Modi से Smriti Irani ने क्यों मांग लिया था इस्तीफा, 20 साल बाद तोड़ी चुप्पी !
अटल राज में टीवी की दुनिया से सीधे राजनीति में कदम रखने वालीं बीजेपी की फायर ब्रांड नेता स्मृति ईरानी को इस बार मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भले ही कोई जगह ना मिली हो लेकिन एक वक्त था जब यही स्मृति ईरानी पीएम मोदी का इस्तीफा मांग कर देश की राजनीति में तहलका मचा दिया था, 20 साल पुराने किस्से पर अब क्या बोलीं Smriti Irani ?
अटल राज में टीवी की दुनिया से सीधे राजनीति में कदम रखने वालीं बीजेपी की फायर ब्रांड नेता Smriti Irani को इस बार मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भले ही कोई जगह ना मिली हो। लेकिन एक वक्त था। जब यही स्मृति ईरानी पीएम मोदी का इस्तीफा मांग कर देश की राजनीति में तहलका मचा दिया था।
दरअसल ये बात साल 2003 की है। जब बीजेपी के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी। देश की सत्ता संभाल रहे थे।और अगले ही साल यानि 2004 में लोकसभा चुनाव होने वाला था। चुनाव से पहले बीजेपी ने उस दौर की चर्चित टीवी एक्ट्रेस स्मृति ईरानी को पार्टी में शामिल करा लिया। और राजधानी दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से सीधे कांग्रेस के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया। हालांकि ये चुनाव स्मृति ईरानी हार गईं। लेकिन इसके बावजूद पार्टी के अंदर स्मृति ईरानी का कितना बड़ा कद था। ये इसी बात से समझ सकते हैं कि जिस गुजरात दंगे के नाम पर विपक्ष उन दिनों गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा करता था। उसी गुजरात दंगे के नाम पर स्मृति ईरानी ने मुख्यमंत्री मोदी से इस्तीफा मांग लिया था।
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद स्मृति ईरानी इस कदर भड़क गईं थीं कि उन्होंने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनावों में मिली हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए धमकी दे दी थी कि अगर मोदी इस्तीफा नहीं देंगे तो वो आमरण अनशन पर बैठ जाएंगी।
स्मृति ईरानी ने सीधे मोदी का इस्तीफा मांग कर बीजेपी में भूचाल ला दिया था। हालात ये हो गये थे कि बीजेपी आलाकमान को स्मृति ईरानी के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी देनी पड़ गई थी। तब जाकर स्मृति ईरानी बैकफुट पर आई थीं। और बिना किसी शर्त के।अपना आमरण अनशन वापस ले लिया था। बात यहीं खत्म नहीं होती।साल 2011 में जब गुजरात से स्मृति ईरानी पहली बार राज्य सभा सांसद बनीं। उस वक्त राज्य सभा भेजे जाने के प्रस्ताव में सबसे पहला हस्ताक्षर नरेंद्र मोदी का ही था। तब उन्होंने एक बार भी ये नहीं सोचा कि यही वो स्मृति ईरानी हैं जो कभी उनका इस्तीफा मांगा करती थीं। साल 2004 के इस मामले को लेकर जब पत्रकार सुशांत सिन्हा ने उनसे सवाल किया तो स्मृति ईरानी ने इस्तीफे वाली घटना को याद करते हुए कहा कि।
"मुझे लगता है वो (मोदी) इतने प्रैक्टिकल थे कि उन्हें पता था कि मैंने इस्तीफा क्यों मांगा था और किसके कहने पर मांगा था, एक 27 साल का कार्यकर्ता अपने आप कुछ नहीं करता, अब मैं उस पर विश्लेषण नहीं करना चाहती लेकिन वो (मोदी) इतने प्रैक्टिकल थे कि उन्हें पता था, क्यों हुआ, कैसे हुआ, और वो तीन-चार लोगों तक बात सीमित है तो मैं उसे सार्वजनिक करके किसी के लिए एंबैरेसमेंट क्रीएट नहीं करना चाहती"
शायद ही ये बात किसी ने सोची होगी कि। साल 2004 में मोदी का इस्तीफा मांगने वालीं स्मृति ईरानी के पास एक ऐसा वक्त आएगा जब साल 2014 में पहली बार बीजेपी ऐतिहासिक बहुमत हासिल करके सरकार बनाएगी। और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें अपनी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाएंगे। लेकिन ये हुआ। और एक बार नहीं। दो बार हुआ। साल 2014 में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव हारने के बावजूद स्मृति ईरानी मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनीं। और साल 2019 में इसी अमेठी में राहुल गांधी को चुनाव हराकर लगातार दूसरी बार मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनीं। हालांकि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी कांग्रेस उम्मीदवार केएल शर्मा से हार गईं। और इस बार उन्हें मोदी सरकार में भी जगह नहीं मिली है। लेकिन ये माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें कभी ना कभी राज्य सभा के रास्ते सदन में जरूर पहुंचाएगी। वैसे आपको क्या लगता है। स्मृति ईरानी जैसी धाकड़ नेता को सदन में होना चाहिए ।