कौन होगा नया CEC? पीएम मोदी की समिति ने राष्ट्रपति को भेजा नाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने भारत के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के नाम की सिफारिश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेज दी है। यह नियुक्ति इसलिए अहम है क्योंकि मौजूदा CEC राजीव कुमार 18 फरवरी, 2025 को रिटायर हो रहे हैं।

दिल्ली की सियासत में इस समय सबसे बड़ी चर्चा का विषय है भारत के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) का चुनाव। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने सोमवार (17 फरवरी, 2025) को बैठक कर इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक नाम तय कर लिया है। समिति ने इस नाम की सिफारिश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेज दी है, और अब सभी की निगाहें आधिकारिक अधिसूचना पर टिकी हैं।
CEC पद क्यों है इतना अहम?
मुख्य चुनाव आयुक्त लोकतंत्र के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक होता है। लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से करवाने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है। चुनाव आयोग में तीन सदस्य होते हैं – एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्त। मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार मंगलवार (18 फरवरी, 2025) को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, और उनके उत्तराधिकारी की घोषणा को लेकर देशभर में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। यह नियुक्ति ऐसे समय हो रही है जब 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद देश में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुआ मंथन
इस चयन प्रक्रिया के लिए बनाई गई समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में नए CEC के नाम पर लंबी चर्चा हुई, और अंततः समिति ने एक नाम को लेकर सहमति बना ली। अब यह सिफारिश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजी जा चुकी है, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
हालांकि इस बैठक को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस प्रक्रिया में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को शामिल नहीं किया, जबकि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ पहले ही इस पर फैसला सुना चुकी है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करने वाला है, ऐसे में सरकार को इस बैठक को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर देना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
कांग्रेस की दलील का आधार सुप्रीम कोर्ट का 2 मार्च, 2023 का फैसला है, जिसमें कहा गया था कि CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP) और CJI की समिति द्वारा की जानी चाहिए। लेकिन नए नियमों के तहत सरकार ने CJI को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया है, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर कड़ा फैसला लेता है, तो यह नियुक्ति कानूनी जटिलताओं में फंस सकती है।
CEC की नियुक्ति का इतिहास
भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन इसकी सिफारिश सरकार करती है। 1950 से लेकर अब तक कई दिग्गज इस पद को संभाल चुके हैं, और इनमें से कई ने देश के चुनावी परिदृश्य को नया स्वरूप दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार द्वारा चुने गए नए CEC की नियुक्ति सुचारू रूप से हो पाएगी, या फिर यह मामला कानूनी पचड़ों में फंस जाएगा?
नए मुख्य चुनाव आयुक्त के लिए सबसे बड़ी चुनौती अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव होंगे। बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी। EVM और VVPAT को लेकर विपक्षी दलों के आरोपों का भी जवाब देना होगा। डिजिटल वोटिंग और चुनावी सुधारों पर काम करना होगा।
फिलहाल अब सबकी नजरें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर हैं कि वे इस सिफारिश को कब मंजूरी देती हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करता है, तो यह नियुक्ति रुक भी सकती है। केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे को लेकर तनातनी बढ़ चुकी है। अब देखना होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई हस्तक्षेप करता है या सरकार के फैसले को बरकरार रखा जाता है।