Nitish Kumar इस बार Narendra Modi के साथ रहेंगे ? या फिर से मारेंगे पलटी ?
लोकसभा चुनाव के परिणाम के साथ नीतीश कुमार किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं। उनकी भूमिका इतनी ज़बरदस्त है कि बीजेपी को भी उनकी ज़रूरत है और INDIA गठबंधन भी उनके ऊपर डोरे डाल रही है। लेकिन सवाल यही कि, नीतीश करेंगे क्या ? ये रिपोर्ट देखिए।
Nitish Kumar : मौसम वैज्ञानिक दो तरह के होते हैं। एक जो वाक़ई में मौसम को जानते हैं। और दूसरे जो सिर्फ़ चुनाव के वक़्त में ही मौसम को पहचानते हैं, और फिर उसी हिसाब से अपना माहौल तय करते हैं। और चुनावी मौसम में फ़िज़ा भाँप लेने वाले को असल में नेता कहते हैं। कहते हैं कि इस देश में तो ऐसे कई पॉलिटिशियन हैं। लेकिन Nitish Kumar अभी भी इस लिस्ट में पहले स्थान पर हैं।
नीतीश कुमार को लेकर लोकसभा चुनाव से पहले कई तरह के क़यास लगाए जा रहे थे। लेकिन चुनाव ख़त्म हुआ तो सारे क़यास धरे के धरे रह गए। और नीतीश कुमार किंग मेकर की भूमिका में आ गए। और एक बड़ा संदेश दिया कि । नीतीश कुमार अभी भी बिहार की जनता के दिलों में वैसे ही बसे हुए हैं। जैसे साल 2005 में थे। ये अलग बात है कि सियासी फ़ायदे के लिए वो वक़्त वक़्त पर हवा में उछाले जाने वाले सिक्के की तरह पलटते रहे। और वितरित हवा को भी अपने पाले में मोड़ लाए।
समय तो वैसे भी बलवान होता है। लेकिन राजनीति में टाइमिंग का ऐसा कमाल होता है कि ज़ीरो से हीरो और हीरो से ज़ीरो बनने में बहुत कम समय लगता है। इसी के साथ नीतीश कुमार की पॉपुलैरिटी को लेकर उठ रही आशंकाएं अब पूरी तरह से खारिज हो चुकी है।
आप सबने एक कहावत सुनी होगी, “आप मुझे नापसंद कर सकते हो, लेकिन मुझे इग्नोर नहीं कर सकते”। नीतीश कुमार पर ये बात पूरी तरह से फिट बैठती है।
अभी सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वायरल हो रहा है। जिसमें लिखा है- ‘नीतीश सबके हैं’। अब इस पोस्टर के मायने जानिए। इससे ये संदेश देने की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में बिहार में 12 सीटें जीतने वाली नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का महत्व सिर्फ गठबंधन की राजनीति में ही नहीं बढ़ा है। बल्कि फिर से नीतीश कुमार की भी अहमियत बढ़ गई है।
राजनीति के जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार का सियासी इतिहास ही ऐसा रहा है- जिसमें वो पाला भले ही बदल लेते हैं, बावजूद इसके पूरी पॉलिटिक्स उनके दर्द गिर्द ही घूमती रहती है।
नीतीश कुमार का राजनीतिक खेल असल में एक बैलेंसिंग फ़ैक्टर है। दूसरी बात, समाजवादी राजनीति का एक आवरण नीतीश कुमार से लिपटा हुआ है। ये बड़ा कारण है कि वो दोनों पक्षों को अपनी सहूलियत से साध लेते हैं। अब फिर से मौक़ा है जब सत्ता की चाभी नीतीश कुमार के हाथ में है। इसे विस्तार से समझिए।
नीतीश कुमार कैसे किंगमेकर बने ?
बीजेपी अकेले दम पर पूर्ण बहुमत तक नहीं पहुँची
अब नीतीश कुमार फ़िलहाल बीजेपी के लिए ज़रूरी हैं
इंडिया गठबंधन भी नीतीश पर डोरे डाल रही है
नीतीश कुमार बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे हैं
अब सवाल है कि क्या नीतीश कुमार फिर से पाला बदलेंगे। फिर से बीजेपी का साथ छोड़कर इंडिया गठबंधन में जाएँगे। सवाल तो इससे ही जुड़े कई सारे हैं। लेकिन जवाब सिर्फ़ नीतीश ही जानते हैं। वैसे उनके करीबी और समर्थक दावा कर रहे हैं कि इस बार नीतीश ऐसा नहीं करेंगे। इस बार वो पाला बदलने जैसी बातों पर ध्यान नहीं देंगे। लेकिन फिर से वही बात है, सियासत में फ़ायदे तक ही साथ है। वैसे भी जब ख़ुद नीतीश कहते हैं कि वो सबके हैं तो । फिर किसी भी बातों को तुरंत ख़ारिज कैसे किया जाए।