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ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के लिए क्यों बैन किया गया सोशल मीडिया, जानें क्यों उठाया गया इतना बड़ा कदम?

ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। सरकार ने यह कदम साइबर बुलिंग, गोपनीयता उल्लंघन, और बच्चों पर पड़ने वाले नकारात्मक मानसिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए उठाया है। इसके तहत, 13 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने से रोका जाएगा, और नियमों का पालन न करने वाले प्लेटफॉर्म्स पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के लिए क्यों बैन किया गया सोशल मीडिया, जानें क्यों उठाया गया इतना बड़ा कदम?
सोशल मीडिया आज के समय में हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग—हर उम्र के लोग इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में बच्चों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाकर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह फैसला न केवल बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य और गोपनीयता को बचाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने पाया कि सोशल मीडिया बच्चों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बच्चे साइबर बुलिंग, गोपनीयता के उल्लंघन और हानिकारक कंटेंट के संपर्क में आ रहे थे। हाल के शोध में यह भी सामने आया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बच्चों का डेटा बिना उनकी जानकारी के इकट्ठा कर रहे हैं और इसे व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताने से बच्चों में डिप्रेशन, एंग्जायटी और नींद की समस्याएं बढ़ रही थीं।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने अपने बयान में कहा कि "बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार स्वस्थ और सुरक्षित डिजिटल वातावरण मिलना चाहिए। यह बैन बच्चों की सुरक्षा और उनकी डिजिटल गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक जरूरी कदम है।"
कड़े नियम और भारी जुर्माने का प्रावधान
ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर प्रतिबंध के साथ-साथ सख्त नियम भी लागू किए गए हैं। यदि कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इन नियमों का पालन नहीं करता, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि 13 साल से कम उम्र के बच्चे उनके प्लेटफॉर्म का उपयोग न करें। 13 से 18 साल के बच्चों के लिए सख्त कंटेंट फिल्टर और मॉडरेशन अनिवार्य किया गया है। इतना ही नहीं बल्कि बच्चों का डेटा इकट्ठा करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
दुनिया के अन्य देशों का रुख
1. अमेरिका- ऑस्ट्रेलिया का यह कदम अकेला नहीं है। बल्कि अमेरिका में भी "चिल्ड्रन ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट (COPPA)" के तहत बच्चों की गोपनीयता की सुरक्षा के लिए नियम बनाए गए हैं। हाल ही में, कई अमेरिकी राज्यों ने बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर स्क्रीन टाइम लिमिट लगाने की योजना बनाई है।

2. यूरोप-  यूरोप में "जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR)" के तहत बच्चों के डेटा की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। यूरोपीय संघ ने कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी दी है कि वे बच्चों के डेटा का दुरुपयोग बंद करें।

3. चीन- चीन ने बच्चों के सोशल मीडिया और गेमिंग पर पहले ही कड़े नियम लागू कर रखे हैं। 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स पर सीमित समय बिताने की अनुमति है। इसके अलावा, बच्चों के लिए हानिकारक कंटेंट पर भी पूरी तरह प्रतिबंध है।

4. भारत- भारत में भी बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, अभी तक सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। सरकार ने "डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल" लाने की बात कही है, जिसमें बच्चों के डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।
सोशल मीडिया कंपनियों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया कंपनियां जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, और टिकटॉक, ऑस्ट्रेलिया के इस कदम को चुनौती दे सकती हैं। इन कंपनियों का कहना है कि वे पहले से ही बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा फीचर्स लागू कर रहे हैं, जैसे कि पैरेंटल कंट्रोल और कंटेंट फिल्टर। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया सरकार का मानना है कि यह उपाय पर्याप्त नहीं हैं। सरकार का कहना है कि बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए प्लेटफॉर्म्स को और अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार होना होगा।

हालांकि बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन करने के कई फायदें और चुनौतियां भी है। फायदों की बात करें तो बच्चों को हानिकारक और असामाजिक कंटेंट से बचाया जा सकेगा। इस कदम से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा, क्योंकि वे सोशल मीडिया के दबाव से दूर रहेंगे। बच्चों का डेटा सुरक्षित रहेगा और उसका व्यावसायिक उपयोग नहीं होगा। वहीं इसे लेकर कुछ चुनौतियां भी है, जैसे यह सुनिश्चित करना कि बच्चे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग न करें, माता-पिता को बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अधिक सतर्क रहना होगा और बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स इस प्रतिबंध को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं।

ऑस्ट्रेलिया का यह कदम न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह दुनिया के अन्य देशों को भी प्रेरित कर सकता है। सोशल मीडिया एक शक्तिशाली माध्यम है, लेकिन इसके दुरुपयोग से बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में, सरकार और समाज को मिलकर एक ऐसा वातावरण तैयार करना होगा, जहां बच्चे सुरक्षित और स्वस्थ डिजिटल जीवन जी सकें। यह देखना दिलचस्प होगा कि ऑस्ट्रेलिया का यह मॉडल दुनिया के अन्य देशों में कैसे अपनाया जाता है और क्या यह बच्चों के लिए एक सुरक्षित डिजिटल भविष्य की नींव रख पाएगा।
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