पायलटों के लिए क्यों ज़रूरी हैं नए फ्लाइट ड्यूटी नियम? जानें 2025 से होने वाले बड़े बदलाव के बारे में
भारतीय पायलटों के लिए 2025 से नए फ्लाइट ड्यूटी नियम लागू होंगे। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद DGCA ने इन नियमों की समयसीमा को लेकर तेजी दिखाई। यह नियम पायलटों के आराम और उड़ान की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। हालांकि, 2024 में पेश किए गए नियमों को Airlines के विरोध और व्यावसायिक प्रभाव के चलते स्थगित कर दिया गया था।
भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में 2025 एक बड़ा बदलाव लेकर आने वाला है। भारत के पायलटों के कार्य समय और आराम के नियमों में संशोधन को लेकर लंबे समय से बहस चल रही थी, और अब यह साफ हो गया है कि नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियम 2025 की शुरुआत में लागू हो जाएंगे। यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद आया, जो पायलट सुरक्षा और विमान यात्राओं की विश्वसनीयता को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस तारा वितस्ता गंजू ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को दिसंबर 2024 तक सभी पायलट संघों, एयरलाइंस और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ एक बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया। यह बैठक नए नियमों को लागू करने की सटीक समय सीमा तय करने के लिए बुलाई गई है। हाईकोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब नियम जनवरी 2024 से ही तैयार थे, तो अब तक इसे लागू क्यों नहीं किया गया। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 में होगी।
वैसे आपको बता दें कि इस मुद्दे की शुरुआत 2019 में हुई थी, जब कई पायलट संघों ने मौजूदा ड्यूटी और आराम के समय से संबंधित नियमों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की। इन संघों में फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP), इंडियन पायलट्स गिल्ड, एयर इंडिया पायलट्स यूनियन, और इंडियन कमर्शियल पायलट्स गिल्ड शामिल थे। पायलटों ने तर्क दिया कि मौजूदा नियम उनकी सेहत और सुरक्षा के साथ समझौता कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि लंबी ड्यूटी घंटों और कम आराम के कारण विमान दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।
जनवरी 2024 में DGCA ने संशोधित नियम पेश किए, जिनमें कुछ प्रमुख बदलाव शामिल थे, जैसे साप्ताहिक आराम का समय 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे किया गया। रात की उड़ानों के समय में कमी लाई गई। एयरलाइंस को 1 जून 2024 तक इन नियमों को लागू करने का निर्देश दिया गया। हालांकि, मार्च 2024 में DGCA ने अचानक इन नियमों को निलंबित कर दिया और एयरलाइंस से नए नियम लागू करने के लिए वैकल्पिक समय सीमा प्रस्तावित करने को कहा। हालांकि एयरलाइंस ने इन संशोधनों का कड़ा विरोध किया। उनका दावा था कि नए नियम लागू करने के लिए 10-20% अधिक पायलटों की आवश्यकता होगी। इसके बिना, उन्हें गर्मियों के व्यस्त यात्रा सीजन में लगभग 20% उड़ानें रद्द करनी पड़ सकती थीं।
यही कारण था कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए DGCA को इन नियमों को रोकने का निर्देश दिया। परिणामस्वरूप, एयरलाइंस को 2019 के पुराने FDTL नियमों का पालन जारी रखने का निर्देश दिया गया।
पायलट संघों की नाराजगी और सुरक्षा पर सवाल
मार्च 2024 में, फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक औपचारिक पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि नियमों में देरी से यात्रियों और पायलटों दोनों की सुरक्षा से समझौता हो रहा है। FIP ने यह भी तर्क दिया कि आर्थिक लाभ के लिए पायलटों की सेहत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 28 मार्च 2024 को FIP ने मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की और अंततः पायलट संघों ने एकजुट होकर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया।
2025 में क्या बदलेगा भारतीय एविएशन में?
अब DGCA ने कोर्ट के आदेश पर नए नियमों को लागू करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। दिसंबर 2024 में सभी पक्षों के साथ बैठक के बाद, उम्मीद है कि जुलाई 2025 तक ये नियम चरणबद्ध तरीके से लागू हो जाएंगे। पायलटों को अधिक आराम देकर उनकी दक्षता बढ़ाना। उड़ानों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना। विमान दुर्घटनाओं की संभावना को कम करना।
इस फैसले से जुड़ा एक बड़ा सवाल यह है कि सुरक्षा और व्यावसायिक हितों के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। पायलट केवल विमान उड़ाने वाले व्यक्ति नहीं हैं; वे यात्रियों की जान के जिम्मेदार होते हैं। उनकी थकान न केवल उनकी सेहत के लिए खतरनाक है, बल्कि यह उड़ानों की सुरक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। अब सभी की नजर DGCA की दिसंबर 2024 की बैठक और 2025 की शुरुआत पर है, जब ये नए नियम लागू होंगे। यह कदम न केवल भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है, बल्कि यह दर्शाएगा कि सुरक्षा को प्राथमिकता देना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है।