Kadak Baat : CJI और पीएम मोदी की मुलाकात से भड़का विपक्ष, संजय राउत बोले- हमारे केसों से अलग हों CJI
Kadak Baat : सुबह-सुबह पीएम मोदी और CJI डीवाई चंद्रचूड़ की मुलाकात ने विपक्ष के बड़े नेताओं की ज़मीन हिला दी। मुलाकात की तस्वीरें देखकर राहुल गांधी से लेकर केजरीवाल, उद्धव से लेकर संजय राउत तक बुरी तरह भड़क उठे। क्यों? क्योंकि घोटालेबाजी में विपक्ष के तमाम नेता सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर गिड़गिड़ा रहे हैं, और अब उन्हें डर सता गया है कि वे बुरे फंस सकते हैं। हालांकि, एक बात साफ़ है कि कोर्ट सबूत और गवाहों के आधार पर कार्रवाई करता है, ना कि सरकार के दबाव पर। बावजूद इसके, विपक्ष की सांसें अटक गई हैं। सबसे ज़्यादा ड्रामेबाज़ी पर उतरे हैं उद्धव ठाकरे की शिवसेना और संजय राउत। संजय राउत तो CJI पर इस कदर भड़के कि तुरंत उन्होंने शिवसेना विवाद वाले केस से उन्हें अलग हटने की नसीहत दे डाली।
CJI के घर पहुंचे मोदी.. मच गया बवाल
संजय राउत क्यों इतना बिलख रहे हैं? चलिए, विस्तार से तस्वीरें भी दिखाते हैं और मामले को भी समझाते हैं। हुआ यह कि प्रधानमंत्री मोदी अचानक सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर पहुंचे और गणेश पूजा में शामिल हुए। जिसके बाद पीएम मोदी ने इससे जुड़ी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की और लिखा कि-
सीजेआई न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ जी के आवास पर गणेश पूजा में शामिल हुआ। भगवान श्री गणेश हम सभी को सुख, समृद्धि और अद्भुत स्वास्थ्य प्रदान करें।
सुख समृद्धि तो विपक्ष को प्राप्त नहीं हुई, लेकिन इस तस्वीर से विपक्षियों के खेमे में खलबली ज़रूर मचा दी। संजय राउत इसलिए सबसे ज्यादा परेशान हुए क्योंकि शिंदे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना का विवाद सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। उद्धव ठाकरे ने असली और नकली शिवसेना वाले मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई हुई है, जिस पर जल्द फ़ैसला आने वाला है। लेकिन उससे पहले पीएम मोदी और CJI की मुलाकात ने उद्धव ठाकरे के गुट में असंतोष पैदा कर दिया है। सिर्फ़ उद्धव गुट ही नहीं, बल्कि प्रशांत भूषण ने भी पीएम मोदी और सीजेआई की मुलाकात पर भड़क उठे और आरोप लगाते हुए कहा:
हैरानी है कि CJI चंद्रचूड़ ने निजी मुलाक़ात के लिए मोदी को उनके घर आने दिया। इससे न्यायपालिका के लिए बुरे संकेत मिलते हैं। न्यायपालिका, जिस पर कार्यपालिका से नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है और यह सुनिश्चित करती है कि सरकार संविधान के दायरे में रहकर काम करे। यही वजह है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका में दूरी होनी चाहिए।
जितना तेजी से विरोधी मोदी और CJI की मुलाकात पर सवाल उठा रहे थे, उतनी ही तेजी से बीजेपी और शिंदे की शिवसेना ने पलटकर विपक्षियों को आईना दिखाने का काम किया। शिवसेना नेता मिलिंद देवड़ा ने तंज कसते हुए कहा कि-
गणपति आरती के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के आवास पर पीएम मोदी का जाना, इसे लेकर की गई टिप्पणियां दुर्भाग्यपूर्ण हैं। जब फैसले उनके पक्ष में आते हैं तो विपक्ष सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता की प्रशंसा करता है। जब चीजें उनके अनुकूल नहीं होतीं तो वे यह दावा करते हैं कि न्यायपालिका के साथ समझौता हो गया है। सुप्रीम कोर्ट पर निराधार आरोप लगाना खतरनाक है। यह न केवल एक गैर-जिम्मेदाराना हरकत है, बल्कि यह संस्थान की अखंडता के लिए भी हानिकारक है।
उद्धव ठाकरे और संजय राउत को भी मालूम है कि शिवसेना उन्हें वापस मिल जाएगी, यह मुमकिन नहीं है। बावजूद इसके, वे बेवजह माहौल बनाने का काम कर रहे हैं। सिर्फ़ मिलिंद देवड़ा ही नहीं, बल्कि बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने भी मोदी-CJI पर सवाल उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया और कहा कि शिष्टाचार मुलाकात से भी विपक्ष के नेताओं को तकलीफ़ है। ऐसे CJI को घेरने उतर पड़े हैं जैसे उन्होंने गणेश पूजा में पीएम मोदी को बुलाकर ना जाने कौन सा अपराध कर दिया हो।
अब यह बात हक़ीक़त है कि खुद के पक्ष में फ़ैसला आए तो विपक्षी लोकतंत्र की जीत बताते हैं, CJI से लेकर तमाम उन जजों के मुरीद हो जाते हैं जो उनके हक़ में फ़ैसला सुनाते हैं। लेकिन विपक्षी भूल जाते हैं कि कोर्ट फ़ैसला सबूत और गवाहों को देखकर करता है, ना कि किसी से आपसी संबंध मज़बूत होने पर। खैर, विपक्ष को बीजेपी ने आईना दिखाते हुए बोलती बंद कर दी है।