Mayawati के इस दांव से Yogi की जीत तय, अखिलेश देखते रह गए !
UP उपचुनाव को लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी है। इसी बीच मायावती ने एक बड़ा दांव चला है।BSP ने फूलपुर के बाद अब आयोध्या के मिल्कीपुर और मुजफ्फरनगर के मीरापुर सीट से भी अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।bsp ने अपने जिला पंचायत अध्यक्ष और चंद्रशेखर आजाद रावण की पार्टी से जुड़े रहे शाह नजर को चुनावी मैदान में उतार दिया हैं।अवधेश प्रसाद अपने बेटे अजीत प्रसाद को यहां से चुनावी मैदान में उतारने जा रहें है। वैसे में उनको दलित वोटों के बंटवारे का नुकसान हो सकता है. इसलिए बहुजन समाज पार्टी का उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा।
यूपी अपनी राजनीतिक उथल-पुथल से हमेशा ही चर्चा का विषय बना रहता है। यहां की एक एक राजनीतिक पार्टी अपने अलग अलग दांव पेंच के लिए जानी जाती है। हाल के दिनों में सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति, उपचुनाव जीतने के लिए लगा रही है। एक तरफ BJP और दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस। वहीं तीसरी तरफ कई अलग अलग पार्टियां है जो किसी एक को हराने और किसी एक को जीताने में अहम रोल निभाती है। उन्हीं में से एक है मायावती की BSP।
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UP उपचुनाव को लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी है। इसी बीच मायावती ने एक बड़ा दांव चला है।BSP ने फूलपुर के बाद अब आयोध्या के मिल्कीपुर और मुजफ्फरनगर के मीरापुर सीट से भी अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। मीरापुर सीट से मायावती ने बड़ा खेल खेला है। ये खेल चंद्रशेखर आजाद रावण की पार्टी से खेला गया है। दरअसल bsp ने अपने जिला पंचायत अध्यक्ष और चंद्रशेखर आजाद रावण की पार्टी से जुड़े रहे शाह नजर को चुनावी मैदान में उतार दिया हैं। चंद्रशेखर के करीबी को तोड़कर मायावती ने शाह को अपना उम्मीदवार बनाते हुए एक बड़ा वार चंद्रशेखर की पार्टी पर किया है। अब ये उपचुनाव कड़ा मुकाबला बन गया है।
इसके अलावा मिल्कीपुर जो उपचुनाव के लिए हॉट सीट के तौर पर देखी जा रही है। उसपर भी मायावती है पने हुक्म के इक्के का इस्तेमाल किया है। यहां से मायावती ने रामगोपाल कोरी को चुनावी मैदान में उतारा है। बता दें कि चुनावी मैदान में रामगोपाल पुराने खिलाड़ी है। 2017 में भी रामगोपाल ने मिल्कीपुर से चुनाव लड़ा था और तब वह तीसरे नंबर पर थे और 46 हजार वोट हासिल की थी। इसके अलावा फूलपुर से भी अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है यहां से शिवबरन पासी पर मायावती ने भरोसा जताया है। दोनों ही जगहों पर मायावती ने दलीत कार्ड खेलकर सबको चौंका दिया है।
अब बात मिल्कीपुर सीट को लेकर करते है। इसकी क्रोनोलॉजी समढे की कोशिश करते है। जैसा की हम सब जानते है कि मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद अब अयोध्या के सांसद बन चुके है। जिस वजह से ये सीट खाली हुई है। अब इसपर जीतना BJP or SP की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। इसी बीच मायावती का दलीत कार्ड खेलना भी काफी अहम माना जा रहा है। इधर दलीत मतों पर BJP or SP दोनों की जोरआजमाईश है। 2017 में BJP से बाबा गोरखनाथ ने जीत हासिल की थी। उन्होंने अयोध्या के मौजूदा सांसद और मिल्कीपुर के निवर्तमान विधायक अवधेश प्रसाद को हराया था. अब यहां लड़ाई और दिलचस्प होने वाली है. जानकार मानते है कि भाजपा बाबा गोरखनाथ को और सपा अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाएगी. मिल्कीपुर सीट पर पासी और कोरी समाज के वोट बड़ी संख्या में है. जिस तरह से अवधेश प्रसाद अपने बेटे अजीत प्रसाद को यहां से चुनावी मैदान में उतारने जा रहें है। वैसे में उनको दलित वोटों के बंटवारे का नुकसान हो सकता है. इसलिए बहुजन समाज पार्टी का उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की दस सीटों करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, खैर और मीरापुर सीट पर उपचुनाव होने है. दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव हर एक पार्टी की प्रतिष्ठा से जुड़ा है। जहां लोकसभा चुनाव में अपनी जमीनी मजबूती गवां चुकी बीजेपी इसे वापिस हासिल करने का प्रयास करेगी। वहीं लोकसभा में मिली लोकप्रीयता को बरकरार रखना अखिलेश-राहूल के लिए एक बड़ा चैलेंज होगा। और ठीक इसी तरह बीजेपी की बी टीम के नाम से बदमान BSP को अपने उपर से इस टैग को हटाना एक कठिन चुनौती होगी। देखना अहम होगा कि चुनाव और क्या क्या दिखाता है और किस तरह से तमाम राजनीतिक पार्टियां इसे पार करती है।