राहुल गांधी की नागरिकता पर सवालों की बहस फिर से क्यों छिड़ी?
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की अदालतों में राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा है. वहीं राहुल की नागरिकता से संबंधित सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है.
राहुल गांधी की नागरिकता पर सवालों की बहस फिर से क्यों छिड़ी?
राहुल गांधी की नागरिकता पर फिर से सवाल उठने लगे हैं, और इस बार यह बहस लखनऊ से दिल्ली तक की अदालतों में छाई हुई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी की नागरिकता के मामले में गृह मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ ही, दिल्ली हाईकोर्ट में भी सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होनी है, जिसमें राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला उस वक्त तूल पकड़ने लगा, जब एस. विग्नेश शिशिर नामक व्यक्ति ने एक याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि राहुल गांधी विदेशी नागरिक हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस पर गंभीरता दिखाई और अडिशनल सॉलिसिटर जनरल को गृह मंत्रालय से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया है। शिशिर ने दावा किया है कि राहुल गांधी ब्रिटेन के नागरिक हैं और उनके पास ब्रिटिश पासपोर्ट है। इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि जुलाई 2024 में जब शिशिर ने पहले भी ऐसी याचिका दायर की थी, तो अदालत ने उसे खारिज कर दिया था और कहा था कि वह सिटीजनशिप एक्ट के तहत सक्षम प्राधिकारी के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं। लेकिन शिशिर का कहना है कि उन्होंने दो बार गृह मंत्रालय में आवेदन किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने फिर से अदालत का रुख किया है।
सुब्रह्मण्यम स्वामी के आरोप
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। उनका आरोप है कि राहुल गांधी ने 2003 में यूनाइटेड किंगडम में एक कंपनी के निदेशक और सचिव के रूप में अपनी ब्रिटिश नागरिकता का खुलासा किया था। स्वामी का दावा है कि पांच साल पहले उन्होंने गृह मंत्रालय को इस मामले की शिकायत की थी, लेकिन अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया। स्वामी ने अदालत से आग्रह किया है कि गृह मंत्रालय से स्टेटस रिपोर्ट तलब की जाए, ताकि यह पता चल सके कि इस मामले में मंत्रालय ने अब तक क्या कार्रवाई की है।
नागरिकता के सवाल पर कांग्रेस का जवाब
कांग्रेस ने इस पूरे मामले को एक राजनीतिक साजिश बताया है। 2019 में जब पहली बार राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाए गए थे, तब कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि "राहुल गांधी जन्म से भारतीय नागरिक हैं, और यह बात पूरी दुनिया जानती है।" सुरजेवाला का कहना था कि यह सवाल उस समय उठाया गया था जब भाजपा अपने विकास मुद्दों पर ध्यान नहीं दे पा रही थी और वह ऐसे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही थी।
राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने भी इन आरोपों को बकवास करार दिया था। उनका कहना था कि "राहुल गांधी हिंदुस्तानी हैं और पूरा देश यह जानता है।" प्रियंका ने यह भी कहा था कि भाजपा इस मुद्दे को उठाकर जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटका रही है।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी की नागरिकता पर सुप्रीम कोर्ट में भी कई बार याचिकाएं दायर की गई हैं। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के आधार पर उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि यदि कोई कंपनी उन्हें किसी फॉर्म में ब्रिटिश नागरिक बताती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे ब्रिटिश नागरिक हो गए हैं। वहीं, लखनऊ हाईकोर्ट ने अब गृह मंत्रालय से पूछा है कि इस मामले में क्या जानकारी प्राप्त हुई है और क्या कदम उठाए जा रहे हैं। 30 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होनी है, जिसमें गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी।
यह विवाद सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नेताओं ने इस मुद्दे को बार-बार उठाकर इसे एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और उनकी विपक्षी भूमिका को कमजोर करने के लिए इस विवाद को उछाला जा रहा है। लेकिन सवाल यह भी है कि यह विवाद कितनी दूर तक जाएगा? क्या यह सिर्फ एक सियासी चाल है या इसके पीछे कोई ठोस सबूत हैं? अब देखना यह है कि अदालतें और गृह मंत्रालय इस मुद्दे पर क्या फैसला लेते हैं।