मंदिर, सड़क, कूड़ेदान पर वक़्फ़ बोर्ड ने ठोक दिया दावा, दिल्ली में मचा घमासान !
दिल्ली में वक़्फ़ बोर्ड ने हाल ही में कई संपत्तियों का अपना अधिकार जताया है जिससे विवाद खड़ा हो गया है वक्फ बोर्ड ने डीटीसी बस स्टैंड, डीडीए ऑफिस और 4 लेन रोड के साथ साथ एमसीडी के कूड़ेदान तक पर दावा किया है जिससे हिंदू संगठन भड़क उठे हैं।
सोचिए रात में आप अच्छे से अपने घर में सोए हों। और सुबह होते ही वक़्फ़ बोर्ड आपके घर को अपना बताकर पोस्टर चस्पां कर दें। तो आपपर क्या ही बितेगी। ऐसा ही कुछ वक़्फ़ बोर्ड ने दिल्लीवालों के साथ किया है। ना मंदिर छोड़े.. ना सड़कें छोड़ी। ना DDA के ऑफिस छोड़े और ना ही कूड़ाघर छोड़े। वक़्फ़ बोर्ड की काली करतूत ने दुनिया को हैरान कर दिया। ये तब हुआ है जब संसद में मोदी सरकार दोबारा वक़्फ़ बोर्ड संशोधन बिल पेश करने जा रही है। देशभर के मौलाना इस बिल का विरोध कर रहे हैं। कुछ समाज के ठेकेदार मुसलमानों को भड़काने का काम कर रहे हैं। लेकिन इस बीच वक़्फ़ बोर्ड की काली करतूत पकड़ी गई जिसका खुलासा करेंगे। तो आप भी हैरान हो जाएंगे। खुलासा ये है कि दिल्ली में मंदिर ही नहीं। वक़्फ बोर्ड ने DTC बस स्टैंड, DDA ऑफिस और 4 लेन रोड के साथ साथ MCD के कूड़ेदान पर अपना दावा ठोक दिया है।
इस दावे ने देशभर में कोहराम मचा दिया है। मोदी सरकार को भी हैरान कर दिया है। क्योंकि कहानी सिर्फ़ दावे पर ख़त्म नहीं हुई। बल्कि आगे
वक़्फ़ बोर्ड ने हिंदू मंदिरों को ख़ाली करने और इन संपत्तियों को वक़्फ़ बोर्ड को लौटाने की मांग की है।
वक़्फ़ बोर्ड के मुताबिक़ ये संपत्तियां बोर्ड की हैं और उन पर हिंदू संगठनों का कोई अधिकार नहीं है।
वक़्फ़ बोर्ड ने दिल्ली के 6 मंदिरों पर अपना दावा ठोका है ।
अब सवाल ये है कि क्या मंदिर। सड़क। या फिर कूड़ाघर पर दावे के बाद आसानी से वक्फ बोर्ड क़ब्ज़ा कर लेगा। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। क्यों क्योंकि क़ानून के मुताबिक़ पहले तो मामला कोर्ट में जाएगा। क़ानून प्रक्रिया से सारी चीजें तय होंगी। दूसरा ये है कि अगर किसी संपत्ति पर एक पक्ष का 20 साल से क़ब्ज़ा है। तो उसे दूसरा पक्ष आसानी ख़ाली नहीं करवा सकता। अब अचानक कैसे वक़्फ़ बोर्ड का ज़मीनों पर दावे का जिन्न बाहर निकला है। विवाद की जड़ कैसे शुरू हुई। चलिए विस्तार से बताते हैं। दरअसल वक़्फ़ बोर्ड का ये दावा लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति विवाद का हिस्सा है जहां बोर्ड ने धार्मिक, सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों पर अधिकार जताया है वक़्फ़ बोर्ड का कहना है कि ।
"कई संपत्तियां जो अब मंदिरों और सार्वजनिक उपयोग में हैं वास्तव में बोर्ड की थी और इन पर ग़लत तरीक़े से क़ब्ज़ा किया गया। ख़ासकर दिल्ली में कुछ प्रमुख मंदिर और सार्वजनिक स्थल इस विवाद का हिस्सा बने हैं"
जिस तरीक़े से वक़्फ़ बोर्ड ने ये हरकत की है। उसपर विवाद होना लाज़मी है। क्योंकि ये जिन्न संसद में आए बिल के बाद ही बाहर निकला है। ताकी मोदी सरकार की राह में मुश्किलें खड़ी की जा सकें। लेकिन ऐसे में हिंदू संगठनों से लेकर तमाम लोगों तक ने मांग कर डालीं है कि वक़्फ़ बोर्ड में बदलाव किए जाएं, कई विशेषज्ञों का मानना है कि
वक़्फ़ क़ानून में सुधार की आवश्यकता है ताकि इस तरह के विवादों का समाधान जल्द से जल्द हो सके।
वक़्फ़ की काली करतूतों के ख़िलाफ़ अब हिंदू संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है.. इस मुद्दे पर आवाज़ उठाते हुए कहा है कि ।
वक़्फ़ बोर्ड के दावे क़ानून का दुरुपयोग हैं और इन संपत्तियों को हिंदू समुदाय से छीनने का प्रयास किया जा रहा है।
लेकिन दिल्ली में वक़्फ़ बोर्ड तानाशाही पर उतर आया है। तमाम मंदिरों पर दावा तेज़ी से ठोक रहा है। हैरानी की बात तो ये है कि कूड़ाघरों तक को नहीं छोड़ा गया। अब दिल्ली में क्यों इतनी पावर वक़्फ़ बोर्ड दिखा रहा है। चलिए समझा देते हैं। दरअसल दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार वक़्फ़ बोर्ड पर शुरू से मेहरबान रही है। क्योंकि वोटबैंक साधना है। दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष भी आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान हैं। यही वजह है कि आप ने वक़्फ़ संशोधन बिल का भी विरोध किया। इसी पावर को लेकर दिल्ली में वक़्फ़ बोर्ड हिंदुओं के मंदिरों पर हेकड़ी दिखा रहा है। जिससे हिंदू संगठन सवाल पूछ रहे हैं कि।
क्या वक़्फ़ सरकार से मिली शक्तियों का ग़लत इस्तेमाल कर रहा है ?
वक़्फ़ जानबूझकर हिंदू मंदिरों पर अपना दावा कर रहा है ?
जिस तरीक़े से धीरे धीरे कर वक़्फ़ बोर्ड पूरी दिल्ली पर दावा ठोकता जा रहा है ये मामला गंभीर बन गया है। ऐसे में अब मोदी सरकार जल्द कोई बड़ा कदम उठा सकती है।क्योंकि मामला काफी गंभीर होता जा रहा है।