Kadak Baat: शराब घोटाले में 205 Crore की संपत्ति जब्त, Arvind Kejriwal की बढ़ गई टेंशन?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने पूर्व आईएस अधिकारी अनिल टुटेजा की 205.49 करोड़ को चल-अचल संपत्ति को जब्त कर ली है.
एक तरफ दिल्ली में शराब घोटाला आप नेताओं के गले की फांस बना हुआ तो दूसरी तरफ ईडी ने शराब घोटाले में ही एक ऐसा एक्शन लिया है जिससे देश भर के नेताओं में हड़कंप मच गया है.. क्योंकि इस बार छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में ईडी ने कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ा देने वाला फैसला लिया है। बड़ी खबर ये है कि:
- छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है
- ED ने 205.49 करोड़ की चल-अचल संपत्ति को जब्त की है
- 18 चल और 161 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त किया गया है
- पूर्व IAS अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अन्य की संपत्ति जब्त की गई है
- आरोपी विधू गुप्ता को यूपी ATS ने ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया है
- विधू गुप्ता की कंपनी ने ही शराब की बोतलों पर चिपकाने के लिए प्रिज्म होलोग्राफी बनाई थी
- इसी कंपनी के लिए 8 पैसे कमीशन तय किया था
दरअसल ईडी ने आठ पैसे की कमीशन से ही अपनी जांच शुरू की थी। सबूत जुटाए तो सबके होश उड़ गए क्योंकि खुलासा हुआ कि कंपनियों से फर्जी फोलोग्राम, बोतलों पर फर्जीवाड़ा दिखाकर तकरीबन2 हजार करोड़ के शराब घोटाले को अंजाम दिया गया। खैर दिल्ली और छत्तीसगढ़ का शराब घोटाले थोड़ा मिलता जुलता ही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुखिया ही इस घोटाले में शामिल है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस राज में रहे आला अफसरों ने मिलकर इस शराब घोटाले को अंजाम दिया। अब आरोपियों से एक एक रुपये का हिसाब किताब लिया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि करोड़ों की कीमत की संपत्ति ईडी ने जब्त की है.. तो कैसे छत्तीसगढ़ के इस शराब घोटाले को अंजाम दिया गया.. चलिए बताते हैं।
छत्तीसगढ़ में कैसे हुए शराब घोटाला?
- पूर्ववर्ती BJP सरकार ने नियम बनाया था कि सभी एजेंसियों से शराब की खरीदी शासन के जरिए की जाएगी
- शासन जिस शराब को खरीदेगा उसे ही दुकानों पर बेचा जाएगा
- लेकिन जब कांग्रेस सरकार आई तो उसके इशारे पर अफसरों ने इसमें संशोधन कर दिया
- शराब नीति में बदलाव कर FL10 लाइसेंस का नियम बनाया, अपनी चहेती 3 फर्मों को इसकी सप्लाइ का जिम्मा दे दिया
- इस दौरान नकली होलोग्राम की भी सप्लाई करवाई गई और इन्हें बोतलों पर चिपकाया गया
- इसके जरिए बिना स्कैनिंग के बिकने वाली शराब तैयार की गई
- हर महीने 200 गाड़ियां शराब की सप्लाई इन एजेंसियों के माध्यम से करती हैं
- 800 केस प्रति गाड़ी में अवैध शराब के रखे जाते थे
- 560 रुपये प्रति प्रकरण के हिसाब से शराब मंगवाई जाती थी जिसे 2880 रु. MRP पर बेचा जाता था
- इसी तरीके से 2019 से लेकर 2022 तक सरकार ने 2161 करोड़ के शराब घोटाले को अंजाम दिया.
यानी की छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार थी तब अफसरों की मिली भगत से राज्य में शराब माफिया अवैध शराब की बोतलों पर होलोग्राम लगाकर बेच रहे थे तो चालाकी से कांग्रेस राज में सरकार की मिलीभगत से शराब घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले में जांच हुई तो रडार पर IAS अनिल टुटेजा और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर समेत शासन प्रशासन के कई लोग आए। एक के बाद एक आरोपी की संपत्ति जब्त की जा रही है। जल्द ही हालात बता रहे हैं जांच की आंच भूपेश बघेल तक भी पहुंच सकती है। जो हालत अभी केजरीवाल की जेल में हो रही है वो दिन भी दूर नहीं है जब कांग्रेस के बड़े बड़े नेता इस घोटाले में फंसेंगे।