Yogi के साथ खिलवाड़ करना Modi-Shah को पड़ा महंगा ? UP में होने वाला है बड़ा खेल
यूपी में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ है। जिसके बाद सीएम योगी एक्शन मोड में आ गए हैं। बैठक कर हार पर मंथन किया जा रहा है।
दो बार प्रचंड बहुत के साथ बीजेपी ने सत्ता पर कब्जा किया। लेकिन तीसरी सत्ता तो पा ली.. लेकिन रास्ता डगमगाता हुआ मिला ।क्योंकि ना तो 400 पार का नारा सच साबित हुआ । और ना ही बीजेपी बहुमत का आंकड़ा पार कर पाई ।सत्ता में तीसरी बार आने के लिए पीएम मोदी को सहयोग के हाथ पांव जोड़ने की जरूरत पड़ी। क्योंकि नीतीश अपनी मांगों के साथ दवाब बना रहे हैं। और चंद्रबाबू नायडू खेल करने में जुटे हैं ।
हालांकि इस बीच इस्तीफों की पेशकश भी शुरू हो गई ।फडणवीस ने इस्तीफा देने की पेशकश कर डाली है। तो ऐसे में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर भी सबकी निगाहें आकर टिक गई। कि यूपी की हार की जिम्मेदारी कौन लेगा। सबसे बड़ी बात तो ये है कि सीएम योगी का अगला एक्शन क्या होगा । क्योंकि कहा जा रहा है कि यूपी की सीटें योगी आदित्यनाथ की वजह से कम नहीं हुई है। बल्कि उसके पीछे का काऱण खुद आलाकमान रहा है । वो कैसे चलिए बताते हैं। दरअसल
BJP ने इस चुनाव में 240 सीटें हासिल की हैं, 63 सीटों का नुकसान हुआ है ।
अकेले यूपी में पार्टी को 29 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।
यूपी में बीजेपी की सीट घटने का कारण नेतृत्व की कई गलतियां रही हैं। सबसे बड़ा मुद्दा रहा है कि विपक्ष की और से शोर मचाना कि योगी आदित्यनाथ को यूपी से हटाया जाएगा। नुकसान यहां ये हुआ कि बीजेपी आलाकमान ने बड़े स्तर पर इसका जवाब नहीं दिया। पीएम मोदी और अमित शाह ने जनसभाओं में सीएम योगी की प्रशंसा तो जरूर की। लेकिन यूपी बीजेपी के नेता खुद मानते हैं कि इस मुद्दे पर मोदी शाह जेपी नड्डा को जिस तरीके से खुलकर बोलना चाहिए था । वो नहीं बोले । उससे राजपूत मतदाताओं को अपने बड़े नेता को महत्वपूर्ण पद से खोने का डर पैदा हुआ । जिससे ना सिर्फ राजपूतों की नाराजगी बढ़ी ।बल्कि यूपी की जनता का गुस्सा भी बढ़ गया ।
UP में प्रत्याशी बदलना BJP को पड़ा भारी
इस चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में विशेषकर पूर्वांचल के इलाके में वर्तमान सांसदों के ही टिकट काट दिए । जिससे जनता में नए चेहरे को लेकर काफी आक्रोश देखने को मिला ।हालांकि जहां चेहरा बदलने की मांग उठ रही थी । वहां बीजेपी ने मौजूदा सांसद को ही टिकट दिया । जिसका हर्जाना बीजेपी को भुगतना पड़ा ।
बाहरी नेताओं पर भरोसे से BJP को नुकसान
बीजेपी ने इस चुनाव में लगभग 28 फीसदी टिकट ऐसे उम्मीदवापों को थमाया है जो पिछले 10 साल में दूसरे दलों से पार्टी में आए हैं ।और पार्टी ने अपने ही बड़े बड़े दिग्गजों को घर बैठा दिया ।अब इन नेताओं ने बेशक विरोध नहीं किया ।लेकिन प्रचार में सुस्त रहे । उनके समर्थक भी इतने अग्रेसिव नजर नहीं आए । इसका परिणाम ये हुआ कि एक बड़ा वोट बैंक बाहर नहीं निकला ।और सीधा बीजेपी को चोट लगी ।
RSS से तालमेल की कमी
वोटिंग से लेकर परिणाम आने तक RSS के किसी भी बड़े नेता ने सरकार या बीजेपी के कामकाज को लेकर कोई बड़ा बयान नहीं दिया है । पार्टी के नेताओं ने इस दूरी को पाटने की कोशिश भी नही की । बल्कि जेपी नड्डा के एक बयान से दोनों संगठनों में दूरी होने का संकेत गया । उससे भी बीजेपी को नुकसान पहुंचा ।
केवल एक नेता पर भरोसा
सीएम योगी के चेहरे को दबाकर सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया । यह कॉर्पोरेट कल्चर की ब्रांडिंग रणनीति कही जाती है ।जिसमें एक ब्रांड के चलने के बाद कई आउटलेट खोले जाते हैं ।लेकिन राजनीति में कॉर्पोरेट कल्चर काम नहीं आता ।इसी का नतीजा है कि बीजेपी को सिर्फ मोदी का चेहरा ही चमकाना नुकसान दायर साबित हुआ ।खैर अभी इंतजार कीजिए य़ूपी से भी जल्द बड़ी खबर सुनने को मिल सकती है ।