क्यों है कुवैत में भारतीयों की इतनी बड़ी आबादी? जानकर हो जाएंगे हैरान
कुवैत में भारतीय प्रवासी कुल आबादी का 21% हिस्सा बनाते हैं, जो इस खाड़ी देश की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारतीयों का बड़ा हिस्सा कुवैत में नौकरियों, व्यवसाय, और बेहतर जीवनशैली की तलाश में गया है। यहां की बेहतर आय और सुविधाएं प्रवासी भारतीयों को आकर्षित करती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुवैत यात्रा भारतीय और कुवैती संबंधों को एक नई ऊंचाई देने के इरादे से हो रही है। कुवैत, जो अपने तेल संसाधनों और समृद्ध अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, भारतीय प्रवासियों का एक महत्वपूर्ण गढ़ है। इस खाड़ी देश में भारतीयों की आबादी 21% से अधिक है, जो न केवल अपने कौशल और मेहनत से देश को सशक्त बना रहे हैं, बल्कि भारत और कुवैत के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक पुल का काम भी कर रहे हैं।
भारतीयों का कुवैत में बसने का इतिहास 1950 के दशक से शुरू होता है, जब यहां तेल के भंडार की खोज हुई और कुशल श्रमिकों की जरूरत बढ़ी। भारत, जिसकी आबादी और श्रम शक्ति विश्व में सबसे बड़ी है, इस अवसर का लाभ उठाने वालों में सबसे आगे रहा। आज, भारतीय प्रवासी कुवैत के लगभग हर क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं, चाहे वह कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री हो, हेल्थकेयर सेक्टर, या फिर टेक्नोलॉजी और शिक्षा। कुवैत में भारतीय प्रवासी न केवल अपनी मेहनत से जीवन यापन कर रहे हैं, बल्कि वे कुवैत की अर्थव्यवस्था में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। खासकर, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए कुवैत आते हैं।
भारतीय कितना कमाते हैं कुवैत में?
कुवैत में भारतीय कामगारों की आय काफी विविध है। कुशल मजदूर जैसे ड्राइवर, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, और टेक्नीशियन औसतन 250-500 कुवैती दिनार (₹70,000 से ₹1,50,000) प्रति माह कमाते हैं। वहीं, डॉक्टर, इंजीनियर और आईटी प्रोफेशनल्स जैसी उच्च कुशल नौकरियों में लगे लोग 1000-3000 कुवैती दिनार (₹3 लाख से ₹9 लाख) तक कमा सकते हैं। यह आय केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बनाने तक सीमित नहीं रहती। भारतीय प्रवासी हर साल अरबों रुपये भारत भेजते हैं, जिससे उनके परिवारों को सहारा मिलता है और भारत की विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ावा मिलता है।
कुवैत में भारतीयों का प्रभाव केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। भारतीय स्कूल, मंदिर, मस्जिद, और सांस्कृतिक संगठन वहां भारतीय संस्कृति को जीवित रखते हैं। भारतीय दूतावास इन प्रवासियों के लिए एक मजबूत सहारा है, जो उनकी समस्याओं को सुलझाने और कुवैती सरकार के साथ उनके अधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है।
भारत-कुवैत का आर्थिक रिश्ता
कुवैत और भारत के बीच संबंध न केवल श्रम बल तक सीमित हैं। भारत कुवैत से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है, जो भारतीय ऊर्जा जरूरतों का एक प्रमुख स्रोत है। इसके बदले में, भारत कुवैत को दवाएं, खाद्य सामग्री, और इंजीनियरिंग उत्पाद निर्यात करता है। PM मोदी की यह यात्रा इन संबंधों को और मजबूत करने का लक्ष्य रखती है। उनके द्वारा कुवैत के क्राउन प्रिंस से मुलाकात और अरबियन गोल्फ कप के उद्घाटन समारोह में भागीदारी, दोनों देशों के बीच सामरिक और सांस्कृतिक सहयोग को और गहराई प्रदान करेंगे।
हालांकि कुवैत में भारतीय समुदाय मजबूत स्थिति में है, लेकिन उन्हें कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। कुवैती सरकार द्वारा प्रवासी कानूनों में बदलाव और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने की कोशिशें, भारतीय प्रवासियों के लिए नई समस्याएं खड़ी कर सकती हैं। लेकिन भारतीय प्रवासियों की मेहनत, समर्पण, और कुवैती समाज में उनका योगदान यह सुनिश्चित करता है कि वे यहां अपनी जगह बनाए रखें।
PM मोदी की कुवैत यात्रा केवल एक राजनयिक पहल नहीं है, यह भारतीय प्रवासियों के लिए एक मान्यता और प्रोत्साहन है। कुवैत में भारतीयों की बड़ी आबादी इस बात का प्रमाण है कि भारतीय अपने मेहनत और कौशल से किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और समाज को सशक्त बना सकते हैं।