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बैंकों पर बैंड लोन की जिम्मेदार UPA सरकार की गलत नीतियां- रघुराम राजन

RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कांग्रेस शासनकाल को भ्रष्ट करार दिया. उन्होंने बैंकों पर बढ़ते NPA के लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया.
बैंकों पर बैंड लोन की जिम्मेदार UPA सरकार की गलत नीतियां- रघुराम राजन

UPA सरकार के भ्रष्टाचार और गलत नीतियों से बैंकों के पास बैड लोन यानी NPA जमा हुए। तब भारत में ग्लोबल फाइनेंशियल संकट के अलावा भ्रष्टाचार भी एक समस्या थी।
ये कहना है RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का, जो 2013 से 2016 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रहे। भारत जोड़ो यात्रा की यह तस्वीर तो आपको याद होगी, जिसमें राहुल गांधी के साथ RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन उनके हमकदम बने हुए थे। अब उन्हीं रघुराम राजन ने कांग्रेस की नीतियों पर उन्हें जमकर कोसा है। एक इंटरव्यू में रघुराम राजन ने कहा कि, कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार में हुए भ्रष्टाचार और गलत नीतियों के कारण बैंकों पर बैड लोन बढ़ गया।

रघुराम राजन ने कहा कि कांग्रेस की गलत नीतियों की ही देन है कि बैंकों पर NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट का बोझ पड़ा। राजन यहीं नहीं रुके, उन्होंने एक-एक कर कांग्रेस को कई आर्थिक संकटों का जिम्मेदार भी ठहराया।

UPA सरकार पर रघुराम राजन के ये बड़े आरोप

  • UPA सरकार के वक्त भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या थी
  • भ्रष्टाचार के कारण प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिलने में देरी होती थी
  • प्रोजेक्ट्स को कभी जमीन नहीं मिलती थी तो कभी मंजूरी नहीं मिलती थी
  • प्रोजेक्ट्स के लंबे समय तक होल्ड रहने से फाइनेंशियल सिस्टम में NPA बढ़ जाता था

रघुराम राजन का कहना था कि, कांग्रेस वाली UPA सरकार के समय इतना भ्रष्टाचार हुआ कि जानबूझकर प्रोजेक्ट्स रोके गए ताकि कमीशन और कट मनी की आड़ में रिश्वत खोरी की जा सके। योजनाओं को हरी झंडी देने, नीतियों में इतनी देरी हुई कि सारे प्रोजेक्ट्स रुक गए और बढ़ गया NPA।

अब एक बार को तो कांग्रेस अपनी आलोचना सह भी ले, लेकिन उसे यह जानकर शॉक लग गया होगा कि रघुराम राजन ने पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को आर्थिक मामलों में बेहतर करार दिया। रघुराम राजन ने कहा,

अगस्त 2013 में RBI का गवर्नर बनने के बाद NPA की समस्या से निपटना शुरू किया। इसमें तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उनका पूरा साथ दिया। मोदी सरकार ने बैंकों को बचाने के लिए जो फैसले लिए, वे बहुत जरूरी थे। जिन बैंकों को मर्ज किया गया, NPA क्लियर किया गया, रिकवरी के लिए स्कीम लाई गई, वह बेहद कारगर साबित हुई।

रघुराम राजन ने UPA सरकार के मुकाबले आज की सरकार के बैंकों और फाइनेंशियल सिस्टम को ज्यादा बेहतर बताया।

क्या है NPA?

अब जानते हैं क्या है NPA जिसकी बात रघुराम राजन कर रहे हैं। दरअसल, जब कोई शख्स या संस्था बैंक से लोन लेकर उसे वापस नहीं करती तो उससे बैंकों पर बैड लोन बढ़ जाता है। यानी जो लोन लौटने की उम्मीद नहीं होती। इन लोन्स की रिकवरी की संभावना बहुत कम होती है। जब बैंकों का पैसा डूब जाता है, तो बैंक घाटे में चला जाता है। इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि जब कोई लोन की किस्त 90 दिन तक नहीं चुकाई जाती, तो उसे NPA करार दे दिया जाता है। अगर आपने किसी अन्य वित्तीय संस्था से लोन लिया है, जैसे कोई फाइनेंस कंपनी या लोन देने वाली दूसरी संस्थाएं, तो किस्त चुकाने के लिए 120 दिन का समय दिया जाता है। अगर इस अवधि में लोन की किस्त नहीं दी जाती, तो यह उस संस्था का NPA या बैड लोन बन जाता है।

रघुराम राजन के कांग्रेस में शामिल होने की थी अटकलें

दिसंबर 2022 में रघुराम राजन राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे। इस यात्रा में उन्होंने राहुल गांधी के साथ देश के आर्थिक मुद्दों पर चर्चा भी की थी। इसके बाद यह अटकलों का बाजार गर्म था कि राजन जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब जो आरोप रघुराम राजन ने UPA सरकार को लेकर लगाए हैं, वह दिन-रात बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाने वाले राहुल गांधी को आईना दिखाने से कम नहीं हैं।

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