पत्रकार Ajeet Bharti ने Rahul Gandhi को क्यों बता दिया मृतक पर्यटन का ब्रांड अंबेसडर
बात जब पंजाब। तमिलनाडु। बंगाल में हो रहे अत्याचार की आती है तो राहुल गांधी आंखों पर पट्टी बांध कर धृतराष्ट्र बन जाते हैं। और जब बीजेपी शासित यूपी में हाथरस कांड होता है। मणिपुर में बवाल मचता है तो। कांग्रेस के यही जननायक कैमरों की फौज लेकर कभी हाथरस पहुंच जाते हैं। तो कभी मणिपुर पहुंच जाते हैं, क्या सेलेक्टिव विरोध की राजनीति करते हैं राहुल गांधी ?
Rahul Gandhi : बंगाल में हिंदुओं पर हो रहा अत्याचार अपरंपार। तमिलनाडु में सरेआम जहरीली शराब से जा रही लोगों की जान।पंजाब में स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव के वंशज को बीच सड़क पर काटा जाता है। लेकिन कांग्रेस के जननायक कहे जाने वाले Rahul Gandhi के पास इन राज्यों में जाने के लिए लगता है ना तो वक्त है। और ना ही हवाई जहाज का टिकट खरीदने के लिए पैसा है। क्योंकि यहां बीजेपी की सरकार नहीं है। यहां इंडिया गठबंधन में शामिल उनके साथियों की सरकार है। इसीलिये बात जब पंजाब। तमिलनाडु।बंगाल में हो रहे अत्याचार की आती है तो राहुल गांधी आंखों पर पट्टी बांध कर धृतराष्ट्र बन जाते हैं। और जब बीजेपी शासित यूपी में हाथरस कांड होता है।मणिपुर में बवाल मचता है तो। कांग्रेस के यही जननायक कैमरों की फौज लेकर कभी हाथरस पहुंच जाते हैं। तो कभी मणिपुर पहुंच जाते हैं।
तमिलनाडु क्यों नहीं गये राहुल ?
कांग्रेस के जननायक राहुल गांधी के मणिपुर या हाथरस जाने में कोई बुराई नहीं है।लेकिन जिस तरह से वो हाथरस और मणिपुर जाते हैं। उसी तरह से तमिलनाडु भी जाना चाहिए। जहां कुछ ही दिनों पहले जहरीली शराब पीने से 65 लोगों की मौत हो गई थी। जिसकी वजह से कई परिवार उजड़ गये थे। इस वारदात को कई दिन बीत गये लेकिन इसके बावजूद राहुल गांधी आज तक तमिलनाडु का दौरा नहीं कर सके। क्योंकि वहां सनातन विरोधी मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सरकार है। जो राहुल गांधी के साथी हैं। शायद यही वजह है कि भीषण शराब कांड के बावजूद राहुल गांधी तमिलनाडु नहीं जा सके। क्योंकि इससे इंडिया गठबंधन के साथी स्टालिन नाराज हो जाएंगे। इसी बात से लगता है कि राहुल गांधी के लिए शराब कांड में मारे गये लोगों का गम साझा करने से ज्यादा जरूरी गठबंधन धर्म निभाना है।
बंगाल कब जाएंगे 'जननायक' ?
ममता राज में बंगाल के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से बंगाल में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं उसे देख कर लगता है बंगाल भारतीय कानून से नहीं शरिया कानून से चलने लगा है। इसीलिये कहीं सरेआम सड़क पर महिला को कोड़े से पीटा जाता है। तो कहीं सरेआम संदेशखाली जैसे घिनौने कांड को अंजाम दिया जाता है। लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था के बावजूद कांग्रेस के जननायक राहुल गांधी ने आज तक ना तो संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं से बात की। और ना ही ममता सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। क्योंकि यहां भी सत्ता में बीजेपी नहीं। ममता बनर्जी हैं। जो इंडिया गठबंधन में भले ही नहीं हैं। लेकिन इसके बावजूद इंडिया गठबंधन के साथ खड़ी रहती हैं। अब ऐसे में राहुल गांधी बंगाल जाकर ममता सरकार के खिलाफ कैसे आवाज उठा सकते हैं। शायद यही वजह है कि राहुल गांधी को संदेशखाली की पीड़िताओं से मिलने का अभी तक वक्त नहीं मिल सका।
पंजाब कब जाएंगे राहुल गांधी ?
एक और राज्य है। पंजाब। जहां की सत्ता में जबसे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी आई है। तभी से ऐसा लगता है खालिस्तान समर्थकों को हिंसा का नंगा नाच करने की खुली छूट मिल गई है। इसीलिये साल 2022 में खालिस्तान समर्थकों ने सरेआम अजनाला थाना घेर कर तलवार और बंदूकों से हमला कर दिया था। जिसमें एसपी समेत 6 पुलिसकर्मी घायल हो गये थे। और अब पांच जुलाई को लुधियाना में शिवसेना नेता और स्वतंत्रतासेनानी सुखदेव के वंशज संदीप थापर को सरेआम सड़क पर तलवार से काट दिया गया। जो आज अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। पंजाब में लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था के बावजूद राहुल गांधी ने एक बार फिर ना तो पंजाब सरकार के खिलाफ आवाज उठाई। और ना ही घायल संदीप थापर के परिवार से मुलाकात की। क्योंकि पंजाब में बीजेपी नहीं। आम आदमी पार्टी की सरकार है। जिसके साथ गठबंधन करके कांग्रेस दिल्ली में चुनाव लड़ी। और खुद कांग्रेसी जननायक राहुल गांधी ने वोट मांगा। शायद यही वजह है कि राहुल गांधी पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने की बजाए। चुप्पी साधे हुए हैं।
कुछ ही दिनों पहले राहुल गांधी मणिपुर के दौरे पर गये थे। अच्छी बात है। जाना चाहिए। लोगों का दर्द भी बांटना चाहिए। लेकिन हद तो तब हो जाती है जब अपने जननायक राहुल गांधी का महिमामंडन करने के चक्कर में कांग्रेस ये गिनवाने लगती है कि मणिपुर हिंसा के बाद वो कितनी बार वहां गये। ऐसा लग रहा है राहुल गांधी मणिपुर लोगों का दुख दर्द बांटने नहीं। किसी पर्यटन पर जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाथरस कांड के दौरान भी देखने को मिला। जब कैमरों की फौज के साथ राहुल गांधी हाथरस गये।और पीड़ितों से मुलाकात की। यहां तक तो ठीक था। लेकिन कांग्रेस राहुल की इस यात्रा को भी विज्ञापन की तरह इस्तेमाल करने लगी। और कहने लगी राहुल आपके हैं। राहुल आपके साथ हैं। तो फिर क्या राहुल तमिलनाडु शराब कांड में मारे गये 65 लोगों के लिए नहीं हैं। राहुल गांधी संदेशखाली की पीड़िताओं के साथ नहीं है। राहुल की यात्रा के इसी प्रचार प्रसार पर तंज मारते हुए पत्रकार अजीत भारती ने इसे जननायक का डेथ पोर्न और मृतक पर्यटन के साथ ही मृतक पर्यटन का ब्रांड अंबेसडर भी बताया था।