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BIMSTEC vs SAARC: कौन है दक्षिण एशिया का असली बादशाह?

BIMSTEC 6th Summit 2025 बैंकॉक में आयोजित हो रहा है, जिसमें भारत समेत 7 देश भाग ले रहे हैं। यह संगठन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने के लिए बनाया गया था। BIMSTEC की ताकत इसकी 1.7 अरब की आबादी और 3.8 ट्रिलियन डॉलर की संयुक्त अर्थव्यवस्था है।
BIMSTEC vs SAARC: कौन है दक्षिण एशिया का असली बादशाह?
बैंकॉक में 4 अप्रैल को BIMSTEC का छठा शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह संगठन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के लिए आर्थिक और तकनीकी सहयोग को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। लेकिन क्या BIMSTEC सच में इतना ताकतवर है? और यह संगठन दक्षिण एशिया में कितना प्रभावशाली हो सकता है? आइए, इस पर गहराई से नजर डालते हैं।

कैसे हुई थी BIMSTEC की शुरुआत 

BIMSTEC यानी Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1997 में की गई थी। शुरुआत में इस संगठन का नाम BIST-EC था क्योंकि इसमें सिर्फ चार देश बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे। बाद में म्यांमार, नेपाल और भूटान को भी शामिल किया गया, जिससे इसका नाम बदलकर BIMSTEC हो गया।

इस संगठन का मुख्यालय ढाका, बांग्लादेश में स्थित है। BIMSTEC का गठन मुख्य रूप से बंगाल की खाड़ी के देशों के बीच व्यापार, कनेक्टिविटी और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। इस संगठन का उद्देश्य दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच आपसी सहयोग और विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है।

BIMSTEC के सदस्य देश और उनका योगदान

BIMSTEC में कुल 7 सदस्य देश भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड. म्यांमार, नेपाल और भूटान शामिल हैं। इसमें भारत सबसे बड़ा और प्रभावशाली सदस्य है, जो संगठन के कई प्रमुख परियोजनाओं में नेतृत्व कर रहा है। बांग्लादेश BIMSTEC का मुख्यालय और संगठन के आर्थिक सहयोग में अहम भूमिका। श्रीलंका समुद्री सुरक्षा और व्यापार को लेकर महत्वपूर्ण योगदान देता है। वही थाईलैंड दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण पुल है। म्यांमार दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच व्यापारिक मार्ग का नेतृत्व करता है। नेपाल जलविद्युत और पर्यटन में योगदान देने वाला देश है। जबकि भूटान पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा परियोजनाओं में सहयोगी है। ये सभी देश मिलकर 1.7 अरब की आबादी और लगभग 3.8 ट्रिलियन डॉलर की संयुक्त अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं।

BIMSTEC का उद्देश्य और महत्व

BIMSTEC का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करना और एक गतिशील व्यापारिक नेटवर्क तैयार करना है। संगठन ने 14 क्षेत्रों को प्राथमिकता दी है।

व्यापार और निवेश – मुक्त व्यापार समझौते को बढ़ावा देना।

परिवहन और कनेक्टिविटी – सदस्य देशों के बीच सड़क, रेल और समुद्री मार्गों को विकसित करना।

ऊर्जा सहयोग – अक्षय ऊर्जा और जलविद्युत परियोजनाओं में सहयोग।

पर्यटन – क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक संबंध मजबूत करना।

सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयास – आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई।

BIMSTEC ASEAN और SAARC के बीच एक कड़ी के रूप में काम करता है और भारत के लिए यह संगठन ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

BIMSTEC बनाम SAARC कौन ज्यादा प्रभावशाली?

BIMSTEC और SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) की तुलना अक्सर की जाती है। हालांकि दोनों संगठनों का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना है, लेकिन SAARC की तुलना में BIMSTEC अधिक प्रभावशाली और सक्रिय माना जाता है। SAARC में पाकिस्तान की मौजूदगी से कई बाधाएं उत्पन्न होती रही हैं, जबकि BIMSTEC में पाकिस्तान शामिल नहीं है, जिससे निर्णय लेना आसान होता है। BIMSTEC का ध्यान आर्थिक विकास और तकनीकी सहयोग पर अधिक केंद्रित है, जबकि SAARC का ध्यान राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दों पर अधिक रहा है। BIMSTEC अधिक सक्रिय संगठन साबित हो रहा है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में SAARC की बैठकें बार-बार स्थगित होती रही हैं। BIMSTEC का विस्तार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी हो सकता है, जिससे यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बन जाता है।

BIMSTEC की अब तक की उपलब्धियां
BIMSTEC ग्रिड इंटरकनेक्शन परियोजना – जिससे सदस्य देशों के बीच ऊर्जा आपूर्ति को सुगम बनाया जा सके।

कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट – भारत और म्यांमार के बीच संपर्क को मजबूत करने के लिए।

BIMSTEC फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) – जिससे सदस्य देशों के बीच व्यापार बढ़ाने की योजना बनाई गई है।

इसके अलावा, संगठन साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को भी प्राथमिकता दे रहा है।

BIMSTEC 6th Summit में क्या होगा नया?
4 अप्रैल 2025 को बैंकॉक में आयोजित होने वाला BIMSTEC का छठा शिखर सम्मेलन कई मायनों में महत्वपूर्ण होने वाला है। इस सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पर नए समझौते हो सकते हैं। सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत किया जा सकता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में BIMSTEC की भूमिका पर चर्चा होगी। भारत के लिए यह सम्मेलन BIMSTEC को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रभावशाली बनाने का एक मौका है।

ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या BIMSTEC दक्षिण एशिया का सबसे ताकतवर संगठन बन सकता है? तो हम आपको बता दें कि BIMSTEC में वह सारी संभावनाएं हैं जो इसे दक्षिण एशिया का सबसे प्रभावशाली संगठन बना सकती हैं। इसकी ताकत इस बात पर निर्भर करेगी कि सदस्य देश आपसी सहयोग को कितना मजबूत करते हैं। यदि BIMSTEC को सही दिशा में आगे बढ़ाया गया, तो यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे बड़ा आर्थिक और रणनीतिक संगठन बन सकता है। भारत, जो इस संगठन का सबसे बड़ा सदस्य है, इसमें नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है और इसे ASEAN और G20 जैसे संगठनों के बराबर खड़ा कर सकता है।

BIMSTEC 6th Summit न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना है। भारत के लिए यह संगठन रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है। अगर BIMSTEC को सही तरीके से आगे बढ़ाया गया, तो यह संगठन ASEAN से भी बड़ा और प्रभावशाली बन सकता है।

आने वाले समय में BIMSTEC की दिशा तय करेगी कि दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया का भविष्य कैसा होगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या BIMSTEC सच में दक्षिण एशिया का सबसे ताकतवर संगठन बनने की ओर बढ़ रहा है या नहीं?
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