Daud Ibrahim से मिलकर Mumbai Police के जवान ने कैसे रची थी Bala Saheb Thackeray की हत्या की साजिश
इस वीडियो में हम आपको इन्हीं दो दाऊद इब्राहिम और बाला साहेब ठाकरे के बारे में ही बताने वाले हैं । हम आपको बताएँगे कि जिस बाला साहेब ठाकरे के शान-ओ-शौकत का कोई जवाब नहीं था, उनका रुतबा सरकार, सरकारी महकमा हर तरफ़ था। उनके सामने कोई भी मुंह खोलने से पहले सौ बार सोचता था।
एक वक़्त था जब माया नगरी मुंबई में दाऊद का खौफ बोलता था। फ़िल्म इंडस्ट्री से लेकर पूरा मुंबई दाऊद इब्राहीम के नाम से ख़ौफ़ खाता था।लेकिन उसी मुंबई नगरी में एक शख़्स ऐसा भी था जिसे मुंबई का राजा कहा जाता था । हर कोई इनके नाम के आगे-पीछे साहेब लगाते और यही तन्हा एक ऐसा शख़्स था जिससे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम भी ख़ौफ़ खाता था । इस शख़्स का नाम था बाला साहेब ठाकरे।
बाल ठाकरे को मुंबई का राजा कहा जाता था । और इनके मर्ज़ी के बग़ैर मुंबई नगरी में एक पत्ता भी नहीं हिलता था। वहीं दूसरी तरफ़ मुंबई के डोंगरी से निकला एक युवक जिसने क्राइम की दुनिया में कदम रखा और देखते ही देखते अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया ।एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि जंगल का राजा सिर्फ़ एक ही हो सकता है। और ये वही होगा जिसमें ताक़त होगी । ठीक ऐसा ही मुंबई नगरी में हुआ । एक तरफ़ हत्या, फिरौती, अपहरण के बल बूते अपना साम्राज्य खड़ा कर लेना वाला दाऊद इब्राहीम था तो वहीं दूसरी तरफ़ मज़दूरों के नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले, दबे-कुचलों की आवाज़ उठाने वाले और मजलूमों के दिलों पर राज करने वाले बाला साहेब ठाकरे थे।
इस वीडियों में हम आपको इन्हीं दो दाऊद इब्राहिम और बाला साहेब ठाकरे के बारे में ही बताने वाले हैं. हम आपको बताएँगे कि "जिस बाला साहेब ठाकरे के शान-ओ-शौकत का कोई जवाब नहीं था, उनका रुतबा सरकार, सरकारी महकमा हर तरफ़ था ।उनके सामने कोई भी मुंह खोलने से पहले सौ बार सोचता था । उस बाला साहेब ठाकरे को जान से मारने की सुपारी किसने दी थी ।वो कौन शख़्स था जो बाला साहेब ठाकरे को ठिकाने लगाने की सुपारी ले ली थी ।वो व्यक्ति बाल ठाकरे की हत्या करने के लिए उनके क़रीब कैसे पहुँच गया था। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि ऐन वक़्त पर वो पकड़ा गया "।
वो साल 1993 का जब मुंबई बम धमाकों में दाऊद इब्राहीम का नाम आता है । और इसी धमाके बाद मुंबई में दंगा भी भड़क जाता है। जब मुंबई में दंगे की आग भड़की थी तो अबु सलेम उसमें घी डालने का काम कर रहा था । कई घातक हथियार ऐसे लोगों के पास पहुँचाए जा रहे थे जो इस दंगे को और भड़का सकें और इंसानियत को तार-तार कर सकें. इस दंगे की आड़ में अंडरवर्ल्ड के अलग-अलग गैंग भी आपस में गैंग वार कर रहे थे। जिसकी वजह से मुंबई का माहौल बद से बहत्तर हो गया था। वहां, क़ानून व्यवस्था दम तोड़ रहा था ।
अबु सलेम का एक ही मक़सद था जो भी दाऊद इब्राहीम के रास्ते आएगा उसे हटना पड़ेगा नहीं तो वो उसे हमेशा के लिए हटा देगा। इधर मुंबई पुलिस भी अपने सारे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को शॉर्टलिस्ट कर चुकी थी ।और उन्हें ड्यूटी सौंप दी थी । सारे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी अंडरवर्ल्ड को साफ़ करने के लिए अपने काम को अंजाम दे रहे थे।
