नोटों के पहाड़ पर 50 सवालों से मंत्री के छूटे पसीने, Rahul-Sonia की उड़ी नींद! ।Kadak Baat।
झारखंड में ईडी ने नोटों का पहाड़ मिलने के मामले में अब ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम से पूछताछ की है । जांच में कई नेता और अधिकारियों के नाम सामने आए हैं ।
चुनावी मौहाल के बीच ईडी के ताबड़तोड़ एक्शन ने देशभर के भ्रष्टाचारियों में हड़कंप मचा दिया है ।रडार पर ना सिर्फ केजरीवाल और उनके बड़े बड़े नेता तो हैं ।बल्कि इंडिया गठबंधन तमाम नेता भी आ गए हैं ।हाल ही में ईडी ने झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम के पीएस के नौकर के घर से 35 करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद की। नोटों से भरा कमरा देख ना सिर्फ ईडी का सिर चकरा गया था ।बल्कि पूरा देश हैरान था । ऐसे में अब ईडी ने ना सिर्फ नौकर और पीएम को गिरफ्तार किया ।बल्कि मंत्री आलमगीर को भी पेशी के लिए बुला लिया है ।आलमगीर आलम से ऐसे ऐसे सवाल ईडी ने दागे है ।जिनका पहले तो जनाब नहीं दे रहे थे ।आलाकानी कर रहे थे ।लेकिन उसके बाद मुंह खोला तो भयंकर खुलासा कर दिया है ।अब ईडी की अगली कार्रवाई देशभर में हड़कंप मचा सकती है । सूत्रों के मुताबिक ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम को उनके सचिव संजीव कुमार से आमने सामने बैठकर पूछताछ की है ।और पैसों की लेकर सवाल जवाब दागे हैं ।क्योंकि चुनावों के बीच इतना पैसा मिलना । हैरान करने वाला है ।ये पैसा कहां जाना था ।किसे पहुंचाना था ।इसको लेकर मंत्री से कई सवाल किए गए हैं ।इसके साथ ही ईडी ने कोर्ट में दी रिमांड पीटिशन में खुलासा किया है कि "जांच में यह बात सामने आई है कि ग्रामीण विकास व ग्रामीण कार्य विभाग में वीरेंद्र राम व संजीव कुमार लाल के अलावा कई अन्य अधिकारियों की भूमिका भी कमीशन के कलेक्शन और बंटवारे में सामने आई है। छापेमारी के दौरान मिले डिजिटल डिवाइस, कागजात व साक्ष्यों का मिलान किया जा रहा है "।
यानी की सिर्फ आलमगीर आलम की सचिव और नौकर ही इस खेल में शामिल नहीं थे ।बल्कि झारखंड में कई और अधिकारी भी भ्रष्टाचार के जाल में फंसे हुए हैं । झारखंड के करोड़ों के इस भ्रष्टाचार ने दिल्ली तक कोहराम मचा दिया है ।राहुल गांधी तक परेशान हो गए हैं । क्योंकि आलमगीर आलम छोटा मोटा नेता नहीं हैं । बल्कि राहुल गांधी के काफी करीबी बताए जाते है । आगे ईडी ने जो खुलासा किया है ।उससे तो जल्द ही आलमगीर आलम भी सलाखों के पीछे नजर आ सकते हैं ।
ED का कोर्ट में खुलासा -
उच्च पदस्थ लोगों के कहने पर संजीव लाल ठेकों को मैनेज करने में प्रभावी भूमिका में होता था ।
ठेके मैनेज होने के बाद उसके द्वारा कमीशन वसूली की जाती थी।
कमीशन की तय राशि सरकार में बैठे उच्च पदस्थ लोगों तक जाती थी ।
तथ्यों के परीक्षण के दौरान, आरोपियों के बयान में कुछ IAS अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के नाम उभरकर सामने आए हैं।
यानी की जांच में भ्रष्टाचार के खेल में ग्रामीण विकास विभाग के ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारियों की भूमिका सामने आई है । सिर्फ अब मंत्री साहब ही नहीं नपेंगे।बल्कि रडार पर कई और नेता अधिकारी भी आएंगे ।क्योंकि भ्रष्टाचार का ये धंधा एक दो रुपये का नहीं ।बल्कि 35-40 करोड़ का है । यही वजह है कि ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम से विभाग में हुए इतने बड़े घोटाले की जानकारी बारिकी से ली है ।पूछा है पैसा किसका है । कैसे नौकर के पास पहुंचा। जाहिर सी बात है नौकर आलमगीर आलम के पीएस का है ।और पीएस मंत्री साहब है जब कड़ियां जुड़ रही है ।तो पैसा का हिसाब किताब भी मंत्री के पास जरूर होगा ।जल्द ही इस केस में आलमगीर आलम की गिरफ्तारी भी हो सकती है ।अगर चुनावों के बीच ऐसा हुआ तो राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए ये बहुत बड़ा झटका होगा ।अभी तो सोनिया राहुल केजरीवाल के लिए बवाल कर रहे थे ।लेकिन जल्द ही ये लोग आलमगीर आलम के लिए गिड़गिड़ाते नजर आएंगे ।क्योंकि आलमगीर आलम कांग्रेस का कद्दावर नेता है ।तो चलिए ये कैसे सिस्टम में रहकर झारखंड ने इस नेताओं ने सिस्टम को ही घुन लगाया बताते हैं।
रांची तक कैसे पहुंची ED ?
नवंबर 2019 में झारखंड ACB ने ग्रामीण कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के सहयोगी जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को एक ठेकेदार से 10 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा था ।
जिस वक्त उन्हें पकड़ा गया वो वीरेंद्र राम के मकान में रहता था ।
तब इसी घर से छापेमारी के दौरान 2 करोड़ कैश मिला था ।
उस समय सुरेश वर्मा ने दावा किया था कि पैसे वीरेंद्र राम के हैं।
इसी के बाद वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी हुई ।
ये पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग का था इसलिए इसमें ईडी की एंट्री हुई।
ईडी ने उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की थी, जिससे तमाम खुलासे हुए।
पूछताछ में चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम ने कबूला था कि वो ठेकेदारों से टेंडर अलॉटमेंट को लेकर कमीशन के नाम पर रिश्वत लेता था।
उसने खुलासा किया था कि ठेकेदारों से कुल निविदा मूल्य का 3.2% कमीशन लिया जाता था उसका खुद का शेयर 0.3% था।
वीरेंद्र राम पिछले एक साल से जेल में बंद हैं ।उन्होंने ईडी से ये भी कबूला था कि रिश्वत का पैसा मंत्री के घर पहुंचाया जाता है। ये पहली बार था जब ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और उनके निजी सचिव संजीव लाल का इस मामले में नाम आया था और अब हुई कार्रवाई भी इसी खुलासे में अगला कदम है। खैर अब आलमगीर आलम ईडी के शिकंजा में आ चुके हैं।