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हिज़्बुल्लाह के मास्टर माइंड इब्राहीम कुबैसी की मौत, क्या हिज़्बुल्लाह के दिन गिनती में हैं?

मंगलवार की रात, इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने बेरूत के दक्षिणी इलाके में एक खास ऑपरेशन चलाया। यह हमला कुबैसी के ठिकाने पर किया गया था, जिसमें उसे और उसके साथियों को मार गिराया गया। इस हमले में कुल छह लोग मारे गए, जिनमें कुबैसी भी शामिल था।
हिज़्बुल्लाह के मास्टर माइंड इब्राहीम कुबैसी की मौत, क्या हिज़्बुल्लाह के दिन गिनती में हैं?
इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच का संघर्ष कोई नया नहीं है, 7 अक्टूबर 2023 को हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकी संगठन एकजुट होकर इजरायल पर भारी हमले कर रहे थे। यह लड़ाई इजरायल और हमास के बीच शुरू हुई थी, लेकिन हिजबुल्लाह ने अपने रॉकेट हमलों से इस संघर्ष को और बड़ा कर दिया। 

हिज़्बुल्लाह, जो की एक कट्टरपंथी शिया संगठन है, वर्षों से यह इजरायल की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है। इजरायल की उत्तरी सीमा पर बसे इस संगठन ने बार-बार मिसाइल हमले किए हैं, जिससे इजरायल के नागरिकों और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा है,आसमान में उड़ते मिसाइल और रॉकेटों ने इजरायल को नई चुनौती दी थी, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि कुछ ही दिनों में उनकी सारी योजनाएं ध्वस्त हो जाएंगी। दरअसल हाल ही में इजरायल की ओर से चलाया गया"ऑपरेशन नॉर्दर्न एरोज" इस लड़ाई को एक नए और निर्णायक मोड़ पर ले आया है।  "ऑपरेशन नॉर्दर्न एरोज" इजरायल का एक विशेष सैन्य अभियान है, जिसका मुख्य उद्देश्य हिज़्बुल्लाह के बड़े और अहम ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें ध्वस्त करना है। हाल ही में इजरायली एयर फोर्स ने हिज़्बुल्लाह के मिसाइल और रॉकेट फोर्स के कमांडर इब्राहिम मुहम्मद कबैसी को मार गिराया। यह घटना उस समय हुई जब इजरायली विमानों ने बेरूत के अल-रबीरी इलाके में हवाई हमला किया गया। 
कुबैसी: मिसाइलों का मास्टरमाइंड
इब्राहीम कुबैसी, जिसे हिजबुल्लाह में "मिसाइल मैन" के नाम से जाना जाता था, कहते है कुबैसी की इजरायल पर हुए हमलों में मुख्य भूमिका रही। कुबैसी का नाम न सिर्फ हिजबुल्लाह के शीर्ष नेताओं में शुमार था, बल्कि वह संगठन के मिसाइल और रॉकेट डिवीजन का मुख्य जिम्मेदार भी था। इजरायल पर हुए लगभग सभी मिसाइल हमलों की योजना कुबैसी द्वारा तैयार की गई थी। बताया जाता है कि कुबैसी का ज्ञान मिसाइलों और हथियारों के क्षेत्र में इतना गहरा था कि हिजबुल्लाह की सीनियर लीडरशिप उसे एक केंद्रीय कड़ी के रूप में देखती थी। यही कारण था कि तब इजरायल पर लगातार हमले हो रहे थे, और इसलिए इजरायल ने सबसे पहले कुबैसी को ठिकाने लगाने का फैसला किया। कुबैसी की मौत ने हिजबुल्लाह को झकझोर कर रख दिया है। वह संगठन के मिसाइल प्रोग्राम का आधार स्तंभ था, और उसके बिना हिजबुल्लाह की सैन्य ताकत कमजोर हो गई है। 

इजरायल की इस कार्यवाही के दौरान हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ कमांडरों में अली कराकी और रादवां फोर्स का कमांडर विसम अल तवील भी मारे गए। इजरायल की यह रणनीति हिज़्बुल्लाह के सैन्य ढांचे को कमज़ोर करने के लिए है, ताकि उसकी मिसाइल क्षमताओं को नष्ट किया जा सके और आतंकवादी गतिविधियों को रोका जा सके। हालांकि, हिज़्बुल्लाह ने इजरायली हमलों के बाद अपने लड़ाकों को सक्रिय कर दिया है और इजरायल पर रॉकेट और मिसाइल हमले जारी रखे हैं। लेबनान में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं, और आम नागरिक भी इस युद्ध के बीच फंस गए हैं। लेबनान के लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं, क्योंकि इजरायल ने चेतावनी दी है कि वह हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर और भी बड़े हमले कर सकता है। इजरायल की ओर से जारी एक संदेश में लेबनान के नागरिकों से कहा गया कि वे हिज़्बुल्लाह के हथियार भंडारण वाले स्थानों से दूर रहें, क्योंकि अगले कुछ दिनों में वहां बड़े हमले हो सकते हैं। इस संदेश के बाद लेबनान में एक अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया है।

इस संघर्ष में अमेरिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल के इस ऑपरेशन का समर्थन करते हुए कहा कि "हिज़्बुल्लाह और हमास जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।" उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इजरायल के रुख का समर्थन किया और कहा कि "7 अक्टूबर की भयावहता को दुनिया भूल नहीं सकती।" बाइडेन ने इजरायल-हिज़्बुल्लाह संघर्ष को सुलझाने के लिए कूटनीतिक समाधान पर जोर दिया, लेकिन साथ ही कहा कि आतंकवादियों को पनाह देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी जरूरी है।
इजरायल का मकसद और भविष्य की दिशा
इजरायल का "ऑपरेशन नॉर्दर्न एरोज" हिज़्बुल्लाह के खिलाफ एक लंबी और कठिन लड़ाई का हिस्सा है, जिसमें इजरायल की सेना का मकसद आतंकवादी ठिकानों को खत्म करना और अपनी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस ऑपरेशन के जरिए इजरायल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा, चाहे उसे कितनी ही बड़ी लड़ाई क्यों न लड़नी पड़े। आगे आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच का यह संघर्ष किस दिशा में जाता है। क्या अंतर्राष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक प्रयास इस युद्ध को रोक पाएंगे, या फिर मिडिल ईस्ट में एक और बड़ा युद्ध देखने को मिलेगा? इजरायल के लगातार हमलों से हिजबुल्लाह और हमास दोनों ही परेशान हो चुके हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस लड़ाई में आगे कौन बढ़त लेता है।


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