कौन थे Kailash Gahtori जिन्हें खुद CM Dhami ने दिया कंधा, बोले- दिल नहीं मानता
मुख्यमंत्री जैसे बड़े पद पर होने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी तमाम प्रोटोकॉल तोड़ कर खुद अपने नेता कैलाश गहतोड़ी को कंधा देने पहुंचे। और आखिरी सफर तक उनका साथ निभाया।
कैलाश गहतोड़ी। ये नाम तो आपको याद ही होगा। ये वही नेता थे जिन्होंने साल 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी विधायकी छोड़ दी थी। उनके इस्तीफा देने के बाद सीएम धामी चंपावत सीट से उपचुनाव लड़े और जीत कर विधानसभा पहुंचे। सीएम धामी के लिए अपनी विधायकी कुर्बान कर देने वाले कैलाश गहतोड़ी जैसे दिग्गज नेता ने तीन मई को आखिरकार दुनिया को अलविदा कह दिया।
उत्तराखंड की चंपावत सीट से लगातार दो बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले कैलाश गहतोड़ी लंबे समय से कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझ रहे थे। जिसकी वजह से पिछले कई दिनों से देहरादून के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। जिससे उनके घर परिवार वालों के साथ समर्थकों को भी उम्मीद थी कि वो जल्द ही स्वस्थ होकर अस्पताल से लौटेंगे। लेकिन तीन मई को कैलाश गहतोड़ी के समर्थकों के लिए बुरी खबर आई। सुबह करीब सात बजे कैलाश गहतोड़ी कैंसर जैसी घातक बीमारी से जिंदगी की जंग हार गये। उनके निधन की खबर जैसे सीएम पुष्कर सिंह धामी के पास पहुंची। वो तो मानो अंदर ही अंदर टूट से गये। उनके निधन पर सीएम धामी ने कहा हमारे कैलाश दा हमेशा लोगों की मदद करते थे।
मुख्यमंत्री जैसे बड़े पद पर होने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी तमाम प्रोटोकॉल तोड़ कर खुद अपने नेता कैलाश गहतोड़ी को कंधा देने पहुंचे। और आखिरी सफर तक उनका साथ निभाया। कैलाश गहतोड़ी के जाने से सीएम धामी किस कदर उदास हैं। ये इसी बात से समझ सकते हैं कि उन्होंने अपने दुख को शब्दों में पिरोते हुए सीएम धामी ने एक ट्वीट में लिखा: "काशीपुर पहुंचकर राज्य वन विकास निगम के अध्यक्ष कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी की अंतिम यात्रा में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, गहतोड़ी जी अब नहीं हैं, दिल नहीं मानता, हर क्षण बस उनके साथ बिताए पल आंखों के सामने आ रहे हैं और समय स्थिर हो जा रहा है, कैलाश दा को संगठन से जब भी जो जिम्मेदारी मिली उन्होंने उसे बखूबी निभाया, वे एक जमीन से जुड़े नेता थे, जनपद चम्पावत के विकास के साथ ही प्रदेश के लिए कुछ कर गुजरने की उनकी चाहत उन्हें विशेष व्यक्ति बनाती थी, कैलाश दा आपका सहज और सरल व्यवहार सदैव हमारी स्मृतियों में जीवंत रहेगा, आप हमेशा याद आएंगे, ॐ शान्ति।"
सीएम धामी ने इससे पहले एक और ट्वीट में कैलाश गहतोड़ी के निधन पर दुख जताते हुए कहा: "वन विकास निगम के अध्यक्ष, पूर्व विधायक, प्रिय मित्र और बड़े भाई कैलाश गहतोड़ी जी के निधन का पीड़ादायक समाचार सुन स्तब्ध हूं, कैलाश जी का जाना संगठन, प्रदेश के साथ-साथ मेरे लिए भी व्यक्तिगत क्षति है, इस असीम कष्ट को शब्दों में बयान नहीं कर पा रहा हूं, आपने अपना पूरा जीवन जनसेवा में खपा दिया, आप एक आदर्श जनप्रतिनिधि के रूप में सदैव याद किए जाएं, एक विधायक के रूप में चम्पावत क्षेत्र के विकास के प्रति आपका समर्पण हमारे लिए प्रेरणास्रोत है, राजनीति और जनसेवा के क्षेत्र में आपसे मिला सानिध्य इतना आत्मीय और हृदय के निकट था कि आज विश्वास करना अत्यंत कठिन है कि आप हमारे बीच नहीं हैं, एक अच्छे मित्र और बड़े भाई के रूप में आप सदैव याद आएंगे, चम्पावत के विकास को लेकर जो आपके संकल्प थे उन्हें पूर्ण करने की दिशा में हम समर्पित होकर कार्य करेंगे, ईश्वर से पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान और शोक संतप्त परिजनों को यह अपार कष्ट सहने की शक्ति प्रदान करने की कामना करता हूं।"
सीएम धामी के ये शब्द बता रहे हैं कि कैलाश गहतोड़ी का जाना। उन्हें कितना अखर रहा है। उन्हें तो इस बात का विश्वास भी नहीं हो रहा है कि कैलाश गहतोड़ी अब इस दुनिया में नहीं रहे। क्योंकि उनके साथ सीएम धामी ने उत्तराखंड की राजनीति में लंबा वक्त बिताया है। जिनके साथ उनका रिश्ता राजनीति से परे जाकर एक दोस्त और एक बड़े भाई जैसा था। यही वजह है कि आखिरी सांस तक वन विकास निगम के अध्यक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाने वाले कैलाश गहतोड़ी को कंधा देने के लिए खुद सीएम धामी काशीपुर पहुंचे। और उन्हें अंतिम विदाई दी।