मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के बीच कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच तकरार क्यों?
डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री, का 26 दिसंबर को निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार 30 दिसंबर को दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया। उनके स्मारक स्थल और अंतिम संस्कार को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ, जिसमें कांग्रेस और केंद्र सरकार एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।
दिल्ली में 26 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया, जिसके बाद 30 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। हालांकि, उनके अंतिम संस्कार और स्मारक स्थल को लेकर कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच विवाद खड़ा हो गया है। यह मामला न केवल राजनीतिक, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों से भी जुड़ा हुआ है, जिसने सिख समुदाय और देश की जनता का ध्यान आकर्षित किया है।
क्या है विवाद की जड़?
कांग्रेस ने मांग की थी कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजघाट क्षेत्र के पास राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर हो और वहीं उनके स्मारक का निर्माण किया जाए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर यह आग्रह किया। खरगे ने लिखा कि देश के पहले सिख प्रधानमंत्री होने के नाते, यह डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत के अनुरूप होगा।
लेकिन केंद्र सरकार ने निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार का निर्णय लिया और कहा कि स्मारक स्थल का स्थान अगले 3-4 दिनों में तय किया जाएगा। कांग्रेस ने इस फैसले को डॉ. मनमोहन सिंह के "कद और सम्मान" के खिलाफ बताया और इसे जानबूझकर सिख समाज का अपमान करार दिया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सुझाव दिया कि वीर भूमि और शक्ति स्थल के पास डॉ. सिंह का स्मारक बनाया जाए, जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए किया गया था।
कांग्रेस के गुरदीप सिंह सप्पल ने केंद्र पर आरोप लगाया कि उसने डॉ. सिंह जैसे महान नेता के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान नहीं किया। सप्पल ने इसे सिख समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह का जीवन सिख धर्म के मूल्यों—नेक इरादा, नेक कमाई और नेक काम—की मिसाल था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान
शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके परिवार से मुलाकात की और बताया कि स्मारक स्थल की घोषणा जल्द ही की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि डॉ. सिंह की विरासत और योगदान के अनुरूप एक भव्य स्मारक बनाया जाएगा। बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस सिखों की भावनाओं को अपनी "गंदी राजनीति" में इस्तेमाल कर रही है। सिरसा ने 1984 के सिख दंगों का जिक्र करते हुए कांग्रेस को शर्मसार करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने सिखों के खिलाफ अतीत में जो किया है, वह किसी से छिपा नहीं है।"
हालांकि सिख समुदाय के कई नेता और संगठनों ने डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक स्थल के विवाद पर गहरी नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का यह सम्मान उनके कद के अनुरूप नहीं है। डॉ. मनमोहन सिंह न केवल भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री थे, बल्कि 1991 के आर्थिक सुधारों के सूत्रधार के रूप में देश को नई आर्थिक दिशा देने वाले नेता भी थे। उनका योगदान भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अद्वितीय है। कांग्रेस का कहना है कि डॉ. सिंह की विरासत को सहेजने के लिए उनका स्मारक देश के सबसे प्रतिष्ठित स्थान पर होना चाहिए।
स्मारक स्थल का महत्व और परंपराएं
भारत में पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मारक राजघाट क्षेत्र में बनाए गए हैं। अटल बिहारी वाजपेयी का स्मारक ‘सदैव अटल’ राजघाट क्षेत्र में है। राजीव गांधी और इंदिरा गांधी के स्मारक क्रमश: वीर भूमि और शक्ति स्थल में हैं। कांग्रेस का कहना है कि परंपरा के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री का स्मारक वहीं होना चाहिए, जहां अन्य प्रधानमंत्रियों के स्मारक बने हैं।
फिलहाल केंद्र सरकार का कहना है कि वह डॉ. मनमोहन सिंह के कद और योगदान को ध्यान में रखते हुए उनका स्मारक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। स्मारक स्थल की घोषणा अगले कुछ दिनों में की जाएगी। यह विवाद राजनीतिक रंग ले चुका है, लेकिन उम्मीद है कि डॉ. सिंह की विरासत और उनके प्रति सम्मान को प्राथमिकता दी जाएगी।
डॉ. मनमोहन सिंह जैसे नेता, जिन्होंने भारत को आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता प्रदान की, का अंतिम संस्कार और स्मारक स्थल विवाद राजनीति और भावनाओं का संगम बन गया है। यह समय उनके योगदान को याद करने और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का है। उम्मीद की जानी चाहिए कि उनके स्मारक को लेकर जल्द ही सभी विवाद सुलझ जाएंगे।