटों से चुनाव हार गईं। उनकी इस हार के बाद समर्थकों को भी इस कदर सदमा लग गया है कि अब तक चार लोगों ने जान दे दी। जिसके बाद खुद पंकजा मुंडे को अपने समर्थकों से अपील करनी पड़ी वो ऐसा ना करें ।एक नेता की हार पर लोगों को इस तरह से जान देते हुए इससे पहले क्या आपने कभी देखा है।