Advertisement

पूर्व RBI गवर्नर शक्तिकांत दास बने PM Modi के प्रधान सचिव, जानिए क्यों हैं वे मोदी की पहली पसंद?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपने भरोसेमंद अधिकारी को अहम पद पर नियुक्त किया है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधान सचिव-2 के रूप में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में शामिल किया गया है। शक्तिकांत दास, नोटबंदी, GST लागू करने और भारत की आर्थिक नीतियों को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभा चुके हैं।
पूर्व RBI गवर्नर शक्तिकांत दास बने PM Modi के प्रधान सचिव, जानिए क्यों हैं वे मोदी की पहली पसंद?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली का एक बड़ा हिस्सा यह भी है कि वे जिन अधिकारियों पर भरोसा करते हैं, उन्हें लंबे समय तक अपनी टीम का हिस्सा बनाए रखते हैं। चाहे एस. जयशंकर हों, हरदीप सिंह पुरी या फिर अजीत डोभाल—ये सभी अधिकारी पहले नौकरशाही में अपनी भूमिका निभा चुके थे और बाद में पीएम मोदी की टीम में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हुए। अब इस सूची में एक और बड़ा नाम जुड़ गया है—भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास।
कैसे मिली शक्तिकांत दास को PMO में जिम्मेदारी?
आरबीआई गवर्नर के रूप में सफलतापूर्वक छह साल पूरे करने के बाद दिसंबर 2024 में शक्तिकांत दास का कार्यकाल समाप्त हो गया था। लेकिन महज दो महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपनी टीम में एक नई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी। कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने आधिकारिक तौर पर दास को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में प्रधान सचिव-2 के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है। अब शक्तिकांत दास प्रधान सचिव-1 पी. के. मिश्रा के साथ मिलकर प्रधानमंत्री के नीतिगत निर्णयों और प्रशासनिक कार्यों का संचालन करेंगे। इस नियुक्ति से साफ हो गया कि मोदी सरकार में शक्तिकांत दास का कद और भी बढ़ गया है।
कौन हैं शक्तिकांत दास?
शक्तिकांत दास तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। वे अपने करियर में वित्त, निवेश, टैक्सेशन, बुनियादी ढांचा और नीति निर्माण जैसे अहम सेक्टर्स में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। उनका प्रशासनिक अनुभव करीब 40 वर्षों का है, जिससे उन्हें भारत की अर्थव्यवस्था और वित्तीय नीतियों को समझने में गहरी पकड़ है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक और स्नातकोत्तर करने के बाद शक्तिकांत दास ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की और 1980 में IAS अधिकारी बने। भले ही उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि इतिहास विषय की थी, लेकिन उन्होंने अपनी पूरी प्रशासनिक सेवा के दौरान वित्त और अर्थव्यवस्था पर गहरी पकड़ बनाई।
शक्तिकांत दास मोदी सरकार की पसंद क्यों बने?
1. नोटबंदी के मास्टरमाइंड
2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था, तब शक्तिकांत दास वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव थे। इस निर्णय की योजना बनाने और इसे लागू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
2. जीएसटी (GST) को सफलतापूर्वक लागू करवाने में अहम भूमिका
शक्तिकांत दास उन अधिकारियों में शामिल रहे, जिन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रणनीतियों और नीतियों की वजह से GST को सफलतापूर्वक लागू किया गया और कर प्रणाली में सुधार हुआ।
3. आरबीआई गवर्नर के रूप में बेहतरीन कार्यकाल
दिसंबर 2018 में जब उर्जित पटेल ने अचानक आरबीआई गवर्नर पद से इस्तीफा दिया, तो मोदी सरकार ने तत्काल शक्तिकांत दास को यह जिम्मेदारी सौंपी। दास ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जिनमें शामिल है कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए साहसिक फैसले,  बैंकों में एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ECL) फ्रेमवर्क लागू कर बैंकों की बैलेंस शीट को मजबूत बनाना,  मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रित रखते हुए GDP ग्रोथ को बनाए रखना, और RBI के मुनाफे से केंद्र सरकार को हर साल लगभग ₹2 लाख करोड़ का ट्रांसफर, जिससे कई सरकारी योजनाओं को लागू करने में मदद मिली।
4. वैश्विक स्तर पर भारत की सशक्त उपस्थिति
शक्तिकांत दास ने भारत की ओर से IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष), G20, BRICS और SAARC जैसे मंचों पर देश का नेतृत्व किया। वे भारत के G20 शेरपा भी रह चुके हैं।
5. दो बार दुनिया के ‘बेस्ट सेंट्रल बैंकर’ का खिताब
‘ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड’ हर साल दुनिया के केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों को ग्रेडिंग देता है। शक्तिकांत दास को 2023 और 2024 में लगातार दो बार दुनिया के ‘सर्वश्रेष्ठ सेंट्रल बैंकर’ का अवॉर्ड मिला।
शक्तिकांत दास की भूमिका क्या होगी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के रूप में शक्तिकांत दास की नियुक्ति सरकार के प्रशासनिक और आर्थिक नीतियों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। उनकी जिम्मेदारियों में शामिल होंगे नीतिगत फैसलों को प्रभावी रूप से लागू करवाना, प्रधानमंत्री की योजनाओं के लिए वित्तीय रणनीति तैयार करना, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति मामलों में प्रधानमंत्री को सलाह देना, मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने के लिए रणनीतिक निर्णय लेना, G20 और अन्य वैश्विक मंचों पर भारत की मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करना।
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2029 के आम चुनावों से पहले मोदी सरकार अपनी आर्थिक नीतियों को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। शक्तिकांत दास की नियुक्ति इसी रणनीति का हिस्सा हो सकती है, क्योंकि वे अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ माने जाते हैं और उनके पास वित्तीय संकटों से निपटने का व्यापक अनुभव है। अगर 2025-2029 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा जाता है, महंगाई काबू में रहती है और निवेश बढ़ता है, तो यह मोदी सरकार के लिए एक मजबूत चुनावी मुद्दा बन सकता है। शक्तिकांत दास की नियुक्ति दिखाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर बनाए रखते हैं, जिनकी प्रशासनिक दक्षता और निर्णय लेने की क्षमता पर उन्हें भरोसा है। नोटबंदी, जीएसटी, कोविड संकट, और वैश्विक आर्थिक मंचों पर उनके बेहतरीन प्रदर्शन ने उन्हें प्रधानमंत्री के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक बना दिया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में शक्तिकांत दास अपनी नई भूमिका में क्या अहम फैसले लेते हैं और आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे दिशा देते हैं। 
Advertisement
Advertisement