Kadak Baat : नजूल संपत्ति पर बिल लाकर फंसे योगी, सहयोगियों ने ही खोल दिया मोर्चा
अनुप्रिया पटेल ने तो ढोल पीटते हुए सोशल मीडिया पर संदेश लिखकर अपना विरोध जताया है।और लिखा कि -
नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को आज भेज दिया गया है व्यापक विमर्श के बिना आये गये नजूल भूमि संबंधी विधेयक के बारे में मेरा स्पष्ट मानना है कि यह विधेयक न सिर्फ गैरजरूरी है बल्कि आम जन मानस की भावनाओं के विपरीत भी है।
विधेयक पर सवाल उठाते हुए अनुप्रिया पटेल ने एक नहीं बल्कि दो दो ट्वीट किए थे।अगले ट्वीट में लिखा -
उत्तर प्रदेश सरकार को इस विधेयक को तत्काल वापस लेना चाहिए और इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए।
सीएम योगी को पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रही अनुप्रिया पटेल और भूपेंद्र चौधरी को सीएम योगी अब ऐसा पाठ पढ़ाएंगे कि वो आदेश देना ही भूल जाएंगे। क्योंकि बार बार योगी के काम में बहुत शातिर तरीके से टांग अड़ाने की कोशिश की गई और बिल कुछ महीने के लिए फिर अटक गया।बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में बिल को प्रवर समिति में भेजने की मांग की तो अन्य सदस्यों ने भी सहमति जता दी।अब दो महीने बाद जब प्रवर समिति की रिपोर्ट आएगी तब इस पर आखिरी फैसला हो पाएगा, तो चलिए ये भी बतातें है कि आखिर इस बिल का विरोध क्यों हो रहा है।क्यों इस बिल पर अपने ही योगी के बेगाने बन गए हैं।दरअसल
- नजूल विधेयक के जरिए यूपी सरकार इस प्रकार की जमीन पर सरकारी कब्जा चाहती है.
- नजूल बिल के मुताबिक नजूल जमीन को सरकार सार्वजनिक उपयोग में लाना चाहती है इसलिए वो लीज रिन्यू करने के पक्ष में नहीं है।
- विधेयक में ये भी कहा गया है कि सरकार नजूल भूमि को फ्री होल्ड नहीं करेगी।
- सरकार ने ये भी आश्वस्त किया था कि जिनका फ्री होल्ड का पैसा जमा है उन्हें रकम बैंक की दर पर ब्याज के साथ वापस की जाएगी ।
- अगर वे शर्तें पूरी करते हैं तो लीज रिन्यू कर दी जाएगी।
खैर अब नजूल प्रोपर्टी का मुद्दा उठाकर अनुप्रिया पटेल समेत भूपेंद्र चौधरी जिस तरीके से सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल बैठे हैं।उससे सीएम योगी काफी गुस्से में हैं और जल्द ही विरोधियों का पूरा हिसाब किताब कर देंगे।बस बात इतनी है कि सीएम योगी उपचुनाव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते लेकिन अनुप्रिया पटेल जिस तरीके से योगी सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रही है।विपक्ष को हवा देने की कोशिश कर रही हैं, उससे जल्द सीएम योगी कुछ बड़ा करेंगे।तो चलिए ये भी बता देते है कि नजूल संपत्ति क्या होगी है।
क्या है नजूल प्रोपर्टी ?
- नजूल की जमीन का मतलब उन संपत्तियों से होता है जिनका लंबे समय तक वारिस नहीं मिलता।
- इस स्थिति में ऐसी जमीनों पर राज्य सरकार का खुद अधिकार हो जाता है।
दरअसल आजादी से पहले अंग्रेजों से बगावत करवे वाली रियासतों से लेकर आम लोगों की जमीन पर भी ब्रिटिश हुकूमत कब्जा कर लेती थी।लेकिन आजादी के बाद ऐसी जमीनों पर जिनके वारिसों ने रिकॉर्ड के साथ दावा किया।ऐसी स्थिति में सरकार ने उन जमीनों को वापस कर दिया।वहीं जिन जमीनों पर कोई दावा नहीं आया वो नजूल की जमीन बन गई, जिसका स्वामित्व राज्य सरकारों के पास था।ऐसे में सरकार जो विधेयक लाई है उसके मुताबिक नजूल भूमि का इस्तेमाल विकास कार्यों में किया जाना है।