Manish Kashyap ने BJP और Congress नेताओं का खेल कैसे खराब किया? जानिए पूरी कहानी
मनीष कश्यप ने लोकसभा चुनाव 2024 में हर दिन पुराने और जमे जमाए नेताओं का खेल खराब कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में जानिए कि लोग क्यों मनीष कश्यप के पीछे मजबूती के साथ खड़े हैं। ये रिपोर्ट देखिए।
कहते हैं कि सियासत का एक सत्य है- वोट। और वोटर कभी भी वोट उसे ही देता है, जिसके ऊपर अथाह प्यार हो। विश्वास हो। भरोसा हो। और यही विश्वास, भरोसा और प्यार मनीष कश्यप को कई पुराने नेताओं से भी बड़ा नेता बना दिया है।
बिहार के एक छोटे से गांव से निकले मनीष कश्यप ने इस बार सिर्फ चुनावी मैदान में सिर्फ हुंकार ही नहीं भरी है, कई नेताओं को अलर्ट कर दिया है। आने वाले दिनों में वो उन सभी नेताओं का बोरिया-बिस्तर बंधवा सकते हैं। हो सकता है 4 जून को वोटों की गिनती के साथ बिहार की सियासत पूरी तरह से बदल जाए। और अगर ऐसा हुआ तो इसके एक छोर पर मनीष कश्यप की खड़े रहेंगे।
चुनाव में किसी भी नेता के कद से बड़े होते हैं- मुद्दे। और जिनका मुद्दा जितना मजबूत होता है। उनकी जीत की गारंटी उतनी बढ़ती जाती है। इसीलिए ये कहने में कोई दिक्कत नहीं कि मनीष कश्यप ने देखते ही देखते कांग्रेस से लेकर बीजेपी के नेताओं को अपने निशाने पर ले लिया है। और अपना मुद्दा बनाया है भ्रष्टाचार। साथ ही खुले मंच से इस बात को कह दिया है कि अगर जीत हो गई तो पश्चिमी चंपारण में भ्रष्टाचार करने वालों के लिए ठीक नहीं होगा।
सिर्फ शौचालय कोई मुद्दा नहीं है। मुख्य बात है कि भ्रष्टाचार किसी भी तरह से बंद हो। हजारों की भीड़ में खड़े होकर ये कहना कि हम सत्ता में आ गए तो ठेकेदारों को सबसे पहले लाइन पर लाएंगे। फिर किसी में ये हिम्मत नहीं बचेगी कि वो भ्रष्टाचार कर ले।
ये सच है कि बिहार में वक्त के साथ सब कुछ बदला है लेकिन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ उस तरह से कोई कार्रवाई नहीं हुई। जो सियासत से लेकर समाज तक कोई संदेश दे। हालांकि अब मनीष ने जिस तरह से भ्रष्टाचार को मु्ददा बनाया है। वो अधिकारियों से लेकर हर स्तर के बेइमान नेताओं के लिए चेतावनी है।
(एंबियंस का इस्तेमाल करेंगे)
बिहार में लालू-नीतीश के 33 सालों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। वो चाहे आर्थिक मोर्चा हो, गरीबी हो, रोजगार हो, शिक्षा हो, या फिर मेडिकल फैसिलिटी की गांव-गांव तक पहुंच।ये वो मामले हैं जिसे लेकर बिहार अभी भी खुद से खुद के लिए लड़ाई लड़ रहा है। आंकड़ों पर जाएंगे तो पता चलेगा कि बिहार किस हाल में अभी भी फंसा हुआ है
बिहार का बुरा हाल किसने किया ?
- नवंबर 2021 में नीति आयोग ने जारी किया बहुआयामी गरीबी सूचकांक
- नीति आयोग के मुताबिक- 52% लोग गरीब
बिहार में गरीबी इतनी क्यों है तो इसके पीछे की कहानी जानने पर पता चलेगा कि बिहार में रोजगार के हाल भी बहुत खराब हैं। CMIE के मुताबिक साल 2022 के दिसंबर महीने में बिहार में बेरोजगारी दर 19.1% थी। ये उस वक्त का आंक़ड़ा है जब पूरे देश के लिए बेरोजगारी दर 8.3% था। ये ऐसी तस्वीर है जो बिहार का सच है। और लोग अब इस तस्वीर को बदलना चाहते हैं, तभी तो मनीष कश्यप जैसे युवा नेताओं पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है।
इतिहास गवाह है कि, इस देश में जब-जब क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं, उसके आधार में हमेशा युवाओं की ही भूमिका रही है। और ऐसा ही बदलाव इस बार बिहार के पश्चिमी चंपारण में होता हुआ दिख रहा है। जिसके आधार में मनीष कश्यप का ही नाम है। और हो सकता है इस बार चुनाव के बाद बिहार में ये बदलाव बड़े फलक पर दिखने लगे। क्योंकि इस बार की कहानी बिल्कुल बदली हुई है। सालों साल से सत्ता में बैठे नेताओँ से लोगों की नाराजगी अपने चरम पर है। ये भी एक कारण है कि लोग अब अपने नेताओं को बदलना चाहते हैं। और हर स्तर से ऊपर उठकर युवा नेता पर अपने भरोसे का मुहर लगाना चाहते हैं।