आइंस्टीन से भी ज्यादा IQ रखने वाले क्रिस लैंगन का सबसे बड़ा दावा, बताया मरने के बाद क्या होता है?
मनुष्य का मस्तिष्क हमेशा से जिज्ञासा का भंडार रहा है। जीवन, मृत्यु और उसके बाद का सत्य जानने की कोशिश में अनगिनत सभ्यताओं और धर्मों का उदय हुआ है। लेकिन आज भी यह प्रश्न अनसुलझा है कि मरने के बाद क्या होता है? इसी बीच, एक ऐसा व्यक्ति जो दुनिया का सबसे बुद्धिमान इंसान माना जाता है, ने इस रहस्य पर से पर्दा उठाने का दावा किया है। यह व्यक्ति हैं अमेरिका के क्रिस लैंगन, जिनका IQ महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से भी ज्यादा है।
इंसानी दिमाग हमेशा से जिज्ञासा का भंडार रहा है। खासकर, एक सवाल जिसने हर युग, हर सभ्यता और हर धर्म को जन्म दिया है, वह है कि मरने के बाद क्या होता है? इस सवाल का जवाब खोजने में हजारों साल बीत गए, लेकिन सच्चाई अब भी धुंधली है। इसी बीच, एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपना नाम दुनिया के सबसे बुद्धिमान इंसानों में शामिल किया है, उन्होंने इस पर एक बड़ा दावा किया है।
कौन हैं क्रिस लैंगन?
अमेरिका के क्रिस लैंगन, जिन्हें दुनिया का सबसे स्मार्ट व्यक्ति कहा जाता है, का IQ 190 से 210 के बीच माना गया है। यह महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के आईक्यू से भी 30-50 पॉइंट ज्यादा है। क्रिस लैंगन ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा एक गहन और अद्भुत सिद्धांत को विकसित करने में लगाया है, जिसे "कॉग्निटिव-थ्योरिटिक मॉडल ऑफ द यूनिवर्स" कहा जाता है। इस सिद्धांत में उन्होंने बताया है कि हमारे मन और वास्तविकता के बीच कैसा संबंध है। लेकिन यह सिर्फ उनके आईक्यू या सिद्धांत तक सीमित नहीं है। हाल ही में दिए गए उनके एक बयान ने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है।
मरने के बाद क्या होता है?
क्रिस लैंगन का मानना है कि मौत, शरीर के अंत का नाम है, लेकिन आत्मा का नहीं। उनके अनुसार, जब कोई इंसान मरता है, तो उसकी चेतना (कॉन्शियसनेस) एक अलग आयाम या अस्तित्व में प्रवेश कर जाती है। यह न तो पारंपरिक स्वर्ग है और न ही नर्क, बल्कि यह एक नया अनुभव है। लैंगन का कहना है कि हमारा भौतिक शरीर खत्म हो जाता है, लेकिन हमारी चेतना, जो हमारे अस्तित्व का मूल है, किसी और रूप में बदल जाती है। उन्होंने इसे 'आफ्टरलाइफ' की परंपरागत परिभाषा से अलग बताया है।
क्रिस लैंगन ने एक इंटरव्यू में बताया कि मृत्यु केवल आपके वर्तमान भौतिक शरीर से अलग होने का नाम है। लेकिन आप अस्तित्व को खत्म नहीं करते। इसके बजाय, आप एक ऐसी जगह जाते हैं, जहां आपकी चेतना को बनाए रखने के लिए एक नया रूप मिलता है। उनका कहना है कि यह "पुनर्जन्म" जैसा नहीं है, बल्कि एक बड़े सिमुलेशन का हिस्सा होने जैसा है। लैंगन ने अपने सिद्धांत में यह भी कहा कि मृत्यु के बाद की स्थिति किसी विशाल सुपरकंप्यूटर में होने जैसी है। वहां सब कुछ आपके आसपास है, लेकिन वास्तविक घटनाएं नहीं घटतीं। उनका मानना है कि यह स्थिति भौतिकता से परे एक सत्य और जटिलता का मेल है। इसे समझना हमारे वर्तमान दिमाग से परे हो सकता है, लेकिन यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारा अस्तित्व केवल शरीर तक सीमित है?
क्या खो जाती हैं यादें?
लैंगन का कहना है कि मृत्यु के बाद हम अपनी पिछली यादों को पूरी तरह नहीं खोते। हालांकि, उस अवस्था में उन यादों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होती। नई चेतना में एक अलग तरह की स्वतंत्रता होती है, जो आत्मा को अधिक समझदार और परिपूर्ण बनाती है। लैंगन का यह भी कहना है कि मृत्यु के बाद की स्थिति पारंपरिक स्वर्ग या नर्क जैसा नहीं है। यह एक नई शुरुआत है, जहां चेतना एक अलग आयाम में जाती है। यहां पर समय और स्थान का कोई मोल नहीं होता। लैंगन का यह दावा कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को हैरान करता है। कई लोगों का मानना है कि यह केवल एक विचार है, जो विज्ञान और दर्शन का मेल है। वहीं, कुछ का कहना है कि लैंगन की थ्योरी इंसानी चेतना और ब्रह्मांड को समझने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकती है।
यह सिद्धांत विज्ञान और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत मेल है। क्रिस लैंगन ने इसे यह समझाने के लिए विकसित किया कि हमारा मन और ब्रह्मांड कैसे जुड़े हुए हैं। यह सिद्धांत हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम जिस वास्तविकता में रहते हैं, वह क्या वास्तव में सच है, या यह केवल हमारी चेतना का निर्माण है।
क्रिस लैंगन का यह बयान न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें आध्यात्मिकता और जीवन के मूल प्रश्नों पर नए सिरे से सोचने को मजबूर करता है। मृत्यु का यह रहस्य, जो हमेशा से अनसुलझा रहा है, शायद अब थोड़ा स्पष्ट हो रहा है। लैंगन के सिद्धांत को मानें या न मानें, लेकिन यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या मृत्यु अंत है, या एक नई शुरुआत का दरवाजा?