Kadak Baat : ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की मंज़ूरी, शीतकालीन सत्र में बिल होगा पेश
वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट की मंज़ूरी
यानी कि मोदी कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। बस आगे इस प्रस्ताव को संसद में रखा जाएगा। सबसे सहमति से पास कराया जाएगा। बता दें कि अभी तक देश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग होते हैं। लेकिन इस बिल के आने के बाद सभी चुनाव एक साथ हो पाएंगे, जिससे देश को भी काफ़ी फ़ायदा होगा। सूत्रों के मुताबिक़ NDA को भरोसा है कि इस सुधार को लेकर सभी दलों का समर्थन मिलेगा, ख़ासकर उनके साथी भी इस बिल को पास कराने में उनके साथ होंगे। लेकिन विपक्ष के कुछ दल इस बिल के विरोध में खड़े हैं, जो थोड़ी मुश्किलें बिल पास होने में खड़ी कर सकते हैं। बता दें कि
- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था।
- 62 में से 32 पार्टियों ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया था।
- 15 पार्टियां एक देश एक चुनाव क़ानून के विरोध में थीं।
इस क़ानून का विरोध करने वाली ये 15 ऐसी पार्टियां थीं जिन्होंने इस बिल पर कोई जवाब ही नहीं दिया, जिसमें कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी, सीपीएम, बीएसपी समेत 15 दल शामिल हैं जो खुलकर विरोध कर रहे हैं।
वहीं NDA की बात करें, तो बीजेपी के अलावा चंद्रबाबू नायडू की डीटीपी और नीतीश की जेडीयू, चिराग़ पासवान की एलजेपी (R) बड़ी पार्टियां हैं। जेडीयू और एलजेपी तो एक देश एक चुनाव के लिए राज़ी हैं, जबकि TDP ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। JDU और LJP ने ये कहते हुए समर्थन किया है कि इस बिल से समय और पैसे की बचत हो सकेगी। बता दें कि पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन के एजेंडे में ये सबसे अहम है। लाल क़िले की प्राचीर से पीएम मोदी ने इस बार साफ़ शब्दों में कहा था कि वन नेशन वन इलेक्शन इस देश के लिए बेहद ज़रूरी है।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा लोकसभा चुनाव में बीजेपी के घोषणापत्र में प्रमुख वादों में एक रहा है, जिसे पूरा करने की क़वायद शुरू हो गई है। अब सरकार आगे क्या कदम उठाएगी, ये भी बताते हैं। दरअसल, एक देश एक चुनाव के लिए सबसे पहले सरकार को बिल लाना होगा। ये बिल तभी पास होगा जब सरकार को इस पर दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलेगा। यानी लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन ज़रूरी होगा। संसद के पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी ज़रूरी होगा। यानी कि 15 राज्यों की विधानसभा में भी इस बिल को पास करवाना ज़रूरी है। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही ये बिल क़ानून बन सकेगा। चलिए ये भी बताते हैं कि
क्या है एक देश एक चुनाव क़ानून?
- ये भारत में होने वाले सभी चुनावों को एक साथ कराने की व्यवस्था से जुड़ा प्रस्ताव है।
- चुनाव एक दिन के अंदर या एक निश्चित समयावधि में कराए जा सकते हैं।
- 'एक देश, एक चुनाव' के तहत लोकसभा और सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है।
अब विपक्ष बौखलाए या चिल्लाए, होने वाला कुछ नहीं है। क्योंकि मोदी सरकार बहुमत में है। साथी भी उनके साथ हैं। तो ऐसे में विपक्ष इस बिल पर अगर साज़िश रचने की कोशिश करेगा, तो ख़ुद ही फंस जाएगा।