Kadak Baat : Jagdeep Dhankhar के खिलाफ 87 सांसदों ने बनाई रणनीति, मोदी के जाल में खुद ही फंसे
Kadak Baat : जया बच्चन ने राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ बदजुबानी की तो विपक्ष खुश हो रहा था। लेकिन जैसे ही जगदीप धनखड़ ने जया बच्चन को मुंहतोड़ जवाब दिया, सदन की मर्यादा का पाठ पढ़ाया विपक्ष की कलेजा छलनी हो गया। हैरानी की बात तो देखिये विपक्ष ने राज्यसभा सभापति को हटाने की तैयारी ही शुरू कर ली। एक दो नहीं बल्कि 87 सांसद सभापति के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं।ठीक वैसे ही जैसे चोर चोरी कर सीनाजोरी दिखाता है। लेकिन पीएम मोदी भी विपक्ष को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठे हैं, जिससे विपक्ष अपने ही जाल में खुद फंस जाएगा।
राज्यसभा में जगदीप धनखड़ से नाराज विपक्ष
विपक्ष के 87 सांसद जुटे हैं कि किसी तरह वो धनखड़ को पद से हटा पाएं। लेकिन अब सवाल यही है कि क्या विपक्ष अपने प्रस्ताव से धनखड़ की कुर्सी हट पाएगा,तो चलिए इसका गणित भी बता देते हैं। दरअसल सभापति को राज्यसभा में प्रस्ताव के जरिए हटाया जा सकता है। इसके लिए 14 दिन पहले लिखित नोटिस की जरूरत होती है। उसके बाद राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है. वहीं प्रस्ताव पर राज्यसभा के 50 सदस्यों के हस्ताक्षर के बाद उसे सचिवालय को भेजा जाता है। अब समझिए यहां भी बहुमत का खेल है, जिसके जाल में विपक्ष फिर फंस गया है। राज्यसभा में अभी कुल 225 सदस्य हैं और सभापति धनखड़ को हटाने के लिए कम से कम 113 मतों की जरूरत होगी। इंडिया गठबंधन के पास अभी 87 सीटें है बीजू जनता दल और YRS कांग्रेस को जोड़ दिया जाए तो भी ये संख्या 106 के पास ही पहुंचेगी।
वहीं एनडीए गठबंधन के पास अभी 110 सीटें हैं। वो भी बहुमत से सिर्फ 3 कदम दूर है, यानी 3 सितंबर के बाद राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत हो जाएगा। तो ऐसे में राज्यसभा से प्रस्ताव पारित होने के बाद ये लोकसभा में जाएगा। और वहां भी सभापति के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराना होगा। क्योंकि सभापति देश के उपराष्ट्रपति भी हैं। तो ऐसे में संख्या बल में विपक्ष कमजोर है। फिर भी प्रस्ताव लाकर गिदड़भभकी दिखा रहा है। बेवजह का माहौल बना रहा है, कुल मिलाकर विपक्ष जगदीप धनखड़ का कुछ नहीं कर पाएगा और आखिर में विपक्ष को मुंह की खानी पड़ेगी। तो जिस तरीके से विपक्ष के 87 सांसद सभापति के खिलाफ माहौल बना रहे हैं।प्रस्ताव ला रहे हैं, उसके जाल में खुद ही फंसने वाले हैं। फिलहाल तो राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकालीन समय के लिए स्थगित हो गई है। तो ऐसे में विपक्ष संसद के अगले सत्र में नोटिस दे सकता है। ताकी उसके 14 दिन बाद प्रस्ताव पेश कर सके। गर्मी बढ़ाते हुए विपक्ष बार बार चिल्ला चिल्लाकर आरोप लगा रहा है कि राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ का रवैया पक्षपातपूर्ण दिखता है।