बांग्लादेश की सड़कों पर हिंदुओं की दहाड़ देख सदमें में यूनुस सरकार !
अल्पसंख्यकों के लिए काम करने वाली बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के अनुसार, बांग्लादेश के 64 में से 45 जिलों में हिंदुओं पर हमले हुए। यानी बांग्लादेश के 70% जिलों में हिंदुओं को हिंसा और तोड़फोड़ का शिकार होना पड़ा। धार्मिक स्थल, घर और व्यापार सब कुछ निशाने पर थे। लेकिन हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के बीच, सेक्युलरिज़्म की पुंगी बजाने वाले सभी मौन साधे रहे।
मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है, उन्हें दबाया जा रहा है—ये कहने वाले बांग्लादेश के मुद्दे से मुंह मोड़ चुके थे। फिर हिंदुओं ने खुद अपनी सुरक्षा का जिम्मा संभाला और सड़कों पर निकल पड़े। जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाना शुरू कर दिया। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद अंतरिम सरकार का गठन हो गया है, जिसकी कमान मोहम्मद यूनुस ने संभाली। मोहम्मद यूनुस के सरकारी आवास के बाहर मुस्लिम कट्टरपंथियों के सताए हिंदू हाथों में अपनों की फोटो लेकर पहुंचे। लेकिन जब इससे भी काम नहीं बना, तो अब बांग्लादेश की सड़कों पर हिंदुओं का जनसैलाब देखने को मिला।
चटगांव के ऐतिहासिक लालदिघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने विशाल रैली का आयोजन किया। इस रैली में हजारों हिंदू एकजुट हुए और अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यक अधिकार और सुरक्षा की मांग की। लाखों की संख्या में सड़क पर आकर हिंदुओं ने बांग्लादेश की उस पुरानी बीमारी के ख़िलाफ़ ये प्रदर्शन किया, जिसमें अराजकता फैलते ही मुस्लिम कट्टरपंथी सबसे पहले हिंदुओं को सताते हैं। ये तस्वीरें जब बांग्लादेश से सामने आईं, तब कट्टरपंथियों को मिर्ची लगी होगी। कुछ का तो कलेजा कांप गया होगा।
हिंदुओं को एकजुट करने और सनातन की रक्षा करने के लिए सनातन जागरण मंच ने इस रैली का आयोजन किया। इस वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए भारत में रह रहीं बांग्लादेश की प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन ने इसकी जानकारी दी। इस हुंकार से हिंदुओं ने इसी महीने की शुरुआत में प्रदर्शन करते हुए आठ मांगें रखी थीं। इन्हीं 8 मांगों के लिए हिंदुओं की ये हुंकार देखने को मिली।
ये हैं हिंदुओं की 8 मांगें:
- अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराधों की सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण का गठन।
- पीड़ितों को उचित मुआवजा और पुनर्वास प्रदान किया जाए।
- तुरंत एक अल्पसंख्यक संरक्षण कानून लागू किया जाए।
- अल्पसंख्यक मामलों के लिए एक मंत्रालय का गठन किया जाए।
- शिक्षण संस्थानों और हॉस्टलों में अल्पसंख्यकों के लिए पूजा स्थल बनाए जाएं।
- हिंदू, बौद्ध और ईसाई कल्याण ट्रस्टों को फाउंडेशन का दर्जा दिया जाए।
- ‘संपत्ति पुनः प्राप्ति और संरक्षण अधिनियम' और 'सौंपे गए संपत्ति अधिनियम' को ठीक से लागू किया जाए।
- इसके साथ ही हिंदुओं ने मांग की है कि संस्कृत और पालि शिक्षा बोर्ड का आधुनिकीकरण किया जाए और दुर्गा पूजा के लिए पांच दिन का अवकाश घोषित किया जाए।