क्या भारत में आएगा Super Earthquake? धरती के अंदर चल रहा है बड़ा बदलाव
वैज्ञानिकों की एक नई रिसर्च ने भारत सहित पूरे एशियाई उपमहाद्वीप को चौंका दिया है। रिसर्च के अनुसार, भारतीय टेक्टोनिक प्लेट अब धीरे-धीरे दो हिस्सों में टूट रही है। यह प्रक्रिया "Delamination" कहलाती है, जिसमें प्लेट का निचला हिस्सा पृथ्वी के अंदर समा जाता है और ऊपरी हिस्से में दरारें पैदा हो जाती हैं।

"अगर ज़मीन खुद ही अपने अंदर से टूटने लगे तो क्या होगा?" यह सवाल अब सिर्फ किसी काल्पनिक फ़िल्म का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक वास्तविक वैज्ञानिक चेतावनी बन चुका है। हालिया भूवैज्ञानिक शोध से जो खुलासा हुआ है, वो न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया के लिए चिंताजनक है।
हिमालय की गोद में बसे करोड़ों लोगों के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं। शोधकर्ताओं ने संकेत दिया है कि भारतीय प्लेट दो हिस्सों में बंट रही है और ये दरारें भविष्य में महाविनाशक भूकंपों को जन्म दे सकती हैं।
प्लेट का टूटना और डेलैमिनेशन की प्रक्रिया
अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन में प्रकाशित इस नई स्टडी में बताया गया है कि भारतीय प्लेट, जो करोड़ों वर्षों से यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है, अब खुद के अंदर से टूटने लगी है। वैज्ञानिक इसे “Delamination” कहते हैं। इसमें प्लेट का घना हिस्सा, जो सतह के नीचे होता है, पृथ्वी के अंदर समा रहा है।
इस प्रक्रिया से प्लेट के बीच एक लंबवत (vertical) दरार बन रही है, जो पहले कभी देखी नहीं गई थी। यह दरार धीरे-धीरे प्लेट को दो हिस्सों में बांट सकती है। इससे भारत के उत्तरी और पूर्वोत्तर हिस्सों में बड़े भूकंप की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
क्या है रिसर्च का आधार?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और चीन की कुछ प्रतिष्ठित संस्थाओं के वैज्ञानिकों ने तिब्बती क्षेत्र के झरनों से निकलने वाली गैसों और भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया। इन झरनों में हीलियम-3 और हीलियम-4 नामक समस्थानिकों की मौजूदगी से पता चला कि पृथ्वी की गहराइयों में कुछ असामान्य गतिविधियां हो रही हैं। इस डाटा को जब भूगर्भीय मानचित्रों पर मिलाया गया तो यह साफ हुआ कि भारतीय प्लेट में एक नई ऊर्ध्वाधर दरार उभर रही है। यह संकेत है कि धरती की टेक्टोनिक प्लेट्स में अंदरूनी बदलाव हो रहा है, जो सतह पर खतरनाक भूकंपों का कारण बन सकता है।
हिमालय एक ticking time bomb?
हिमालय पहले से ही भूकंपीय गतिविधियों का केंद्र रहा है। सालों से यह क्षेत्र छोटे-बड़े भूकंपों को झेलता आया है, लेकिन अगर यह डेलैमिनेशन की प्रक्रिया तेज़ हो गई तो यहां रिक्टर स्केल पर 8 या उससे ऊपर के भूकंप भी आ सकते हैं।
भूभौतिकीविद् साइमन क्लेम्परर ने चेतावनी दी है कि हिमालय जैसे हाई कंप्रेशन वाले इलाकों में इस तरह की दरारें, वहां जमा हो रहे तनाव को तोड़ सकती हैं। और जब यह तनाव एक साथ टूटेगा, तो एक बड़ी त्रासदी की संभावना बन सकती है।
भारतीय उपमहाद्वीप के लिए क्या खतरे हैं?
यह केवल हिमालय या तिब्बत तक सीमित मामला नहीं है। भारतीय प्लेट का टूटना पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को प्रभावित कर सकता है – खासकर उत्तर भारत, पूर्वोत्तर, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाके। अगर ये प्रक्रिया जारी रही, तो बार-बार आने वाले बड़े भूकंपों की संभावना बढ़ेगी। भूमि संरचना में भारी बदलाव होंगे। जलस्रोत, नदियां और जलवायु प्रभावित हो सकती हैं। करोड़ों लोगों की जान-माल को खतरा हो सकता है। यह ज़रूरी है कि हम इसे डर की निगाह से नहीं, बल्कि समझ और तैयारी की निगाह से देखें।
वैज्ञानिक अभी इसे एक “प्रारंभिक चेतावनी” मान रहे हैं। इसका मतलब है कि अभी हमारे पास समय है। समय अपने घरों, शहरों और इंफ्रास्ट्रक्चर को भूकंपरोधी बनाने का। समय नीति-निर्माताओं को सतर्क करने का। समय वैज्ञानिक समुदाय को और रिसर्च के लिए प्रोत्साहित करने का।