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नया देश कैसे बनता है? बलूचिस्तान की आज़ादी की राह में क्या है सबसे बड़ी रुकावट?

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन दशकों से यहां के लोग अपनी आज़ादी की मांग कर रहे हैं। 1948 से अब तक पांच बड़े विद्रोह हो चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार हर बार इन आंदोलनों को कुचलने में सफल रही। हाल ही में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तानी सेना पर कई हमले किए, जिससे यह मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है।
नया देश कैसे बनता है? बलूचिस्तान की आज़ादी की राह में क्या है सबसे बड़ी रुकावट?
क्या बलूचिस्तान कभी एक स्वतंत्र देश बन पाएगा? इसके लिए कहां अर्जी लगानी होती है? ये सवाल दशकों से अंतरराष्ट्रीय मंच पर गूंज रहे हैं। पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे विवादित प्रांत बलूचिस्तान लंबे समय से आजादी की मांग कर रहा है। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से ही बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। यहाँ के लोग खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते और स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान चाहते हैं।

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे उपेक्षित इलाका

बलूचिस्तान पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44% हिस्सा कवर करता है, लेकिन इसकी जनसंख्या मात्र 1.5 करोड़ के करीब है। यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। यहाँ सोना, तांबा, तेल, प्राकृतिक गैस और अन्य बहुमूल्य खनिज भरे पड़े हैं, लेकिन बलूच लोगों को इनका कोई लाभ नहीं मिलता। पाकिस्तानी सरकार इस क्षेत्र के संसाधनों का दोहन करती है, लेकिन यहाँ की जनता गरीबी, बेरोजगारी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर है।

बलूचिस्तान के लोगों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार ने उनके क्षेत्र को केवल संसाधन लूटने के लिए अपने अधीन रखा हुआ है। यही वजह है कि बलूच अलगाववादी गुट सालों से पाकिस्तान के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष चला रहे हैं।

आजादी के लिए 75 सालों से संघर्ष

बलूचिस्तान में आजादी की मांग कोई नई नहीं है। यह इलाका पहले एक स्वतंत्र रियासत था, लेकिन 1948 में पाकिस्तान ने इसे जबरदस्ती अपने में मिला लिया। तभी से बलूचिस्तान के लोग अलग राष्ट्र के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब तक बलूचिस्तान ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ 5 बड़े विद्रोह किए हैं।
1948-50: पहला विद्रोह, जिसे पाकिस्तान ने सेना के बल पर कुचल दिया।
1958-59: दूसरा विद्रोह, जिसमें बलूच नेता नौरोज़ खान को गिरफ्तार कर फांसी दे दी गई।
1963-69: तीसरा विद्रोह, जिसमें बलूच लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना को कड़ी टक्कर दी।
1973-77: चौथा विद्रोह, जिसे पाकिस्तान ने ईरान की मदद से दबा दिया।
2005 से अब तक: पांचवां और अब तक का सबसे बड़ा विद्रोह, जिसे बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य गुट चला रहे हैं।
बलूचिस्तान का मौजूदा संघर्ष 2005 में नवाब अकबर बुगती की हत्या के बाद तेज हुआ। पाकिस्तान ने बलूच स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ कड़ी सैन्य कार्रवाई की, लेकिन इसके बावजूद यह आंदोलन और मजबूत होता गया।

क्यों चर्चा में है बलूचिस्तान?

हाल ही में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तानी सेना और सरकार पर कई बड़े हमले किए हैं। खासकर जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक करने की घटना ने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं। इसके अलावा, पाकिस्तानी सेना के काफिलों और सरकारी प्रतिष्ठानों पर भी लगातार हमले किए जा रहे हैं। बलूचिस्तान की आजादी के इस संघर्ष को लेकर अब बड़ा सवाल उठता है—अगर बलूचिस्तान एक अलग देश बनना चाहता है, तो इसके लिए उसे कहां अर्जी देनी होगी?

किसी क्षेत्र को नया देश कैसे घोषित किया जाता है?

नया देश घोषित किए जाने की कोई तय प्रक्रिया नहीं है। यह कोई ऐसा फॉर्म नहीं है, जिसे भरकर नया देश बनाया जा सके। हालांकि, 26 दिसंबर 1933 को 'मोंटेवीडियो कन्वेंशन' में कुछ मानक तय किए गए, जिनके आधार पर किसी क्षेत्र को नया देश घोषित किया जा सकता है। किसी भी क्षेत्र को देश बनने के लिए चार शर्तें पूरी करनी होती हैं।
स्थायी जनसंख्या: उस क्षेत्र में एक स्थायी और संगठित जनसंख्या होनी चाहिए।
निर्धारित सीमाएं: देश की एक स्पष्ट सीमारेखा होनी चाहिए, जिस पर कोई अन्य देश दावा न करे।
सरकार: उस क्षेत्र में एक प्रभावी शासन व्यवस्था होनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों की क्षमता: नया देश अन्य देशों से संबंध स्थापित करने की क्षमता रखता हो।

बलूचिस्तान इन सभी मानकों पर खरा उतरता है, लेकिन इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करना आसान नहीं है। बलूचिस्तान को अलग देश बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) या अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से समर्थन हासिल करना जरूरी है। लेकिन पाकिस्तान, चीन और कई अन्य शक्तिशाली देशों के विरोध के कारण यह आसान नहीं है। अभी तक किसी भी बड़े देश ने बलूचिस्तान को अलग देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे पाकिस्तान और चीन के विरोध के कारण अधिकांश देश बलूचिस्तान के समर्थन से बचते हैं। चीन का 'चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC)' बलूचिस्तान से होकर गुजरता है, इसलिए चीन नहीं चाहता कि यह क्षेत्र अलग हो। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश इस मुद्दे पर पाकिस्तान से सीधे टकराव नहीं चाहते।

क्या बलूचिस्तान भारत के समर्थन की उम्मीद कर सकता है?
भारत ने अब तक बलूचिस्तान के मुद्दे पर खुलकर समर्थन नहीं किया है, लेकिन 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र किया था। इसके बाद यह अटकलें तेज हो गईं कि भारत बलूचिस्तान को कूटनीतिक रूप से समर्थन दे सकता है। हालांकि, भारत ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक नीति घोषित नहीं की है।

बलूचिस्तान की आजादी की मांग ऐतिहासिक रूप से सही हो सकती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति के कारण इसका अलग देश बनना फिलहाल मुश्किल लगता है। पाकिस्तान कभी भी बलूचिस्तान को इतनी आसानी से जाने नहीं देगा, क्योंकि यह उसका सबसे संसाधन-समृद्ध इलाका है। लेकिन बलूचिस्तान का संघर्ष जारी है, और अगर भविष्य में अंतरराष्ट्रीय हालात बदलते हैं, तो यह क्षेत्र स्वतंत्रता हासिल कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह दक्षिण एशिया के नक्शे को पूरी तरह बदल देगा।
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