मुंबई पुलिस की स्पेशल ब्रांच दंगा और गैंग वार को रोकने के लिए पूरी तत्परता से काम कर रही थी, तभी पुलिस स्टेशन में एक घंटी बजी। और घंटी ने सबके होश उड़ा दिए। पुलिस को ख़बर मिली की बाला साहेब ठाकरे को उनके ही ऑफिस में गोली से मारने का प्लान तैयार हुआ है । और जो इस काम को अंजाम देने वाला था उसका नाम सुनते ही पुलिस महकमा में सबके हाथ-पैर फूलने लगे । क्योंकि जिस व्यक्ति ने बाला साहेब ठाकरे को मारने की सुपारी ली थी उसका नाम था राजेश इकवे। और ये मुंबई पुलिस का ही एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट था।
अब आप सोच रहे होंगे कि "एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आख़िर बाल ठाकरे को क्यों मारना चाहता था"।
ये वो दौर था जब गैंग वार को रोकने के लिए पुलिस लगातार अंडरवर्ल्ड के गुर्गों का एनकाउंटर कर रही थी। वहीं पुलिस महकमे में कुछ ऐसे भी अधिकारी थे जो चुपके से D-कंपनी के संपर्क में थे ।उस समय के तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर अमरजीत सिंह समरा ने ऐसे पुलिस अधिकारियों की लिस्ट तैयार करवाई जो पुलिस की पैरोल में रहते हुए भी अंडरवर्ल्ड के संपर्क में थे ।जब लिस्ट तैयार हुई तो उनमें कुल 18 नाम सामने आए। और इन्हीं नामों में एक नाम था पुलिस डिपार्टमेंट के ट्रेंड कमांडो राजेश इकवे का। पुलिस कमिश्नर के पास जैसे ही इन 18 अधिकारियों के नाम आए तो उन्होंने सबको नौकरी से बर्खास्त कर दिया था । वहीं, बर्खास्त होने के बाद राजेश D-कंपनी के लिए जो काम चोरी-छुपे करता था अब वो खुलकर करने लगा । और धीरे-धीरे पूरी तरह से वो अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम के क़रीब चला गया । और डी कंपनी के ख़ास शूटरों की लिस्ट में शामिल हो गया । दाऊद का एक और ख़ास शूटर सलीम हड्डी पहले से ही मुंबई में सक्रिय था। अब राजेश इकवे और सलीम हड्डी दोनों ने मिलकर मुंबई में अपराध को अंजाम देना शुरू कर दिया। इन्होंने कई मर्डर किए जिसमें मशहूर बिज़नेस मैन प्रदीप जैन, चेंबूर का मशहूर बिल्डर कुकरेजा और बॉलीवुड के मशहूर फ़िल्म प्रोड्यूसर जावेद सिद्दीक़ी का नाम था।
दरअसल, जावेद सिद्दीक़ी ने पाकिस्तानी अभिनेत्री अनीता अयूब को अपनी फ़िल्म में काम देने से मना कर दिया था। और उस समय अनिता का चक्कर दाऊद इब्राहीम से चल रहा था । बस इसी बात से नाराज़ होकर दाऊद इब्राहीम ने जावेद सिद्दीक़ी का कत्ल करवा दिया था । इसी तरह से साल 1950 तक राजेश इकवे मुंबई में ख़ौफ़ का दूसरा नाम बन गया था । मुंबई पुलिस के लिए राजेश इसलिए भी चुनौती था क्योंकि वो ख़ुद एक ट्रेंड कमांडर रह चुका था । और मुंबई पुलिस के काम करने के तौर तरीके और सभी पैंतरों को अच्छी तरह से जानता था. इसी बीच 1993 में जब मुंबई में बम धमाका हुआ तो एक बार फिर से मुंबई जलने लगा। गैंग वार शुरू हो गए ।और मौक़े की नज़ाकत को समझते हुए दाऊद ने बाला साहेब ठाकरे को मारने की सुपारी राजेश इकवे को दे डाली। वहीं, जैसे ही राजेश को सुपारी मिली तो उसने बाला साहेब ठाकरे से मिलने की अपाइंटमेंट भी ले ली । और पूरी तैयारी के साथ उनका कत्ल करने निकल गया । लेकिन इसी बीच मुंबई पुलिस हेडक्वार्टर में एक घंटी बजी और ये बताया गया कि बाला साहब ठाकरे के ऑफिस में ही उनके ऊपर हमला होने वाला है । फिर क्या था मुंबई पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैयार थी। मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट स्टैंड बाई पर थे। जैसे ही राजेश कत्ल के मंसूबे से बाहर निकला तो पुलिस की टीम ने उसे चारों तरफ़ से घेर लिया । और उससे सरेंडर करने के लिए कहा। लेकिन राजेश नहीं माना और अपनी बंदूक़ से गोली चलानी चाही लेकिन उससे पहले ही पुलिस की गोलियों ने राजेश को मौत के घाट उतार दिया। और इस तरह से एक खूंखार अंडरवर्ल्ड गुर्गे का एनकाउंटर हो गया।