Kejriwal से मिलते ही Akhilesh हो गए बर्बाद, अमित शाह के साथ चले गए बड़े नेता !।Kadak baat।
लोकसभा चुनाव के बीच समाजवादी पार्टी एक बार फिर झटका लगा है। पार्टी के रायबरेली ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे ने बीजेपी का दामन थाम लिया है।
लखनऊ में अखिलेश यादव के केजरीवाल से मुलाकात करते ही सपा में बवाल मच गया है ।ऐसा बवाल की अखिलेश यादव सिर पकड़कर बैठ गए हैं ।राहुल गांधी भी हैरान हो गए हैं ।दरअसल चुनाव से पहले सपा में गृहमंत्री अमित शाह ने सेंधमारी कर दी है । सपा का सारा चुनावी खेल ही खराब कर दिया है।
बता दें की मनोज पांडेय काफी वक्त से पार्टी और अखिलेश यादव की नीतियों का विरोध कर रहे थे ।और तो और जबसे अखिलेश यादव ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का विरोध किया था तबसे मनोज पांडे अखिलेश यादव से चल रहे थे । पार्टी नीतियों के खिलाफ बागी होकर आवाज भी उठा रहे थे।अब आखिर में उन्होंने पार्टी को अलविदा कहने का मन भी बना लिया रायबरेली में 20 मई को चुनाव हैं ।और चंद दिन पहले उनके सपा से मोह भंग होना बीजेपी से हाथ मिलाना। ना सिर्फ अखिलेश । बल्कि राहुल गांधी के लिए भी झटका होगा ।क्योंकि यूपी में गठबंधन के तहत सपा कांग्रेस चुनाव लड़ रही है ।और रायबरेली सीट पर इस बार राहुल गांधी दांव ठोक रहे हैं। तो ऐसे में अमेठी छोड़कर राहुल गांधी का रायबरेली उतरा ।और इस सीट से जीत हासिल करना उतना ही मुश्किल हो गया है। जिसका राहुल इस गांधी परिवार का गढ़ समझकर अभी तक आसान समझ रहे हैं ।सबसे बड़ी बात तो ये है कि मनोज पांडेय ने अपने तमाम समर्थकों के साथ अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी की ज्वाइन की है। इस दौरान अमित शाह ने सपा पर तंज करते हुए कहा- "मनोज पांडेय सनातन का साथ देने के लिए बीजेपी के साथ आ गए हैं"।
अमित शाह ने ना सिर्फ सपा को आईना दिखाया । बल्कि गांधी परिवार पर भी तंज कसा। कहा इस बार कांग्रेस ना सिर्फ अमेठी से हार रही हैं। बल्कि रायबरेली भी राहुल गांधी के हाथ से निकल रहा है।
अमित शाह की रायबरेली में हुंकार ने ना सिर्फ सपा। बल्कि कांग्रेसियों को भी हिला दिया है ।वहीं विधायक मनोज पांडेय ने भी सपा छोड़ते ही अखिलेश यादव पर निशाना साधा और कहा "राजनीति रहे ना रहे लेकिन सनातन का साथ देते रहेंगे। गर्दन भले कट जाए लेकिन हम भगवान राम के ही रहेंगे"।
राम मंदिर के नाम पर सियासत करने वाले अखिलेश यादव को उनके ही नेता से सबक सिखा दिया है । चुनाव से चंद दिन पहले ही इंडिया गठबंधन की चुनावी नैया डूब गई है।