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जस्टिस आर नरीमन ने अयोध्या के फ़ैसले को बताया मज़ाक़, अब पूर्व CJI डीवाई चंदचूड़ ने सिखा दिया सबक़!

भारत के पूर्व मुख्य न्यायधाीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अयोध्या फ़ैसले पर खुलकर बात की है. और जस्टिस रोहिंगटन नरीमन के बयान पर पलटवार किया है. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस फ़ैसले की आलोचना करने वाले कई लोगों ने एक हज़ार से ज़्यादा पन्नों के फ़ैसले का एक भी पन्ना नहीं पढ़ा है
जस्टिस आर नरीमन ने अयोध्या के फ़ैसले को बताया मज़ाक़, अब पूर्व CJI डीवाई चंदचूड़ ने सिखा दिया सबक़!
9 नवंबर 2019। ये वो तारीख़ है जब अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद का अंत हुआ। हिंदुओं की जीत के साथ भव्य राम मंदिर बना। मुस्लिम पक्ष को अलग ज़मीन मिली। लेकिन एक बार फिर अयोध्या के फ़ैसले पर विवाद खड़ा हो गया है। और उस विवाद में आमने सामने आए है भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस रोहिंगटन नरीमन। दरअसल  बीते दिनों जस्टिस रोहिंगटन नरीमन ने अयोध्या भूमि विवाद पर आए फ़ैसले पर ऐसी टिप्पणी की। पूरे देश में तहलका ही मचा गया। ख़ुद पूर्व मुख्य न्यायधीश हैरान हो गए। जस्टिस रोहिंगटन नरीमन ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में शीर्ष अदालत के 2019 के निर्णय की आलोचना करते हुए इसे न्याय का उपहास बताया। और छूटते ही कहा "मेरा मानना है कि न्याय का सबसे बड़ा उपहास यह है कि इन निर्णयों में पंथनिरपेक्षता को उचित स्थान नहीं दिया गया"


इसके आगे उन्होंने कहा कि "आज हम देख रहे हैं कि देशभर में इस तरह के नए नए मामले सामने आ रहे हैं हम ना केवल मस्जिदों के ख़िलाफ़ बल्कि दरगाहों के ख़िलाफ़ भा वाद देख रहे हैं मुझे लगता है कि यह सब सांप्रदायिक वैमन्स्य को जन्म दे सकता है। मस्जिद के नीचे मंदिर ढूँढने, मस्जिद और दरगाहों के ख़िलाफ़ दायर मुकदमों के ट्रेंड को जस्टिस नरीमन ने हाइड्रा हेडेड नाम दिया जो सांप्रादायिक तनाव और धार्मिक सोहार्द बिगाड़ रहे हैं"

न्यायमूर्ति नरीमन ने मस्जिद को ढहाये जाने को ग़ैर क़ानूनी मानने के बावजूद विवादित भूमि प्रदान करने के लिए न्यायालय द्वारा दिए गए तर्क से भी असहमति जताई ।ये सब टिप्पणी तब की गई है जब पूरा देश अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को स्वीकार कर चुका है। और मुस्लिम समाज भी सहमत है। और हिंदू सनाज भी। अब ऐसे में जस्टिस रोहिंगटन की इस टिप्पणी के तुरंत बाद भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ मैदान में आए। और अयोध्या के मामले को लेकर जस्टिस रोहिंगटन को सख़्त लहजे में जवाब दिया। क़ानून का पूरा पाठ पढ़ा दिया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अयोध्या फ़ैसले पर खुलकर बात की और जस्टिस रोहिंगटन को साफ़ जवाब देते हुए कहा कि "इस फ़ैसले की आलोचना करने वाले कई लोगों ने एक हज़ार से ज़्यादा पन्नों के फ़ैसले का एक पन्ना भी नहीं पढ़ा है। मैं फैसले का एक पक्ष था तो ये मेरे काम का हिस्सा नहीं है कि फ़ैसले का बचाव करूं या आलोचना करूं।जब कोई जज किसी फैसले में पार्टी होता है तो फ़ैसला सार्वजनिक संपत्ति बन जाता है और उसपर दूसरों को बात करनी होती है, खैर जस्टिस नरीमन ने फ़ैसले की आलोचना की है तो मैं यह कहना चाहता हूं कि उनकी आलोचना इस तथ्य का समर्थन करती है कि धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत भारत में जीवित हैं क्योंकि धर्मनिरपेक्षता का एक अहम सिद्धांत अंतरात्मा की स्वतंत्रता है और जस्टिस नरीमन जो कर रहे हैं वो अपनी अंतरात्मा के ज़रिए कर रहे हैं "।

खैर पूर्व CJI की इस टिप्पणी ने जस्टिस रोहिंगटन की बोलती बंद कर दी है। बता दें की जस्टिस रोहिंगटन नरीमन देश के उन चार जजों की लिस्ट में शामिल हैं जो वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने। जिस कोर्ट में बतौर वकील प्रेक्टिस करते थे और उसी कोर्ट में जज बन गए। 2014 में मोदी सरकार के समय में ही चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाले कोलिजियम ने रोहिंगटन को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफ़ारिश की थी। पारसी को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। बता दें कि

जस्टिस रोहिंटन नरीमन सात साल तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे। 2014 में जज बने और 2021 में रिटायर हो गए। SC के उन रिटायर्ड जजों की जमात में शामिल नहीं हुए जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद सरकारी पद ले लिया।

बतौर वकील और जज जस्टिस रोहिंटन शानदार करियर के बाद रिटायरमेंट लाइफ इन्जॉय कर रहे हैं लेकिन जिस तरीक़े के अब उन्होने मंदिर मस्जिद और अयोध्या मामले पर टिप्पणी की है। उससे ना सिर्फ़ देश का एक तबका भड़का हुआ है। बल्कि पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने भी उन्हें बता दिया है कि फ़ैसले के मायने क्या है।  
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